लगाये गये पौधा रोपण का खूब हल्ला, बचाये गये पौधों पर मौन !

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा। बरसात की शुरूआत पौधा रोपण के शोरशराबे से होती है। हर बार पौधा रोपण का रिकार्ड कायम होता है। यह भी प्रयास किया जाता है कि विगत वर्ष की तुलना में कुछ ज्यादा पौधे रोपे जाएं। इस बार लॉकडाउन में कामधाम छोड कर लौटे मजदूरों को भी मनरेगा के तहत काम दिया गया और उन्हें पौधा रोपने के लिए गड्ढे खोदने के काम में लगा दिया गया। करीब 29 हाजर गड्ढे पौधे लगने से पहले ही खोद दिये गये। इनमें पौधे रोपे जाने हैं। 5 जून से पौधा रोपण कार्यक्रम एक बार फिर शुरू हो गया है।

इस साल 25 लाख 62 हजार 600 पौधे लगाये जाने का लक्ष्य है
क्षेत्रीय वन अधिकारी मुकेश मीणा के अनुशार विगत वर्ष मथुरा में 24 लाख से अधिक पौधे लगाये गये थे। इस साल 25 लाख 62 हजार 600 पौधे लगाये जाने का लक्ष्य है। विगत वर्ष 19 लाख 67 हजार 422 पौध एक ही दिन में रोप दिये गये थे। पौधे रोपने के साथ ही इनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी उन्हीं विभागों को सौंपी गई थी जिन्हें पौधे लगाने को मिले थे। इससे पहले यह काम वन विभाग के जिम्मे था। पौधा रोपने का काम तो दूसरे विभाग करते थे लेकिन बचाने का जिम्मा वन विभाग के सिर ही था। विगत वर्ष इस दिशा में बडा कदम उठाते हुए उन्हें विभागों को इनको बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जो पौधारोपण कर रहे थे। इसे लिए विभाग के कुल बजट का दो प्रतिशत इस काम पर खर्च करना था। अब बजट तो खर्च हो गया लेकिन यह बताने को कोई तैयार नहीं है कि उनके द्वारा रोपये गये पौधों में से कितने पौधे जिंदा हैं। दूसरी ओर जिला प्रशासन ने नये सिरे से कीर्तिमान बनाने और विगत वर्ष की तुलना में ज्यादा पौधे रोपने के लिए काम शुरू कर दिया है।

हरियाली लौटाने ही तो तय करना होगा पौधा लगाना महत्वपूर्ण है कि बचाना

यह सिर्फ पिछले साल का मामला नहीं है। इससे पहले भी यही होता रहा है। पौधे रोपे जाने के बाद कितने प्रतिशत पौधे जीवित रहे, इसका आंकडा जिला प्रशासन जारी नहीं करता है। जबकि पूरा जोर हर साल कितने पौधे रोपे जाने हैं और कीर्तिमान बनाने पर लगा दिया जाता है। दिलीप यादव का कहना है कि जिनते पौधे जिला प्रशासन हर साल रोपता है अगर उसके दस प्रतिशत भी बचा पता तो दो विगत 10 साल के पौधारोपण में ही पूरा जनपद हरियाली से आच्छादित हो जाता। रविवार को वृक्षारोपण महोत्सव में जिलाधिकारी सर्वराम मिश्र जहां पौधा रोप रहे हैं वहां वीराना है। यह इस बात को दर्शाता है कि अगर लगाये गये पौधे बचाये जाते तो यहां सघन वन होता वीराना नहीं। जिलाधिकारी जहां पौधा रोप रहे है, वहीं आसपास में विगत वर्षों में रोपे गये पौधों को बचाने के लिए लगाये गये लोहे के जाल भी हैं, जिनमें कुछ गिरे पडे हैं तो कुछ सीधे खडे हैं। जन जालों में पौधे नहीं है।

516 ग्राम पंचायत, निकायों को भी मिला था लक्ष्य
विगत वर्ष 516 ग्राम पंचायतों एवं 15 नगर निकायों को भी पौधारोण का लक्ष्य दिया गया था। इनके समन्वयकों ने वृक्षारोपण करके अपनी रिपोर्ट खण्ड विकास अधिकारी को प्रस्तुत की थी। जिससे वह वन विभाग में तैनात किये गये अधिकारियों को अपनी सूचना दे सकें।