भगवान महावीर से सीखो जीवन जीने की कला

RELIGION/ CULTURE

जैन मुनि मणिभद्र महाराज ने श्रावकों को दी सीख

राजामंडी के जैन भवन में हो रहा है वर्षा वास

Agra, Uttar Pradesh, India. मानव मिलन संस्थापक नेपाल केसरी जैन मुनि मणिभद्र महाराज ने कहा है कि जीवन जीना भी एक कला है, जो भगवान महावीर के प्रवचनों से सीखा जा सकता है। भगवान महावीर कहते हैं कि जीवन भले कम आयु का हो, लेकिन उस छोटे से जीवन से इतिहास बनाओ। लोग याद करें, एसा जीवन जीओ।

राजामंडी के जैन भवन स्थानक में हो रहे वर्षावास में प्रवचन देते हुए जैन मुनि ने कहाकि व्यक्ति को अपने मन को मजबूत बनाना होगा। व्यक्ति श्रोता तो अच्छा बन सकता है, लेकिन श्रावक नहीं। प्रवचनों में भी हम अच्छे श्रोता बनने का प्रदर्शन करते हैं। यदि हम कुछ पाने के लिए सुनेंगे तो हमें जरूर मिलेगा। इसके लिए संकल्प और समर्पण जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वयं तो बदल सकते हैं, लेकिन दूसरों को बदलना आसान नहीं है। हर व्यक्ति मोक्ष तो जाना चाहता है, पर तप नहीं करना चाहते, धार्मिक क्रियाएं नहीं करते।

एक डाकू का दृष्टांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि दुर्दांत डाकू ने अपने बेटे रोहिणी को मरते वक्त कहा कि कभी भी भगवान महावीर स्वामी के प्रवचन मत सुनना, वरना अपने पैतृक काम, डकैती को छोड़ देगा। उसने ऐसा ही किया, उसने राजगीरी क्षेत्र में आंतक फैला दिया। राजगिरी के राजा ने उसकी घेराबंदी की, तो उसके कान में भगवान महावीर के प्रवचन की कुछ पंक्तियां सुनने को मिल गईं। जिनसे वह बच गया। तब उसका मन बदल गया। यदि भगवान महावीर चार शब्द भी सैनिकों से बचा सकते हैं तो उनकी शरण में जाकर जीवन ही बदल सकता है। इसके बाद वह भगवान महावीर के शरण में ही चला गया।

जैन मुनि ने कहा कि जीवन में बदलाव के लिए आत्म जागृति की जरूरत है। उन्होंने संत और पारस अंतर बताते हुए कहा कि संत, दूसरे व्यक्ति को संत तो बना सकते हैं, लेकिन पारस पत्थर दूसरा पारस नहीं बना सकता।

इससे पूर्व जैन मुनि पुनीत महाराज ने कहा कि इंसान अपने शुभ विचारों से मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है अशुभ विचारों से नर्क पहुंच जाता है। व्यक्ति की भावना ही पार सकती है जीवन में अवरोध भी पैदा कर सकती है। इसलिए भावनाओं पर नियंत्रण जरूरी है।रविवार को डॉक्टर मणिभद्र महाराज के दर्शन करने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू भी महावीर भवन जैन स्थानक पहुंचे।आज की धर्म सभा में कोलकाता,सोनीपत, देहली,महाराष्ट्र से अनेक आए श्रद्धालु जन उपस्थित थे।महाराष्ट्र से महिला संघ का एक समूह आया था।

इस चातुर्मास पर्व में श्रुति दुग्गर की नौवें दिन की तपस्या जारी रही।सरिता सुराना का पांचवें दिन का उपवास चल रहा है।आयंबिल की तपस्या शंकुंतला जैन एवम नवकार मंत्र के जाप का लाभ संतोष हीरालाल लोहडे परिवार ने लिया।

कार्यक्रम का संचालन राजेश सकलेचा ने किया।नरेश चपलावत,सुरेंद्र चपलावत,वैभव जैन, संदेश जैन, विवेक कुमार जैन,अशोक जैन गुल्लू, सुमित्रा सुराना सहित अनेक धर्मप्रेमी उपस्थित थे।

Dr. Bhanu Pratap Singh