Agra, Uttar Pradesh, India. डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल उस समय चौंक गए जब उन्हें ज्ञात हुआ कि मीराबाई का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। प्रोफेसर अशोक मित्तल ने कहा कि यद्यपि बचपन से ही मीरा को पढ़ते रहे हैं। सुनते रहे किन्तु उनका जन्मदिन शरद पूर्णिमा पर होता है, इसका भान नहीं था।
मीरा एक उपन्यास का विमोचन
कुलपति डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कम्युनिटी रेडियो 90.4 ‘आगरा की आवाज’ एवं साहित्य संगीत संगम आगरा के संयुक्त तत्वाधान में भक्त कवयित्री मीराबाई के जन्म दिवस की पूर्व बेला में आयोजन जेपी सभागार खंदारी में आयोजित भव्य समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर सुशील सरित की नवीनतम कृति “मीरा एक उपन्यास “का विमोचन करते हुए कहा कि इस कृति से मीरा के संबंध में बहुत सारे तथ्य और सत्य सामने आएंगे।

पहली बार हुआ इस तरह का आयोजन
आयोजन का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित य कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल ने किया। साथ मे डॉ. (कर्नल) अंजनी कुमार मिश्र, कुलसचिव एसएस यादव, श्रीकृष्ण, डॉ. राजेंद्र मिलन, लेफ्टिनेंट कर्नल राजेश चौहान व कम्युनिटी रेडियो के निदेशक प्रो. लवकुश मिश्र भी रहे। प्रोफेसर लवकुश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रथम बार अपने विश्वविद्यालय द्वारा मीराबाई के जन्म दिवस पर कोई कार्यक्रम आयोजित करना हम सबके लिए सौभाग्य की बात है ।
मीरा के भजन
इसके उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम” मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ” का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना पर नृत्य प्रस्तुत कर आरती ने किया । पदों का गायन प्रारंभ हुआ। सुशील सरित ने आली माह्ने लागे वृंदावन नीको, मीई री मैंने लिए गोविंदा मोर, मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई पद प्रस्तुत किए। सुभाष सक्सेना ने दरस बिन तरसत नैन हमारे, -गली तो चारों बंद हो गई मैं पी से मिलूं कैसे जाय और पूजा तोमर ने जो तुम तोड़ो पिया मैं नहीं तोड़ूं.. पायो जी मैंने राम रतन धन पायो प्रस्तुत किए।

समूह नृत्य
उसके उपरांत एक समूह गीत ‘कैसी जादू डारी’ की प्रस्तितु हुई। सुशील सरित, सुभाष सक्सेना, पूजा तोमर और आरती माल्या ने नृत्य सहित प्रस्तुत किया। तबले पर संगत परमानंद शर्मा ने की। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. मनोज यादव, कुलदीप यादव, जितेन्द्र भारद्वाज, तरुण श्रीवास्तव व प्रवेश मिश्र ने सहयोग दिया।
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