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संगीत नक्षत्र पं. केशव रघुनाथ तलेगांवकर को संगीतमय सुमनांजलि

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL

Agra, Uttar pradesh, India. अंतरराष्ट्रीय संगीत क्षितिज के दैदीप्यमान नक्षत्र, दिव्य आत्मा पं. केशव रघुनाथ तलेगांवकर के पुण्य स्मरण में नाद गीता प्रवाह एवं संगीत सुमनांजलि वर्चुअली दी गई। कार्यक्रम का संगीत कला केंद्र आगरा के फेसबुक पेज पर सजीव प्रसारण किया गया।

शंख घोष से हुआ शुभारंभ

कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था की गुरु मां एवं पं. केशव जी की धर्मपत्नी श्रीमती प्रतिभा ने दीप प्रज्ज्वलन एवं तलेगांवकर के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया। शुभ्रा ने मां सरस्वती श्लोक का गायन एवं प्रतिभा ने शंख घोष द्वारा कार्यक्रम को विधिवत प्रारंभ किया। नाद गीता प्रवाह में आर्य समाज के धर्माचार्य पं. अशोक कुमार शास्त्री ने गीता का पारस्परिक संबंध नाद वेद एवं संगीत के साथ संबंध की व्याख्या की। जीवन दर्शन एवं संगीत के बारे में चिन्तन के माध्यम से केशव तलेगांवकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रशिक्षित शिष्यों ने दी संगीत सुमनांजलि

कार्यक्रम की अगली श्रृंखला में संगीत कला केंद्र के अन्तर्गत केशव तलेगांवकर के प्रशिक्षित शिष्यों एवं तलेगांवकर परिवार के सदस्यों द्वारा संगीत सुमनांजलि प्रस्तुत की। गणपति स्तुति गौरव एवं गोपाल द्वारा, भजन कु. रिचा आर्य, नंदिनी परमार, सौम्या, नैना तलेगांवकर, श्रीवर्धन तलेगांवकर, गौरव गोस्वामी एवं श्री दीपक मठकर द्वारा, काव्य पाठ दिव्यांशी मठकर, आरोही तलेगांवकर, दीपन मठकर द्वारा प्रस्तुत किया गया। पं. केशव की बहन डॉ. मंगला तलेगांवकर द्वारा सितार वादन में राग हेमंत की प्रभावशाली प्रस्तुति दी गई। केशव तलेगांवकर के लघु भ्राता डॉ. लोकेन्द्र तलेगांवकर ने स्वतंत्र तबला वादन में ताल तीनताल की प्रस्तुति दी।

रागों की प्रस्तुति

पं. केशव द्वारा रचित तराना प्रहर में विभिन्न रागों के अन्तर्गत उनके शिष्यों हर्षित आर्य, गोपाल मिश्र, आदित्य श्रीवास्तव एवं शुभम शर्मा द्वारा सुंदर प्रस्तुति की गई। तबले पर हर्ष कुमार ने संगति की। पवन कुमार ने स्वतंत्र तबला वादन प्रस्तुत कर अपने गुरु को लयांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के अगले चरण में पं. रवीन्द्र तलेगांवकर ने हारमोनियम पर सुमधुर प्रस्तुति में राग कृष्ण कौंस की अवतारणा की।

पुत्री और भाई की भावांजलि

केशव तलेगांवकर की सुपुत्री शुभ्रा तलेगांवकर ने उनके द्वारा रचित विलक्षण बंदिशें राग बागेश्री, पूरिया कल्याण, झिंझोटी, कल्याण, जोग, हंसध्वनि की अलभ्य आलौकिक बंदिशों की विभिन्न तालों में प्रभावशाली प्रस्तुति की। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में डॉ. गिरीन्द्र तलेगांवकर ने राग जयजयवंती चारुकेशी एवं भैरवी में भजन से अपने अग्रज भ्राता को भावांजलि अर्पित की।

आभार जताया
संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन श्री कृष्ण ने, अनुपम चटर्जी एवं अभिनव जोशुआ ने ऑनलाइन प्रसारण का सफलता पूर्वक निर्वहन किया। अनिल वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन एवं शुभ्रा तलेगांवकर ने रसिकों को आभार दिया।