Noida (Uttar Pradesh, India) । कभी सिस्टर तो कभी मदर की भूमिका! कभी मरीज का रूठना, कभी नर्स का गुस्सा होना..। मरीज से हमदर्दी स्नेह भरा अनौखा रिश्ता…। इसी का नाम तो है नर्सिंग सेवा। वैसे तो अस्पतालों में कार्यरत नर्स स्टाफ की मरीज के जीवन में बहुत ही अहम भूमिका होती है लेकिन कोविड19 संक्रमण काल में उनका महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसे में जब हर किसी को जान का खतरा है उस समय उनका तत्पर सेवा में जुटे रहना सेवाभाव और मानवता की मिसाल है। सिस्टर अर्चना राय, शीतल, वंदना, जसप्रीत, रोमा, सुशांत सहित तमाम ऐसे लोग हैं जो निरंतर मरीजों की सेवा में जुटे हैं।
मौसी की प्रेरणा से बनी नर्स
आजमगढ़ की रहने वाली अर्चना राय जिला अस्पताल में कार्यरत हैं। उनकी ड्यूटी प्रसूति विभाग में लगी हुई है। 2014 में उन्होंने आजमगढ़ मिशन अस्पताल से नर्सिगं की ट्रेनिंग की। उन्होंने कहा कोविड19 संक्रमण काल में सेवा करना चुतौती है, पर उन्हें अच्छा लगता है। वह बताती हैं इन दिनों कोरोना संक्रमण काल में महिला का सुरक्षित प्रसव कराना और भी बड़ी चुनौती हो गयी है। पैदा होने वाले बच्चे और मां की देखभाल करने में उन्हें सुखद अनुभूति होती है। जब नन्हा सा मासूम इस दुनिया में आता है, रोता है, मुस्कुराता है, तो उसे देख कर रोज जीने की एक राह दिखती है। उन्होंने बताया वह अपनी मौसी के पास रहकर पली बढ़ीं, उन्हीं की प्रेरण से नर्स बनीं।
पति का मिलता है भरपूर सहयोग
अर्चना कहती हैं कि परिवार वालों के सहयोग के बिना वैसे तो कोई भी नौकरी आसान नहीं है लेकिन नर्स की ड्यूटी बिना उनके सहयोग के संभव नहीं है। उनके पति बिजनेस मैन हैं। उनका पूरा सहयोग रहता है। सामान्य दिनों में वह लोनी गाजियाबाद में रहती हैं। कोरोना संक्रमण शुरू होने पर अस्पताल आने जाने में उनका की सहारा रहा।
20 दिन से घर बार छोड़ा हुआ है
उन्होंने बताया जब तक जिले की सीमा सील नहीं हुईं थी तब तक तो वह लोनी से आती जाती थीं, लेकिन नोएडा और गाजियाबाद जिले की सीमाएं सील होने के बाद से वह जिला अस्पताल के पास ही निठारी नोएडा में रह रही हैं। एक साढ़े तीन साल और एक बच्चा एक साल का बच्चा है। इस मुश्किल दौर में वह लगातार अपनी सेवा दे रही हैं। वह बताती हैं कि उनकी साथी नर्स वंदना, जसप्रीत रोमा भी अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रही हैं और उनका भरपूर सहयोग उन्हें मिलता है।
पति पत्नी दोनों हैं नर्स
स्टाफ नर्स शीतल जनवरी 2017 से सामुदायिक केन्द्र भंगेल में तैनात है। इनके पति सुशांत भी स्टाफ नर्स (पुरुष) हैं और सास शीला देवी एएनएम हैं। पूरा परिवार स्वास्थ्य सेवा में जुटा है। सास प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दनकौर में और पति शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कासना में तैनात हैं। सभी इस समय कोविड19 में कोरोना वारियर्स बने हुए हैं।
सास-ससुर की प्रेरणा से बनी नर्स
शीतल बताती हैं नर्स बनने में उनकी सास और ससुर का बहुत बड़ा योगदान है। शादी के बाद उनके ससुर ने उन्हें आगे की पढ़ाई करायी। फिर शारदा अस्पताल से नर्सिंग का कोर्स कराया। उनके पति ने भी साथ ही यह कोर्स किया। अब दोनों ही सरकारी नौकरी में हैं। आठ साल के बेटे और तीन साल की बेटी की मां शीतल अपनी सभी उपलब्धियों का श्रेय ससुर को देती हैं।
12 मई को मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्सेज डे
इटली में पैदा हुई फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा की। सन् 1853-1856 में क्रीमिया युद्ध में हाथ में लैंप लिए वह रात को घायल सैनिकों की सेवा के लिए घर से निकलती थीं। उनके घावों पर मरहम लगाती थीं। यही वजह है कि वह ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से न केवल विख्यात हुईं बल्कि आज भी नर्सिग के क्षेत्र में आने वालों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। 12 मई को नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को ही अंतरराष्ट्रीय नर्सेज डे के तौर पर मनाया जाता है। सन् 1965 में नर्सेज डे मनाने की शुरुआत हुई।
- हिंदी से न्याय अभियान: देशभर से अब तक पौने दो करोड़ हस्ताक्षर - September 28, 2024
- अंतरराष्ट्रीय ताजरंग महोत्सव में नौ हस्तियों को नवरत्न सम्मान, यहां देखें पूरी सूची - September 22, 2024
- अंतरराष्ट्रीय ताज रंग महोत्सव में देश-विदेश से आए रंगकर्मी जमा रहे रंग, चाहिए आपका संग, आज अंतिम दिन - September 22, 2024