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तब्लीगी जमात की घटना पर पढ़िए जैन संत क्षु. पर्वसागरजी के क्रांतिकारी विचार

NATIONAL POLITICS

समाधिस्थ जैनाचार्य राष्ट्रसंत श्री तरुणसागरजी के इकलौते शिष्य हैं वे

-इबादत का अर्थ दूसरों की जान को जोखिम से निकालना होता है

Pushpgiri- Devas (Madhya Pradesh, India) । दिल्ली के निजामुददीन में हुए हैरान कर देने बाले हादसे पर कड़वे-प्रवचन प्रदाता समाधिस्थ जैनाचार्य राष्ट्रसंत श्री तरुणसागरजी के इकलौते शिष्य क्षुल्लक श्री पर्वसागर जी ने रोष प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि यह घटना एक सोचने का विषय है कि जहां सारा देश डरा और सहमा है वहां पर कुछ लोग अपनी धर्म की आस्था की आड़ में समस्त देश को खतरे में डाल रहे हैं। श्री पर्वसागर जी इन दिनों जैन तीर्थस्थल पुष्पगिरि (देवास) में हैं।

समाधिस्थ जैनाचार्य राष्ट्रसंत श्री तरुणसागरजी के इकलौते शिष्यजैन संत क्षु. पर्वसागरजी

मूर्खतापूर्ण कार्य

श्री पर्वसागरजी ने कहा कि सामूहिक नमाज़ अदा करना, एक साथ बहुत सारे लोग इकट्ठा करके उन्हें धर्म संदेश देना ग़लत नहीं है, पर इस जोखिम पर कि सारे देशवासियों की जान पर जोखिम बन आए, बेहद निंदक कृत्य है। भारत में हर जाति और धर्म की भावना को सर्वोच्च स्थान दिया गया है, किन्तु एक ऐसी स्थिति में जब सारे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च बंद हैं, वहां अलग से इस गतिविधि को दिशा देना एक मूर्खतापूर्ण कार्य है। बेशक भगवान की पूजा या इबादत हर अनहोनी को दूर भगाती है पर जब ईश्वर ने स्वयं ही अपने पट बंद किए हों तो उसकी मर्ज़ी के आगे जाना ग़लत है, जिसके फलस्वरूप नतीजे बिल्कुल स्पष्ट हैं।

तरुण सागर महाराज के साथ जैन संत क्षु. पर्वसागरजी

इबादत का असली अर्थ

उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रदर्शक है कि हमारे समाज में और हमारी संस्कृति में कुछ अराजकतत्व और कुछ असामाजिकतत्व आज भी नहीं चाहते हैं कि देश व समाज विपदा से निकले। इबादत का अर्थ जान को जोखिम में डालना नहीं, बल्कि उसका अर्थ तो दूसरों की जान को जोखिम से निकालना है। बेशक ये कृत्य इन्होंने अपनी आस्था को प्रदर्शित करने किया है पर ये एक सवाल का जन्म दे चुका है कि इनकी आस्था वाकई सच्ची थी भी या नहीं।

जैन संत क्षु. पर्वसागरजी पक्षी सेवा करते हुए।

सरकार का सराहनीय कार्य

श्री पर्वसागरजी ने कहा कि कोई भी धर्म इस बात को अनुमति नहीं देता कि तुम मंदिर में ही भगवान को पूजो या मस्जिद में ही इबादत करो तब ही तुम्हारी पूजा सफल होगी। आप उसे अपने हृदय से भी याद कर उसकी पूजा कर सकते हैं। यह एक मूर्खतापूर्ण कार्य है जो कुछ असामाजिक एवं अराजकतत्वों ने अपने धर्म के नाम पर किया है बिना लोगों की भावनाओं और उनकी आस्था का मान रखते हुए। सच सामने आने के बाद मुकरना यह देश और संविधान का अपमान करना है। वर्तमान में जो डॉक्टर्स व पुलिस देश की रक्षा के लिए तत्पर है, उनके साथ बेहूदा व्यवहार मानवता को शर्मसार कर रही है। हालातों को गंभीरता को लेते हुए सरकार ने चिकित्सकों पर हमला करने वालों को जेल का प्रावधान किया है, जो सराहनीय है।