जैन मुनि मणिभद्र

जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज से गजसुकुमाल की कथा सुन लेंगे तो पाप करना छोड़ देंगे

RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. पर्यूषण पर्व के दौरान शनिवार को नेपाल केसरी व मानव मिलन संगठन के संस्थापक जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने द्वारिकापुरी के गजसुकुमाल के तप का विस्तृत वर्णन किया। कहा कि जो जैसा कर्म करेगा, वैसा फल उसे मिलेगा ही।

 

राजामंडी के जैन स्थानक में प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा कि द्वारिकापुरी के राजकुमार गजसुकुमाल ने तप करते हुए भी अपने पूर्व जन्म का भोग भोगा। उन्होंने बताया कि द्वारिकापुरी के राजकुमार ने सिंहासन पर बैठने के बाद भी कोई अहंकार नहीं किया, बल्कि अपनी माता देवकी से जैन दीक्षा अंगीकार करने की आज्ञा ली और मोक्ष की यात्रा पर चल पड़े। उन्हें वासुदेव कृष्ण सहित सभी परिजनों, शहरवासियों ने मोक्षगामी होने के लिए शुभकामना दी। वे भगवान अरिष्टनेमि की शरण में पहुंच गए।

 

जैन मुनि ने बताया कि श्रावक की 11 प्रतिमा (प्रतिज्ञा) होती हैं और साधु की बारह । बारहवी प्रतिज्ञा अंतिम होती है, जो बहुत कठिन होती है। गजसुकुमाल ने अपने गुरु से 12 वीं साधना की अनुमति ली और श्मशान में साधना के लिए चले गए। वहां तप करने लगे। गजसुकुमाल तप में इतने लीन हो गए कि शरीर का भी होश नही रहा। तभी वहां से शोभित नामक एक व्यक्ति गुजर रहा था। उसने बहुत बुरा कार्य किया। गजसुकुमाल के सिर पर गीली मिट्टी की बाउंड्री बना श्मशान में जलती चिता डालनी शुरू कर दी। लेकिन गजसुकुमाल को कोई उस अग्नि का अहसास ही नहीं हुआ। वह तो तप में लीन रहे। धीरे-धीरे पूरा शरीर जलने लगा। तब अपने पूर्व जन्मों के कर्मों का अहसास होने लगा।

 

मुनिवर ने बताया कि गजसुकुमाल मुनि बार-बार यही सोच रहे थे कि उन्होंने  कभी किसी बुरा नहीं किया तो यह सब क्यों हो रहा है। देखते-देखते वे 99 लाख पुराने जन्म में पहुंच गए। उस जन्म में वे एक महिला थे, तब उन्होंने रो रहे शिशु को चुप करने के लिए उसकी अबोध मां को बहुत गर्म आटा सिर पर रखने के सलाह दी थी। जिससे बालक का शरीर जल गया और उसकी मृत्यु हो गई थी। उसी का फल गजसुकुमाल मुनि को भुगतना पड़ा था।

जैन मुनि ने कहा कि हम पुण्य करते समय तो सोचते हैं कि उसका फल हमें अच्छा मिलेगा, लेकिन पाप  करते समय उसके परिणाम को याद नहीं करते। यदि ऐसा हो जाए तो लोग पाप करना ही छोड़ देंगे। उन्होंने यह भी कहा की जीवन जीने का उद्देश्य बना  लीजिए,  तो जीवन का मार्ग सरल होगा और सफलता भी मिलेगी।

 

पर्यूषण पर्व के चौथे दिन शनिवार की धर्म सभा में उमा जैन एवं अनिता जैन की 8 उपवास की तपस्या पूर्ण होने पर उन्होंने पारणा कर लिया। अभी नीतू जैन, दयालबाग की 12 उपवास, सुमित्रा सुराना की 7 उपवास, अनौना दुग्गर, महेंद्र बुरड़ की 6 उपवास, अंशु दुग्गर की 5 उपवास, सुनीता दुग्गड़, पद्मा सुराना, मनीष लिघे, निकिता मनानिया एवं हिमांशु  मनानिया की 4 उपवास की तपस्या चल रही है। आयम्बिल की लड़ी में मधु बुरड़ की 4 आयम्बिल एवं बालकिशन जैन, लोहामंडी की 16 आयंबिल की तपस्या चल रही है।

 

रविवार की धर्म सभा में जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र महाराज का केश लोचन एवम नन्हे बच्चों के लिए वर्धमान जीवन चरित्र दर्शन आयोजन (फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता) का आयोजन किया जाएगा।जिसमें बच्चे भगवान महावीर के बाल्यकाल जीवन से संबंधित विभिन्न रूप में तैयार होकर  अपना एक्ट, भजन, कविता आदि प्रस्तुत करेंगे।

 

नवकार मंत्र का 24 घंटे का अखंड जाप का आयोजन जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र महाराज, पुनीत मुनि एवं विराग मुनि के सानिध्य में महावीर भवन जैन स्थानक में  31 अगस्त तक पर्यूषण पर्व के पावन अवसर पर निरंतर जारी है। प्रात: 6:00 से सायं 6:00 बजे तक महिलाओं द्वारा जाप किया जा रहा है। सायं 6:00 से प्रातः 6:00 बजे तक होने वाले अखंड जाप में  पुरुष भाग ले रहे है।24 अगस्त से 31 अगस्त तक अंतगड सूत्र वाचन प्रतिदिन  प्रातः 8:30 बजे से हो रहा है। पर्यूषण पर्व पर पुरुषों का प्रतिक्रमण महावीर भवन एवम महिलाओं का सुराना भवन में शाम 7:00 से 8:00 बजे तक प्रतिदिन चल रहा है।

Dr. Bhanu Pratap Singh