panchayat chunav

ग्रामीणों के ऐलान के बाद पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी मुँह छिपाते फिर रहे, पढ़िए रोचक बात

NATIONAL POLITICS PRESS RELEASE REGIONAL

Mathura, Uttar Pradesh, India.  राजनीतिक लोगों को खिलाड़ी माना जाता है। चुनाव के समय किये गये वायदे किसी को याद नहीं रहते इस तरह की बातें आम हो चली हैं। इस बार ग्रामीण मतदाताओं ने पंचायत चुनाव में ताल ठोक रहे प्रत्याशियों के सामने ऐसी शर्ता लगा दी है कि बिचारे मुहं छिपाते फिर रहे हैं। गांवों में आवारा गोवंश का आतंक है। किसान सर्द रात भी खेतों पर गुजार रहे हैं, इसके बाद भी वह अपनी फसल को बचा नहीं पा रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के सामने शर्त लगा दी है कि जो आवार गोवंश से निजात दिलाएगा वही वोट पाएगा। यह निजात ग्रामीण चुनाव से पहले चाहते हैं। कुछ प्रत्याशियों ने इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है।

गांव सकराया में ग्रामीणों ने करीब 200 गौवंश को पकड कर एक चारदीवारी के अंदर बंद कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि करीब 20 साल पहले इस जगह गौशाला हुआ करती थी। ग्रामीणों का कहना है कि आवारा गोवंश उनकी फसल बर्बाद कर रहे हैं। सर्द रातें उनकी खेतों पर खुले आसामान के नीचे कट रही हैं। रातभर जाग कर वह फसलों की रखवाली कर रहे हैं। इसके बाद भी वह फसल को आवारा गोवंश से बचा नहीं पा रहे है। गोवंश को पकड़वाकर किसी गौशाला में छोडे जाने की वह लगाातर क्षेत्रीय विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं, प्रासनिक अधिकारियों से भी कई बार शिकायत की है लेकिन कोई उनकी बात को सुनने को तैयार नहीं है।

इस समय खेतों में गेहूं, सरसों और आलू की फसल खड़ी है। आवारा गोवंश इन फसलों को नष्ट कर रहे हैं। रातें लगातार सर्द हो रही हैं। हालत यह है कि कई किसानों की हालत खराब हो गई है। वह बीमार है इसके बाद भी बिस्तर पर रहने की बजाय उनकी रातें खेतों पर कट रही हैं। ग्रामीणों ने कहा कि वह गौशाला जाते हैं तो एक या दो गाय लेने के लिए गौशाला वाले तैयार होते हैं। यहां आवारा गोवंश की संख्या सैकडों में है। ग्रामीणों ने आवारा गौवंश से निजात दिलाने की जिला प्रशासन से मांग की है।