Agra, Uttar Pradesh, India. कोविड-19 महामारी की एक महान उपलब्धि ’’वर्क फ्रॉम होम कल्चर’’ की हम सराहना करते हैं। प्राप्त परिणामों से यह सिद्ध हो रहा है कि यह कल्चर भारतीय अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ बनाने में बहुत प्रभावी होगी। इससे कंपनियों पर आर्थिक भार में कमी आई है और कार्य करने के घंटों में भी वृद्धि हुई है। फलस्वरूप, उत्पादन में भी वृद्धि हुयी है। इस संस्कृति को अपने देश में बढ़ावा देने की अत्यंत आवश्यकता है। इस बारे में नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, यूपी, आगरा के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल अध्यक्ष एवं चेयरमैन शहरी विकास एवं नागरिक सुविधा सीताराम अग्रवाल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को पत्र लिखा है। यहां हम प्रस्तुत कर रहे हैं पूरा पत्र-
हमें बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि आपके प्रभावशाली नेतृत्व में देश ’’डिजिटल इंडिया’’ के माध्यम से महापरिवर्तन की ओर तेजी से बढ़ रहा है। किंतु भारत जैसे विशाल राष्ट्र को डिजिटल इंडिया के रूप में स्थापित करने के लिए संसाधन बढ़ाने की महती आवश्यकता है। ’’वर्क फ्रॉम होम कल्चर’’ के सन्दर्भ में यह देखा जा रहा है कि गत 20-25 वर्षों में यह संस्कृति केवल 10-15 शहरों के अन्तर्गत ही केंद्रित हो सकी है, जिनमें मुख्य रुप से बैंगलोर, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, गुड़गांव, नोएडा, जयपुर, मुंबई, पुणे आदि है।
वर्तमान में वर्क फ्रॉम होम कल्चर बहुत ही महत्वपूर्ण है और आज के शिक्षित युवा वर्ग की रुचि इस संस्कृति में बहुत अधिक देखी जा रही है। किन्तु सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधाओं के अभाव में विभिन्न शहरों एवं दूर-दराज ग्रामीण अंचल से शिक्षित युवा वर्ग आजीविका अर्जित करने के लिए उपरोक्त शहरों में जहां सूचना प्रौद्योगिकी की प्रचुर सुविधा है, पलायन होते रहते हैं जिसके फलस्वरूप देश के कोने कोने से प्रतिभा पलायन होने से जो विकास कार्य पूरे देश में होना था वह विकास कार्य कुछ शहरों में ही केंद्रित हो गया है। इसके अन्य दुष्परिणाम ये भी हैं कि उपरोक्त सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधा से युक्त शहर अधिक भीड़भाड़ वाले, प्रदूषण वाले और अधिक महंगाई वाले शहर बन गए हैं। जिससे इन शहरों में स्थित कंपनियों पर मंहगे वेतन पर कर्मचारी मिलने से आर्थिक भार अधिक होता है और इनके मंहगे उत्पाद पूरे देश में मंहगाई बढ़ाते हैं।
हमारा सुझाव है कि पूरे देश में सिर्फ इंटरनेट आदि की सेवाएं अच्छी तरह कर दी जाएं तो शहरों एवं ग्रामीण अंचल की प्रतिभा पलायन रुकेगा और युवा वर्ग अपने शहर, कस्बा/ग्राम से ही कार्य कर सकेगा। जिससे उपेक्षित क्षेत्रों का भी शत प्रतिशत विकास हो सकेगा एवं अर्जित धनराशि का अधिकांश भाग उसी शहर/कस्बे/ग्राम में व्यय होगा।
साथ ही साथ ऐसा शिक्षित युवा अपने क्षेत्रों के लोगों को शिक्षित करने में भी सहयोगी हो सकेगा जिससे अपने देश में तकनीक और डेटा के लिए युवा बेहतर शिक्षित हो सकेंगे जैसा कि आईबीएम के सीईओ श्री अरविन्द कृष्ण ने परामर्श दिया था । संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थाई प्रतिनिधि रहे डिप्लोमैट सैयद अकबरुद्दीन ने भी देश में डिजिटल फ्यूचर के लिए हो रहे निवेश पर खुशी जताते हुए कहा था कि भारत के डिजिटल फ्यूचर के लिए निवेश उमड़ पड़ा है। अतः देश में वर्क फ्रॉम होम कल्चर को बढ़ावा देने का यही सही व उचित समय है। इससे रोजगार सृजन के अवसर स्वतः ही बढ़ने लगेंगे। बड़े शहर अधिक भीड़भाड़ से बच सकेंगे। ट्रैफिक एवं प्रदूषण कम होगा और महंगाई इन शहरों में स्वतः ही नियंत्रित हो सकेगी। देश की अर्थ-व्यवस्था को तेज गति प्राप्त होगी।
निवेदन है कि पूरे देश में इंटरनेट सेवाओं का बेहतरीकरण किया जाए साथ ही साथ वर्क फ्रॉम होम कल्चर को तेजी से प्रोत्साहित किया जाए। इसका एक बहुत बड़ा लाभ यह भी होगा कि रोजगार सृजन हेतु प्रतिभा पलायन में कमी आएगी जिससे सामाजिक विघटन रुकेगा, अपराधों में भी कमी आएगी।
हम आपका ध्यान आकर्षित करना चाहेंगे कि नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, यूपी, आगरा सन 1949 से कार्यरत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक शीर्ष संघीय एवं पंजीकृत संस्था है जो उद्योग एवं व्यापार के हित में कार्य करती है। इस संस्था से लगभग 1600 से भी अधिक प्रतिष्ठित औद्योगिक एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं जो आगरा एवं आसपास के जनपदोंध्शहरों में स्थित हैं। इस चेंबर से लगभग 25 एसोसिएशन भी संबद्ध संस्था के रूप में जुड़ी हुई हैं। चैम्बर से अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ एवं गूढ़ अनुभवी सदस्यों को राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न सलाहकार समितियों में नामित किया जाता है तथा उनके द्वारा भेजे गए सुझावों पर सरकार द्वारा नीति निर्धारण में विचार किया जाता है। यह संस्था उपरोक्त कार्य में अपने स्तर पर सरकार को देशहित में भरपूर सहयोग देने को तत्पर है।
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