क्षमा मांगने वाला सहनशील और क्षमा करने वाला संस्कारीः राजकुमार जैन
अपने मन की गांठ खोलें और जिनसे मनमुटाव है, उनसे क्षमा मांगें: सुशील जैन
दादाबाड़ी के 24 जिनालय में राजेंद्र सूरी महिला मंडल ने स्नात्र पूजा कराई
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि राजस्थान के सिरोही के समीप स्थित बामनवाडज़ी में ध्यान में बैठे भगवान महावीर को एक ग्वाला अपनी गाय की संभाल के लिए कहकर गया। ग्वाला को लगा कि उन्होंने सुन लिया। जब वह लौटा तो उसकी गाय नहीं थी। उसने भगवान महावीर से पूछा तो उसे जवाब नहीं मिला। इस पर क्रोधित ग्वाला ने भगवान महावीर के कान में कील ठोक दी। इसके बाद भी भगवान महावीर ने ग्वाला को क्षमा कर दिया। चंदनबाला, धर्मरुचि, रज मुनि आदि ने प्राण देकर भी अहिंसा व्रत नहीं छोड़ा। तभी तो क्षमा को जैन धर्म का प्राण कहा जाता है।
इसी भावना से श्वेतांबर जैन समाज ने दादाबाड़ी में सामूहिक क्षमावाणी पर्व मनाया। एक दूसरे से विनम्रता के साथ क्षमा याचना की और क्षमा किया। जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक श्री संघ के निवर्तमान अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बातचीत के दौरान क्रोध होने पर द्वेष भाव होता है। इसमें क्रोध करने वाले का ही नुकसान होता है। क्षमा मांगने वाला सहनशील और क्षमा करने वाला संस्कारी होता है।
उन्होंने कहा कि हमें परमात्मा महावीर के सिद्धांत अनेकांतवाद का अनुपालन करना चाहिए। परमात्मा ने कहा है कि हो सकता है मैं जो कह रहा हूं वह भी सही हो और जो आप जो कह रहे हैं वह भी सही हो सकता है।
श्री जैन ने कहा कि हम जिनके बहुत करीब होते हैं उन्हीं से हमारा द्वेष भाव सबसे अधिक होता है। इसलिए हमें सर्वप्रथम बिना अपराध बोध के उनसे उनसे क्षमायाचना करनी चाहिए। उसके बाद 84 लाख जीव योनियों से। उन्होंने सकल श्री संघ से अपनी और अपने परिवार की ओर से क्षमा याचना की।

स्थानकवासी लोहामंडी समिति के महामंत्री सुशील जैन ने कहा कि पर्यूषण पर्व में तप, त्याग, तपस्या से मन सरल हो जाता है तो अंत में क्षमावाणी होती है। भगवान महावीर को महावीर इसलिए कहते हैं कि उन्होंने कान में कील ठोकने वाले को भी क्षमा कर दिया था। जो क्षमाशील है, वही अपने नाम के साथ वीर लगा सकता है। क्षमावाणी पर्व पर अपने मन की गांठ खोलें और जिनसे मनमुटाव है, उनसे क्षमा मांगें। हम अपने परिचितों या जिनसे कोई काम है, उनसे क्षमा मांगते हैं और मनमुटाव रखने वालों से मुँह फेर लेते हैं।

इससे पहले कलिकुंड पार्श्वनाथ परमात्मा के 24 जिनालय में श्री राजेंद्र सूरी महिला मंडल की सदस्याओं ने बहुत ही भक्ति भाव से भजनों के साथ शांति स्नात्र पूजा करायी। भजन नृत्य के साथ भक्ति भाव देखते ही बनता था। परमात्मा के प्रति श्रद्धा का भाव उमड़ रहा था। जैन श्वेतांबर महिला मंडल की सदस्याओं ने भी साथ दिया। श्रावक श्राविकाओं ने भी स्नात्र पूजा की।
दादाबाड़ी ट्रस्ट के सचिव शरद चौरड़िया ने संचालन करते हुए कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण है। कार्यक्रम में वयोवृद्ध उत्तमचंद, नरेश कुमार, सुभाष, दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय दूगड़, श्वेतांबर जैन पत्रिका के संपादक बृजेंद्र लोढ़ा मंचासीन रहे। जैन इतिहास के जानकार दुष्यंत लोढ़ा ने भजन के माध्यम से क्षमा के लिए बलिदान देने वाले जैन मुनियों की जानकारी दी। सभी ने एक साथ स्वधर्मी वात्सल्य भोज का आनंद लिया।
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इस मौके पर चिंतामणि ट्रस्ट के अध्यक्ष अजय चौरड़िया, राजेंद्र धारीवाल, दिनेश, संजय चौरड़िया, हर्षित कोठारी, प्रवीन, विपिन, शैलेंद्र बरड़िया, वीरेंद्र, रोहित बोहरा, जितेंद्र, देवेंद्र गांधी, आयुष, संचित, नितिन ललवानी, केके कोठारी, अजय कोठारी आदि की उप
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