RSS से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य का तीखा प्रहार: BBC एक टूलकिट, और देश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस का हिट जॉब – Up18 News

RSS से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य का तीखा प्रहार: BBC एक टूलकिट, और देश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस का हिट जॉब

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RSS से जुड़ी हिन्दी पत्रिका पांचजन्य ने BBC पर तीखा निशाना साधा है। पत्रिका ने कहा कि BBC एक टूलकिट और देश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस का हिट जॉब है जो भारत के जनमानस में झूठ और दुष्प्रचार थोपने का प्रयास कर रहा है। पांचजन्य ने BBC पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करने का आरोप लगाया।

कवर स्‍टोरी में पत्रिका ने कहा है कि डॉक्यूमेंट्री में नरेंद्र मोदी के संघ का स्वयंसेवक होने की बात इस तरह बताई गई है, मानो यह कोई अपराध हो। पत्रिका ने छात्रों को सुलगाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि बीबीसी के विवादित डॉक्यूमेंट्री के बहाने कांग्रेस और वामपंथियों ने अपनी छात्र इकाइयों को सक्रिय कर दिया है और यह दिल्ली से लेकर हैदराबाद तक विश्वविद्यालयों का माहौल बिगाड़ने की तैयारी है।

पांचजन्य ने अपने 5 फरवरी 2023 को आने वाले अंक में बीबीसी पर लिखी कवर और अन्य स्टोरी में कई तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि बीबीसी फिर से अपनी पुरानी शरारतों पर उतर आया है और सिर्फ यह कहना पर्याप्त नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पक्षपातपूर्ण है बल्कि वास्तव में ब्रिटेन के गार्जियन, इंडिपेंडेंट नामक अखबार और बीबीसी घोर वामपंथी हैं। इनका भारत के कम्युनिस्टों, वामपंथियों और कांग्रेस के साथ नजदीकी तालमेल का अंदाजा राहुल गांधी की प्रतिक्रिया से लगाया जा सकता है।

बीबीसी चाहता है लोग कांग्रेस की नजर से मोदी को देखें

पांचजन्य में ‘बीबीसी- कांग्रेस का हिट जॉब!’ शीर्षक से लिखी गई स्टोरी में बीबीसी पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिकृत एसआईटी ने लंबी जांच के बाद 2021 में मोदी को हर आरोप से बरी कर दिया था। इस फैसले पर सवाल उठाने वाली एक अन्य याचिका को भी सर्वोच्च न्यायालय पिछले साल खारिज कर चुका है। ऐसे में अब इस तरह के आरोप लगाने पर बात मानहानि तक जा सकती है इसलिए कांग्रेस बहुत शातिर ढंग से खुद जरा भी जिम्मेदारी लिए बिना कहती है, बीबीसी ने आरोप लगाया है।

इसमें आगे आरोप लगाया गया है कि बीबीसी चाहता है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उसी दृष्टि से देखें, जैसा दिखाने की कोशिश कांग्रेस और वामपंथी हमेशा करते रहे हैं। हालांकि तथ्यों के वेग में उनकी बोलती बंद हो चुकी है। पत्रिका में ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव जैक स्ट्रॉ की छवि, मंशा और नियत पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि स्ट्रॉ जिस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं, वहां मुस्लिम वोट बैंक हावी है इसलिए मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए उन्हें यह करना पड़ रहा है।

एक हिंदू के ब्रिटिश पीएम बनने से चिढ़ा BBC

पांचजन्य की कवर स्टोरी में ‘टूलकिट है बीबीसी’ शीर्षक से लिखा गया है कि विश्व की सबसे बड़ी औपनिवेशिक शक्ति ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। देश को संभालने के लिए भारतीय मूल के एक हिंदू को प्रधानमंत्री स्वीकार करना पड़ा। स्‍पष्‍ट रूप से इसकी ही खीज है कि ब्रिटेन के सरकारी चैनल बीबीसी ने दो भागों में एक डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण किया। इसका उद्देश्य गुजरात दंगों को लेकर उस दुष्प्रचार को दोबारा हवा देना था जिसकी पोल बहुत पहले खुल चुकी है। इसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनुक और सांसद तक खारिज कर चुके हैं।

पांचजन्य ने अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट एवं वॉलस्ट्रीट जर्नल के साथ ही चीन के ग्लोबल टाइम्स, कतर के अलजजीरा और ब्रिटेन के द गार्जियन एवं बीबीसी को भारत विरोधी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान करार देते हुए बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में बताए गए दस झूठ के बारे में भी विस्तार से लिखा है। आरोप लगाया गया है कि गुजरात के सभी हिंदुओं को दंगाई, अतिवादी और मुस्लिमों को पीड़ित के रूप में चित्रित किया गया है जबकि गुजरात दंगों में बड़ी संख्या में हिंदू भी मारे गए और घायल हुए।

डॉक्यूमेंट्री की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि प्रथमदृष्टया अधिकांश लोग मानते हैं कि बीबीसी ने यह डॉक्यूमेंट्री 2024 के लोक सभा चुनावों को प्रभावित करने के उद्देश्य से बनाई है। लेकिन वास्तव में यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीयों की बढ़ती शक्ति को बाधित करने का प्रयास है। भारत ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। पत्रिका में कहा गया है कि भारत विरोधी दुष्प्रचार से यदि किसी को क्षति पहुंच सकती है तो वह स्वयं ब्रिटिश सरकार ही है।

पांचजन्य ने इसे कैम्ब्रिज एनालीटिका के बाद एक बार फिर से भारत के जनमानस में झूठ और दुष्प्रचार थोपने का प्रयास बताते हुए कहा है कि बीबीसी को आज भी यही लगता है कि भारत उनका उपनिवेश है और इस मानसिकता को उनकी रिपोर्टिंग में स्पष्ट देखा जा सकता है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटे चार साल होने वाले हैं, लेकिन बीबीसी आज भी जम्मू कश्मीर को भारत प्रशासित क्षेत्र लिखता है। अरुणाचल और उत्तर पूर्व को लेकर भी बीबीसी आपत्तिजनक रिपोर्टिंग करता रहा है यहां तक कि कुछ समय पूर्व इसने एलआईसी के कंगाल होने की फेक न्यूज़ भी फैलाई थी।

गुजरात दंगों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने को लेकर बीबीसी विवादों में घिर गया है। भारत सरकार का विदेश मंत्रालय इस डॉक्यूमेंट्री को औपनिवेशिक मानसिकता का प्रतीक, प्रोपेगैंडा पीस, पक्षपातपूर्ण और निष्पक्षता की कमी का प्रतीक बता कर पहले ही खारिज कर चुका है। भारत के 302 पूर्व न्यायाधीश, पूर्व नौकरशाह, पूर्व राजनयिक, और पूर्व सैन्य अधिकारी भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को नकारात्मकता और पूर्वाग्रह से भरा हुआ पक्षपातपूर्ण आरोप पत्र करार देते हुए इसकी निंदा कर चुके हैं।

भारत सरकार भी बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को बैन कर चुकी है लेकिन इस सबके बावजूद देश के कई विश्वविद्यालयों में इसकी स्क्रीनिंग को लेकर हंगामा मचा हुआ है। विपक्षी दल भी इसे लेकर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पांचजन्य की इन सभी स्टोरी से यह साबित होता है कि आरएसएस इस मामले में पूरी तरह से सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ा है।

Dr. Bhanu Pratap Singh