वायु प्रदूषण: आगरा की जहरीली हवा पर खिंची लकीरें, सुप्रीम कोर्ट के बाद एनजीटी भी सख्त

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आगरा की हवा लगातार ज़हरीली होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग स्टेशनों के आंकड़ों से कथित छेड़छाड़ पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को फटकार लगा चुका है और नोटिस भी जारी कर चुका है। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल किए गए हलफनामे में ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) अथॉरिटी के चेयरमैन शैलेंद्र कुमार सिंह ने स्वीकार किया है कि शहर में प्रदूषण बढ़ा है।

एनजीटी में एयर एक्शन प्लान पर दायर याचिका संख्या 680/2023 में टीटीजेड की ओर से दाखिल हलफनामे में 6 ऑटोमेटिक एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों के पाँच साल के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इन आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही सवाल उठा चुका है। हलफनामा बताता है कि हालांकि लंबे समय में प्रदूषण घटने के दावे किए गए, लेकिन वर्ष 2023 की तुलना में 2024–25 में कई महीनों में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है।

जनवरी छोड़कर बाकी महीनों में बढ़ा एक्यूआई

हलफनामे के अनुसार इस साल केवल जनवरी में प्रदूषण कम हुआ, इसके बाद लगातार महीनों में प्रदूषण के तत्वों में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2023 के मुकाबले 2025 में आठ में से पाँच महीनों में एक्यूआई बढ़ा है।

नवंबर में हवा की स्थिति चिंताजनक

नवंबर माह में यूपीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार:

2 दिन हवा अच्छी रही

24 दिन मध्यम श्रेणी में रही

4 दिन हवा बेहद खराब दर्ज की गई

पर्यावरणविदों ने सवाल उठाया है कि आगरा में दो दिन हवा बेहद खराब रहने के बाद अचानक एक्यूआई अच्छा दिखाया जाना संदिग्ध है। उनका आरोप है कि GRAP लागू करने से बचने के लिए आंकड़ों से छेड़छाड़ की जा रही है, जबकि गूगल, स्मार्ट सिटी और निजी एक्यूआई उपकरणों के आंकड़े बिल्कुल अलग हैं।

पर्यावरणविदों के आरोप

सुमीत रमन, याचिकाकर्ता ने कहा “प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े वास्तविकता से मेल नहीं खाते। गूगल व अन्य सेंसर अलग आंकड़े दिखाते हैं। हमने टीटीजेड के हलफनामे पर आपत्ति दर्ज की है।”

डॉ. शरद गुप्ता, पर्यावरणविद ने कहा “आगरा में सेंसरों पर पानी का छिड़काव कर एक्यूआई घटाकर दिखाया गया। जब तक असली आंकड़े नहीं मिलेंगे, हम बचाव कैसे कर पाएंगे?”

डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ, पर्यावरणविद ने कहा “प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बीमारी छिपा रहा है। हवा बेहतर बताई जाती है लेकिन अस्थमा और सांस के रोगियों की बढ़ती संख्या इन दावों की पोल खोल रही है।”

पाँच साल के एक्यूआई आंकड़े

माह  2023  2024  2025

जनवरी  88  121     93
फरवरी  55  72       78
मार्च     58   71       92
अप्रैल    70    70     110
मई        73    79     92
जून।        76    61    76
जुलाई      55     38    45
अगस्त     79      31    58
सितंबर।     74    42     78
अक्तूबर     108    95    115
नवंबर।      143    141    159

आंकड़े साफ बताते हैं कि आगरा की हवा साल दर साल ज्यादा प्रदूषित हो रही है। सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी के बाद अब एनजीटी में भी मामला गंभीर मोड़ ले चुका है। शहर के पर्यावरणविद मांग कर रहे हैं कि बोर्ड पारदर्शी आंकड़े जारी करे, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आए और प्रभावी कार्रवाई हो सके।

साभार – मीडिया रिपोर्ट्स

Dr. Bhanu Pratap Singh