ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट के आदेश में ‘शिवलिंग’ की बात आने पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि काशी विश्वनाथ में नंदी की प्रतीक्षा पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि यह खुशी का अवसर है और आगे कोर्ट जो भी आदेश देगा, वह उसका स्वागत करेंगे। मेरे लिए हर-हर महादेव भी है और नमो बुद्धाय भी है। मैं स्वयं शिवभक्त हूं। मेरे लिए यह खुशी का अवसर है। माननीय न्यायालय के आदेश से कमिश्नर वहां गए। सर्वे किया गया और सर्वे में शिवलिंग की बात निकली है।
केशव मौर्य ने आगे कहा कि नंदीजी प्रतीक्षारत थे कि मेरे भोले बाबा कम मुझे मिलेंगे, और अब मिल गए हैं। सत्य को परेशान किया जा सकता है, परास्त नहीं किया जा सकता है। सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्.. भगवान शिव ही सत्य हैं और उनका दर्शन हो गया है। उनके प्रकट होने का समाचार आ गया है। न्यायालय का जो आदेश जारी हुआ है, उसमें भी उसका उल्लेख हुआ है।
बीजेपी अब इस पर आगे क्या करेगी, इस पर मौर्य ने कहा कि माननीय न्यायालय जो कहेगा, उस पर अमल किया जाएगा। शिवभक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है। कोर्ट के हर फैसले का हम सम्मान करेंगे। केशव मौर्य ने इसको लेकर ट्वीट भी किया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर ज्ञानवापी में बाबा महादेव के प्रकटीकरण ने देश की सनातन हिंदू परंपरा को एक पौराणिक संदेश दिया है। डिप्टी सीएम के इस बयान ने ज्ञानवापी पर चल रही बहस को एक नया रूप दे दिया है।
‘सत्य ही शिव है’
केशव प्रसाद मौर्य ने एक और ट्वीट कर ज्ञानवापी का सच सामने आने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बाबा के जय-जयकार और हर हर महादेव के नारों के साथ किए गए ट्वीट में डिप्टी सीएम ने लिखा कि सत्य को आप कितना भी छुपा लीजिए, लेकिन एक दिन सामने आ ही जाता है। क्योंकि सत्य ही शिव है। इसके साथ ही उन्होंने ज्ञानवापी का सच सामने आने और ज्ञानवापी मंदिर का टैग भी लगाया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि केशव मौर्य ने इस ट्वीट को पिन किया है। इससे साफ है कि वे इस मुद्दे को इतनी जल्दी नहीं छोड़ने वाले हैं।
कोर्ट तक पहुंचा है मामला
ज्ञानवापी मस्जिद में बाबा के मिलने का मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। एक याचिका दायर कर बाबा महादेव की सुरक्षित रखने की मांग की गई है। इस पर वाराणसी कोर्ट ने वाराणसी डीएम को आदेश दिया है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाए। सील किए स्थान पर किसी भी व्यक्ति को प्रवेश करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि वर्जित स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की पूरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी वाराणसी डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट की होगी।
AIMIM के नेता ने कहा, हम लोअर कोर्ट को नहीं मानते
मुस्लिम पक्ष मस्जिद में शिवलिंग के दावे को निराधार बता रहा है। AIMIM के नेता वारिस पठान से जब पूछा गया कि कोर्ट के आदेश में यह बात है कि ज्ञानवापी में विवादित जगह पर शिवलिंग है, तो इस पर उन्होंने कहा कि वह लोअर कोर्ट को नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘संविधान ने मुझे इजाजत दी है कि मैं हाई कोर्ट में जाऊं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पेडिंग है। ऐसे में इस पर यह निष्कर्ष निकालना सही नहीं है। 1991 का पूजा स्थल कानून साफ बताता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था, वैसा ही रहेगा। ऐसे में आप उसे छू नहीं सकते हैं। क्या हम संसद के कानून को नहीं मानेंगे?’
-एजेंसियां
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