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कोरोना में फेफड़ों के संक्रमण से बचना है तो करें ये अभ्यास, जानें सही विधि

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Agra, Uttar Pradesh, India. कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है। बड़ी संख्या में लोगों को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत हुई है। सांस लेने की तकलीफ एक लक्षण के तौर पर देखा गया है। इसलिए लोगों को सांस रोकने का व्यायाम करना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी यह सलाह दी है। कोरोना के 90 प्रतिशत मरीज फेफड़ों में तकलीफ का अनुभव करते हैं, लेकिन यह गंभीर समस्या नहीं है। 10-12 प्रतिशत लोगों में निमोनिया विकसित हो जाता है।

सांस रोकने में समस्या तो डॉक्टर से मिलें

 एसएन मेडिकल कॉलेज के वक्ष रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि सांस रोक कर रखने का अभ्यास एक ऐसी तकनीक है, जो मरीज की ऑक्सीजन आवश्यकता को कम कर सकती है और उन्हें अपनी स्थिति की निगरानी करने में मदद दे सकती है। यदि सांस रोक कर रखने के समय में कमी होने लगती है, तो यह इस बात का संकेत है और मरीज को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि मरीज सांस रोक कर रखने के समय में धीरे-धीरे वृद्धि करने में सक्षम होता है तो यह सकारात्मक संकेत है। स्वस्थ व्यक्ति भी सांस रोक कर रखने का अभ्यास कर सकते हैं। यह अभ्यास उन्हें अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करेगा।

क्या है सही विधि

सीधा बैठें और अपने हाथों को जांघों पर रखें।

अपना मुंह खोलें और सीने में जितना अधिक वायु भर सकते हैं भरें।

 अपने होठों को कस कर बंद कर लें।

 अपनी सांस को जितना अधिक समय तक रोक कर रख सकते हैं रोकें।

 जांचें कि आप कितने समय तक अपनी सांस रोक कर रख सकते हैं।

कितनी देर करना है अभ्यास

मरीज एक घंटे में एक बार यह अभ्यास कर सकते हैं और धीरे-धीरे प्रयास करके सांस रोक कर रखने का समय बढ़ा सकते हैं। 25 सेकेंड और उससे अधिक समय तक सांस रोक कर रखने वाले व्यक्ति को सुरक्षित माना जाता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादा जोर न लगे और इस प्रक्रिया में थकान न हो जाए।  

डॉक्टर से संपर्क करें

उन्होंने बताया कि पहली लहर में सबसे अधिक लक्षण बुखार और कफ था। दूसरी लहर में दूसरे किस्म के लक्षण दिख रहे हैं, जैसे गले में खराश, नाक बहना, आंखों में लाली, सिरदर्द, शरीर में दर्द, चकत्ते, मतली, उल्टी, दस्त। मरीज को बुखार का अनुभव तीन-चार दिनों के बाद होता है। तब मरीज जांच के लिए जाता है और इसकी पुष्टि में भी समय लगता है। इसलिए कोविड-19 की पुष्टि होने तक संक्रमण पांच से छह दिन पुराना हो जाता है और फेफड़े पहले ही प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए खराश होने पर अपने डॉक्टर से तत्काल सलाह लें।

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