मथुरा वृन्दावन रेल लाइन का परिवर्तन समस्या या समाधान

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मथुरा और वृन्दावन के बीच चलने वाली रेलवे की नयी व्यवस्था के वारे में कुछ वात कर लें। जानकारी के अनुसार इस रेलवे लाइन का निर्माण वृन्दावन स्थित राधा माधव जयपुर मंदिर के निर्माण के लिए उस समय पत्थरों की ढुलाई के लिए किया गया था। करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले मथुरा-वृंदावन के बीच यह मीटर गेज रेल लाइन डाली गयी थी, कुछ सालों के वाद यह इतिहास में यादगार बन कर रह गई।

जयपुर घराने के राजा सवाई माधव सिंह (द्वितीय) द्वारा वृंदावन में जयपुर मंदिर (राधा माधव) का निर्माण कराया गया था। इसके लिए 1905 से 1908 के बीच जयपुर और धौलपुर से लाल पत्थरों की ढुलाई के लिए राजा सवाई माधव सिंह द्वारा तत्कालीन ब्रिटिश शासकों से विशेष अनुमति लेकर यह मीटर गेज लाइन बिछाई गई थी। मंदिर परिसर में ही अस्थायी रूप से स्टेशन भी बनाया गया था। राधा माधव मंदिर के निर्माण में रेल से पत्थरों की ढुलाई के कारण मंदिर का निर्माण 23 मई 1917 में पूरा हुआ और इस अवसर पर ठाकुरजी का पाटोत्सव मनाया गया। इस मंदिर के निर्माण में 40 वर्ष का समय लगा था।

इस रेल लाइन को अब डेढ़ सौ वर्ष के वाद गेज परिवर्तन करने का काम उत्तर मध्य रेलवे ने शुरू किया। यह रेलवे लाइन मथुरा वृंदावन के बीच 12 किलोमीटर के मीटर गेज रेल ट्रैक के रूप में थी, जिस पर कभी वृन्दावन से बैशाली एक्सप्रेस नोर्थ बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेषन तक सवारी गाड़ी के रूप में अप एण्ड डाउन किया करती थी तथा मालगाड़ी भी वृन्दावन के कुछ व्यापारियों के लिए नोर्थ बंगाल से कुछ माल लेकर आती व जाती थी।

दिलचस्प बात यह है कि वृन्दावन में नगरवासी कुंज, छोटे पागल बाबा मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए गौर कृष्ण दास उर्फ सुरेस्वरानन्द जी ने सन् 1963 में प्रथम बार एक दुर्गा की प्रतिमा को जलपाईगुड़ी से बनवा कर यहां पूजा के लिए मंगाई थी। मंदिर के सेवायत नवद्वीप दास ने बताया कि मूर्ति प्रतिवर्ष वृन्दावन इसी ट्रेन के लगेज में लाई जाती रही, सन् 2000 के बाद मूर्ति अब यहां नहीं आती है, क्यों कि अब सवारी गाड़ी व माल गाड़ी का चलन इस रूट पर बन्द कर दिया गया।

इसके कुछ समय के बाद इस रेल रूट पर बैटरी से चलने वाली दो डिब्बों की रेल बस को शुरू किया गया जिसे तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने शुरू किया था। कुछ समय तक ठीक से चलने के बाद आयदिन इसमें खराबी आने लगी। कभी इसे चालू किया जाता फिर खराब होने पर बन्द कर दिया जाता था। रेल बस दिन में केवल तीन चक्कर लगाती थी, तथा इसमें एक समय में 72 से अधिक यात्रियों को नहीं ले जाया जा सकता था। इसलिए दोनों शहरों के बीच पूरे यातायात का भार मथुरा-वृंदावन मार्ग पर पड़ने लगा। इस स्थिति को देखते हुए यातायात को आसान बनाने की दृष्टि से एक अन्य विकल्प को विकसित करना अत्यावश्यक हो गया।

अब मथुरा-वृंदावन रेल लाइन को डबल रोड के रूप में बदला जाएगा, साथ ही एलिवेटेड को ट्विन मेट्रो ट्रैक के रूप में विकसित किये जाने की योजना है। मथुरा-वृंदावन मेट्रो जो भाजपा सांसद (मथुरा) हेमा मालिनी का लंबे समय से सपना रहा है, जल्द ही यह वास्तविकता बदलने जा रही है। इसके लिए रेल मंत्रालय और संबंधित अधिकारियों ने कम उपयोग में आ रही मथुरा-वृंदावन रेल लाइन को डबल रोड में बदलने और एलिवेटेड पाथवे को मेट्रो ट्रैक के रूप में विकसित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
श्रीमती हेमा मालिनी और ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के उपाध्यक्ष शैलजा कांत मिश्रा ने रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल को मथुरा वृन्दावन में अनियंत्रित यातायात के समाधान के रूप में मेट्रो चलाने का प्रस्ताव दिया था, जो मथुरा और वृंदावन के बीच यात्रा को असुविधाजनक और कम समय लेने वाला बनाना है। यूपी के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री वर्तमान विधायक श्री श्रीकांत शर्मा ने उनसे ‘ब्रज हेरिटेज मेट्रो ट्रेन कॉरिडोर’ पर भी चर्चा की थी। मंत्रालय से मंजूरी अनिवार्य थी क्योंकि संपत्ति रेलवे की है।

रेल भूमि विकास प्राधिकरण (दिल्ली) के अधिकारी अंजनी कुमार और आगरा के डीआरएम ने स्थिति और परियोजना के दायरे का अध्ययन करने के लिए जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की जिसमें यह निर्णय लिया गया कि रेल लाइन को डबल रोड में बदल दिया जाएगा, साथ ही एलिवेटेड का उपयोग मेट्रो के लिए किया जाएगा। मेट्रो के दो ट्रैक मथुरा और वृन्दावन के बीच आने-जाने से सहायता मिलेगी।

मथुरा के लोगों के लिए मेट्रो की सवारी अपने आप में एक आकर्षण के रूप में देखा जा रहा है जो यात्रियों को मथुरा-वृंदावन के प्रतिष्ठित मंदिरों जैसे श्री कृष्ण जन्मस्थान, बिड़ला मंदिर और पागल बाबा मंदिर को उपर से देखने का अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा, मेट्रो लाइन के दोनों ओर जहां स्टेशनों की योजना है, वहां शॉपिंग मॉल और पार्किंग सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।

मथुरा वृंदावन के बीच रेल ट्रैक 12 किमी. का है
मथुरा वृंदावन के बीच करीब 12 किलोमीटर का रेल ट्रैक है। इस मीटर गेज को परिवर्तित करने के लिए रेलवे ने प्रोजेक्ट तैयार कर काम भी शुरू कर दिया था। रेलवे द्वारा तैयार प्रोजेक्ट के अनुसार इस ट्रैक के ब्रॉड गेज में कन्वर्ट करने के दौरान 2 आरओबी, 17 आरयूबी के अलावा 23 छोटे ब्रिज भी बनाए जाने की योजना थी। इस ट्रैक पर 6.6 किलोमीटर का एलिवेटेड इंबैंकमेंट ट्रैक रहेगा इसके अलावा 4.5 किलोमीटर लेबल ट्रैक बनाया जायेगा यानी जमीन के लेबल पर बनाया जाता फिलहाल इसका काम बन्द करा दिया गया है।

2 स्टेशनों के साथ 4 हॉल्ट स्टेशन भी बनाए जाने थे
मथुरा वृंदावन के बीच गेज ट्रैक परिवर्तन के बाद इस रूट पर 4 हॉल्ट स्टेशन के साथ 2 रेलवे स्टेशन बनाए जाने की योजना थी। मथुरा जंक्शन से शुरू होने वाले इस रेल ट्रैक पर पहला हॉल्ट स्टेशन शिव ताल पर होता। इसके बाद श्री कृष्ण जन्मस्थान और फिर मसानी पर क्रॉसिंग रेलवे स्टेशन बनाया जाना था। यहां से आगे चामुंडा देवी मंदिर के पास और चैतन्य बिहार वृन्दावन में हॉल्ट स्टेशन बनना था। अंत में वृंदावन स्टेशन टर्मिनल विकसित करने की योजना थी।

गेज ट्रैक परिवर्तन का काम जनवरी 2023 सें शुरू हो चुका था

गेज कन्वर्ट करने का काम 14 जनवरी 2023 से शुरू किया गया था। 10 चरण में शुरू होने वाले इस गेज परिवर्तन का काम 14 जनवरी 2025 को काम पूरा किया जाना था। इसके लिए अर्थ वर्क और ब्लैंकेटिंग का काम शुरू किया गया। यह काम 15 जुलाई 2024 तक पूरा होना था। तथा मार्च 2023 से सितम्बर 2024 तक पुल बनाने का काम भी पूरा करना था। स्टेशन की इमारत और प्लेटफार्म बनाने का काम भी इसी दौरान पूरा किया जाना था।

ट्रैक लिंक करने का काम फरवरी 2024 से नवम्बर 2024 तक किया जाना था। इस ट्रैक पर विद्युतीकरण भी किया जाना था। यह काम अप्रैल 2023 से शुरू होकर दिसंबर 2024 तक पूरा करना था। इस दौरान सिगनल और टेलीग्राफ सिस्टम पर भी काम किया जाना था। इसके बाद टेस्टिंग, ट्रायल आदि का काम जनवरी 2025 तक पूरा कर लिये जाने की योजना थी, यानी 2 साल के भीतर गेज परिवर्तन कर रेलवे इस ट्रैक को पूरी तरह से चालू कर देता।

श्रद्धालुओं को मिलती सुबिधाएं स्थानीय व्यापारियों को होता फायदा
गेज परिवर्तन होने के बाद मथुरा वृंदावन आने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिलती। अभी श्रद्धालु मथुरा जंक्शन स्टेशन पर उतरते हैं और उसके बाद वह विभिन्न माध्यम से वृंदावन तक आते हैं। वृंदावन स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेन शुरू होने से न केवल श्रद्धालुओं को राहत मिलती बल्कि स्थानीय लोगों और स्थानीय व्यापारियों को भी पुनः सहूलियत मिल सकती थी। मथुरा वृंदावन में करोड़ों श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन करने आते हैं। इस ट्रैक के परिवर्तन के बाद श्रद्धालुओं को जहां राहत मिलने की सम्भावना थी वहीं शहर में लगने वाले जाम की समस्या से भी निजात मिल सकती थी।

रेलवे वंदे भारत की तरह की ट्रेन चलाने की योजना बना रहा था
रेलवे मथुरा वृंदावन के बीच कम कोच की वंदे भारत जैसी ट्रेन चलाने की योजना बना रहा था। इसके साथ ही वृंदावन स्टेशन से लंबी दूरी की भी कुछ ट्रेन चला कर श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को भी सुबिधा मिल सकती थी। हालांकि मथुरा वृंदावन के बीच चलने वाली ट्रेन के नाम और इसकी टाइमिंग क्या होती इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया। मथुरा वृन्दावन के मध्य गेज परिवर्तन कर रेलवे ट्रैक को पूरी तरह से चालू करने में 402 करोड़ 88 लाख के इस गति शक्ति प्रोजेक्ट पर उत्तर मध्य रेलवे ने काम करना शुरू कर दिया था कुछ लोगों को यह विकास कार्य रास नहीं आया और विरोध के चलते फिलहाल इस योजना को ब्रेक लग गया है।

रेलवे को पूरे ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र को रेल ट्रेक से जोड़ना चाहिए
रेलवे को ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में पड़ने वाले पडाव स्थलों को जोड़कर तीन फेज में मेट्रो की तर्ज पर पिलर्स डाल कर यहां भी मेट्रो चलाने की योजना बनानी चाहिए। प्रथम फेज में मथुरा से वृन्दावन तक मेट्रो ट्रेक डालने पर विचार किया जाना चाहिए। दूसरे चरण में वृन्दावन से राधाकुण्ड़ बरसाना होते हुए गोवर्धन से मथुरा तक मेट्रो ट्रेक डालना चाहिए, तीसरे चरण में मथुरा से गोकुल महावन बलदेव होकर वृन्दावन तक का मेट्रो ट्रेक विकसित किया जाना चाहिए। जिससे रेलवे को अत्यधिक आय का अवसर मिलेगा, क्यों कि मथुरा वृन्दावन में प्रतिवर्ष करोड़ों श्रद्धालु यहां आते हैं तथा ब्रज के सभी प्राचीन धार्मिक व आस्था के केन्द्रों में जहां-जहां श्रीकृष्ण राधारानी की लीला स्थलियों का दर्शन करते हैं। इस योजना से रेलवे को भारी लाभ का अनुमान लगाया जा सकता है तथा मथुरा वृन्दावन तथा ब्रजचौरासी कोस परिक्रमा का विकास भी सम्भव है जिससे रोजगार की अपार सम्भावनाओं की आषा की जा सकती है।