आगरा वालो! ‘सुरमयी शाम नीरज के नाम’ का कारवां गुजर गया अब गुबार देखते रहो.., देखें वीडियो

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. मैं सबसे पहले आभार प्रकट करता हूँ डॉ. वत्सला प्रभाकर का कि उन्होंने मुझे बुलाया। फिर आभार प्रकट करता हूँ कवि दीपक सरीन का मुझे स्मरण दिलाते रहे। फिर आभार प्रकट करता हूँ प्रतिभा केशव तलेगांवकर व शुभ्रा तलेगांवकर का, साथ में रंगकर्मी डिम्मी मिश्रा का, प्रियवर मृगांक प्रभाकर का, सुधी साहित्यवेत्ता श्रुति सिन्हा का। वह इसलिए कि इन सबने मिलकर नीरज के गीतों का ऐसा रंग जमाया कि चहुं ओर आनंद ही आनंद बरस उठा। सूरसदन प्रेक्षागृह भी आज अपने भाग्य पर इतरा रहा होगा। यह उसका भाग्य ही है कि नीरज के गीत गूंजे। सूरसदन ने आज पहली बार नीरज की ‘अनटोल्ड स्टोरी’ सुनी। वह सब जाना जो नीरज के बारे में दुनिया नहीं जानती है। वाकई सबकुछ अद्भुत, अविस्मरणीय, अनोखा, ऐसा सुंदर आयोजन न कभी देखा। नीरज के गीतों की गूंज और अनुगूंज। रंगीला रे.. हो गए सबके सब। सांसद, विधायक समेत कई हस्तियां मस्ती में थिरकने लगीं।

में यूं तो सूरसदन में एक से बढ़कर एक आयोजन होते हैं लेकिन पद्मश्री और पद्भूषण नीरज के जन्मदिन पर 4 जनवरी, 2023 को जो हुआ, वह मस्तिष्क पटल पर सदैव अंकित रहेगा। आप जानते ही हैं कि नीरज का पूरा नाम गोपाल दास नीरज है। उनका परिवार आगरा में रहता है। इसी परिवार ने आज ‘एक सुरमयी शाम नीरज के नाम’ सजाई। यूं तो नीरज का मतलब कमल होता है लेकिन यहां हम जिन नीरज की बात कर रह हैं, उनका अर्थ ही गीत है। नीरज का मतलब मनमीत है। नीरज का मतलब ‘ऐ भाई जरा देख के चलो’ है। नीरज का मतलब ‘फूलों में घोली जाने वाली शराब’ है। नीरज का मतलब ‘भंवरे की गुनगुन’ है। नीरज का मतलब ‘गीत जब मर जाएंगे फिर क्या यहां रह जाएगा’ है। नीरज का मतलब ‘जितना कम सामान रहेगा, उतना सफर आसान रहेगा’ है। नीरज का मतलब ‘रंगीला रे तेरे रंग में यूं रंगा है मेरा मन’ है। नीरज का ‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’ है। नीरज का मतलब ‘लिखे जो खत तुझे जो तेरी याद में हजारों रंग के नजारे बन गए’ है। नीरज का मतलब ‘काल का पहिया घूमे भैया लाख मगर इंसान चले, लेके चले बारात कभी तो कभी बिना सामान चले.. राम कृष्ण हरि’ है। नीरज का मतलब ‘चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है’ है। नीरज का मतलब ‘मिलते हैं दिल यहां मिल के बिछुड़ने को’ है। नीरज का मतलब ‘मैंने ओढ़ी चुनरिया तेरे नाम की जैसे राधा ने माला जपी श्याम की’ है। नीरज का मतलब ‘लेना होगा जन्म हमें कई-कई बार’ है। नीरज का मतलब ‘अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए’ है।

कार्यक्रम में नीरज के गीतों के मुखड़े बैक टु बैक प्रस्तुत किए गए। ऐसा रंग जमा कि समाजसेवी मुकेश जैन स्वयं को रोक न सके। वे डॉ. वत्सला प्रभाकर को लेकर मंच के सामने आ गए। इतने भावविभोर हो गए कि खुद को संभाल न सके और गिर पड़े। फिर उठे और अंग्रेजी स्टाइल में नृत्य करने लगे। इसके कुछ देर बाद दो युवतियां आईं और मनभावन रूप से थिरकने लगीं। फिर तो सरदार के वेश में आए दीपक सरीन भी झूमने लगे। उन्होंने शांतिदूत बंटी ग्रोवर को नृत्य के लिए खींचा। ना- ना करते हुए उठ खड़े हुए। बंटी ग्रोवर केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल का हाथ पकड़कर उठा लाए। उनके पास बैठे विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को उठा लाए। समाजवादी डॉ. सीपी राय आ गए। सांसद पत्नी मधु बघेल को डॉ. वत्सला प्रभाकर ले आईं। फिर तो ऐसा रंग जमा कि बघेल दंपति ने नृत्य किया। उद्यमी डॉ. रंजना बंसल नाचने लगीं। दूसरी ओर ऋचा पंडित, डॉ. वत्सला प्रभाकर, डॉ. हृदेश चौधरी अलग ही धुन में नाच रही थीं।

सुरमयी शाम को शुभारंभ श्रीमनकामेश्वर मंदिर के श्रीमंहत योगेश पुरी, फादर मूल लाजरस, मौलाना उजैर आलम ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उनके साथ ऋचा पंडित रहीं। मंच के नीचे डॉ. वत्सला प्रभाकर पहरेदारी कर रही थीं कि कोई फालतू व्यक्ति ऊपर न चढ़ जाए। सबसे पहले डिम्पी मिश्रा ने प्रस्तुत दी। फिर डॉ. वत्सला प्रभाकर ने कहा कि इस कार्यक्रम को करना मेरा सपना था। कितना अच्छा होता कि यह कार्यक्रम पिताजी (नीरज जी) के सामने होता। एफएम पर पिताजी के लिखे हुए तीन-चार गाने रोज बजते हैं लेकिन लोगों को पता नहीं है। इस कार्यक्रम को कराने का उद्देश्य यह भी है कि लोग जान सकें कि जिन गीतों को गुनगुनाते हैं, वे नीरज के लिखे हुए हैं।

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कार्यक्रम का शुभारंभ करते अतिथि

मृगांक प्रभाकर ने जबर्दस्त ढंग से नीरज की अनटोल्ड स्टोरी सुनाई। गीत और स्टोरी का जबर्दस्त मिलन हुआ। संगीत कला केन्द्र आगरा के प्रतिभा तलेगांवकर और शुभ्रा तलेगांवकर ने शानदार प्रस्तुति दी। यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि तलेगांवकर परिवार ने शास्त्रीय संगीत को नई पहचान दी है। रंग लोक सांस्कृतिक समिति के डिम्पी मिश्रा और साथियों ने रंगकर्म के साथ दो प्रस्तुतियां दीं। स्वर को इतनी ऊंचाई पर ले गए कि कर्णप्रियता कई गुना बढ़ गई। महाकवि गोपालदास नीरज फाउंडेशन ट्रस्ट के डॉ. अरस्तू प्रभाकर,  शशांक प्रभाकर, मृगांक प्रभाकर, डॉ. कुंदनिका शर्मा, वीनस शर्मा ने काफी मेहनत की। मंच संचालन में सिद्धहस्त श्रुति सिन्हा का नाम न लिया तो गलत बात होगी। उनका मिस्री जैसा मीठा स्वर हर किसी को सम्मोहित कर लेता है।

कार्यक्रम को शुरू होने के समय शाम छह बजे दिया गया था। बहुत से लोग पांच बजे आ गए थे। मैं भी समय पर पहुंच गया था। ठीक 6 बजकर नौ मिनट पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम शुरू हो गया। तब तक सूरसदन प्रेक्षागृह आधा खाली था। लोग यह सोच रहे होंगे कि छह बजे का समय है तो सात बजे शुरू होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस चक्कर में स्वयं को वीआईपी समझने का भार ढोने वालों को भी पीछे बैठना पड़ा। वे आंखें फाड़-फाड़कर यह देख रहे थे कि आगे कोई सीट खाली है या नहीं। आयोजकों ने पहले ही घोषित कर रखा था जो पहले आएगा, वह आगे बैठेगा। सांसद एसपी सिंह बघेल समय पर आए और पूरे समय बैठे रहे। वे ऐसे सांसद हैं जो साहित्यिक हैं और स्वयं कवि हैं। कार्यक्रम में आने वाले सभी को मुख्य अतिथि का दर्जा दिया गया।

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रंगकर्मी डिम्पी मिश्रा ने शानदार प्रस्तुत दी।

कार्यक्रम में सर्वाधिक आनंद लिया डॉ. सीपी राय ने। अरुण डंग और हरविजय सिंह बाहिया ने चुपचाप पीछे जाकर बैठे और साहित्यिक झुधा शांत की। डॉ. सुशील गुप्ता, जितेन्द्र फौजदार, सुनील विकल, डॉ. अनिल विज, पवन आगरी, डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी, अपर्णा राजावत, डॉ. रुचि चतुर्वेदी, गौरव शर्मा, नवीन गौतम, अनिल जैन, शैलेन्द्र नरवार, प्रतिभा, प्रोफेसर बीना शर्मा, प्रोफेसर लवकुश मिश्रा, प्रोफ़ेसर चंद्रकांत त्रिपाठी, डॉ डीवी शर्मा, समी आगाई, इंजीनियर दिवाकर तिवारी, रितेश मित्तल, संजीव तोमर, अमित खत्री, अशोक भारद्वाज, श्री कृष्ण, वेदपाल धर, डॉ महेश शर्मा, आभा चतुर्वेदी, अशोक भारद्वाज, रितु गोयल, पूनम सचदेवा सोमा सिंह, तूलिका कपूर, डॉ. वेदांत, राखी सिंह, सविता जैन समेत तमाम लोग मौजूद थे। शशांक प्रभाकर मुझे नजर नहीं आए।

अब मैं वहीं आता हूँ जहां से बात शुरू की थी। डॉ. वत्सला प्रभाकर अगर मुझे फोन करके न बुलातीं तो शायद नहीं जाता। कुछ स्वास्थ्य की समस्या के कारण भी मन अनमना था। अब सोचता हूँ कि न जाता तो बड़ा नुकसान हो जाता। ऐसा नुकसान, जिसकी भरपाई संभव नहीं हो पाती। सूरसदन प्रेक्षागृह पूरा भर गया था। तमाम लोग खड़े हुए थे। जिन लोगों पर आमंत्रण था और नहीं गए, उनका दुर्भाग्य रहा। उनसे मुझे इतना कहना है- आगरा वालो! कारवां गुजर गया, अब गुबार देखते रहो…।

दीपक सरीन ने कार्यक्रम की विज्ञप्ति जारी की है, जिसके अनुसार, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी ने कहा कि गोपालदास नीरज जी सरल भाषा में कुछ ऐसे अमर गीत लिख गए हैं जो सदा सदा के लिए संगीत के आसमान में गाय जाते रहेंगे। डॉ. रंजना बंसल ने कहा कि गीत ऋषि गोपालदास नीरज प्रेम के सच्चे पुजारी थे और उन्होंने इसकी खासियत से दुनिया को वाकिफ भी कराया। ये विचार आज भी सामयिक हैं और हमेशा रहेंगे। नज़ीर अहमद ने कहा कि नीरज ने हिंदी कविताओं को तो नया सौंदर्य दिया ही, हिंदी सिनेमा के गीतों को भी सतरंगी छटा से भर दिया। महंत योगेश पुरी ने कहा कि नीरज जी ने ऐसे-ऐसे गीत गढ़े, जो बरसों बाद भी लोगों की ज़ुबान पर हैं और रहेंगे। डॉ सीपी रॉय ने कहा कि नीरज जी को हिन्दी सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में तीन बार ‘फिल्मफेयर पुरस्कार’ मिला सो अलग। विज्ञप्ति में यह भी लिखा है कि संत बाबा प्रीतम सिंह ने दीप जलाया।

रिचा पंडित
ऋिचा पंडित और डॉ. हृदेश चौधरी भी स्वयं को झूमने से रोक न सकीं।

मैं कार्यक्रम की शुरुआत से मौजूद था। बाबा प्रीतम सिंह नहीं आए थे। कार्यक्रम के बाद भाषण भी नहीं हुए हैं। लगता है पहले से तैयार की गई विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। कम से कम संशोधन तो बनता है।

Dr. Bhanu Pratap Singh