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भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर इसलिए हिन्दी का प्रसार जरूरीः आशा भदौरिया

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.साल 2050 में हिन्दी होगी विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा

वन्दे हिन्दी समागम’ में जुटे देश के हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता के दिग्गज

भारतीय वायु सेना के पूर्व अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया ने की शिरकत

डॉ. भानु प्रताप सिंह

आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत। आने वाला समय भारत का है। पूरी दुनिया अब हिन्दी की ओर देख रही है। उन्हें हिन्दी में अब अवसर दिखने लगा है। 100 करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिन्दी राष्ट्र ही नहीं अब अंतरराष्ट्रीय भाषा है। कुछ ऐसे ही विचार हिन्दी को राष्ट्र भाषा का स्थान दिलाने के लिए आजीवन प्रयासरत रहे स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नायक, भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती के अवसर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘वन्दे हिन्दी समागम’ के दौरान वक्ताओं के व्यक्त किए। यह कार्यक्रम डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के संस्कृति भवन में हुआ।

 

कायर्क्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार प्रो. सोम ठाकुर, भारतीय वायुसेना महिला कल्याण एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष आशा भदौरिया, भारतीय वायु सेना के पूर्व अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया, इनक्रेडिबल इंडिया फाउण्डेशन चेयरमैन पूरन डावर, आयोजन समिति चेयरमैन स्क्वाड्रन लीडर ए.के. सिंह, रोमसंस ग्रुप के एमडी किशोर खन्ना, राज्यसभा टीवी के संस्थापक संपादक राज्यसभा राजेश बादल, टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया एवं विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने किया। उद्घाटन भाषण में सोम ठाकुर ने हिन्दी को समर्पित कविता सुनाई।

 

विशिष्ट अतिथि भारतीय वायु सेना महिला कल्याण एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती आशा भदौरिया ने कहा कि भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। इसके लिए हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार जरूरी है। हिन्दी के विकास से राष्ट्र का विकास तेजी से होगा। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. तनेजा ने हिन्दी के विकास में आ रहे अवरोधों से अवगत कराया और महत्वपूर्ण सुझाव दिए। चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी माध्यम से सर्वप्रथम शोध करने वाले डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने कहा कि हिन्दी के उत्थान के लिए जरूरी है कि प्रतियोगी परीक्षाएं अंग्रेजी के साथ हिन्दी में भी हों। उन्होंने हिन्दी के लिए किए गए संघर्ष की भी जानकारी दी। पुरुषोत्तम दास टंडन के हिन्दी प्रेम से भी अवगत कराया। विषय प्रवर्तन स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने करते हुए कहा कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाना है। इस तरह के कार्यक्रम हिन्दी भाषा को गौरव प्रदान करने में सहायक होंगे। अतिथियों का स्वागत पूरन डावर ने किया। उन्होंने अंत में धन्यवाद भी दिया।

साल 2050 में हिन्दी होगी विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा ‘वन्दे हिन्दी समागम’ में जुटे देश के हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता के दिग्गज भारतीय वायु सेना के पूर्व अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया ने की शिरकत आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत। आने वाला समय भारत का है। पूरी दुनिया अब हिन्दी की ओर देख रही है। उन्हें हिन्दी में अब अवसर दिखने लगा है। 100 करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिन्दी राष्ट्र ही नहीं अब अंतरराष्ट्रीय भाषा है। कुछ ऐसे ही विचार हिन्दी को राष्ट्र भाषा का स्थान दिलाने के लिए आजीवन प्रयासरत रहे स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नायक, भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती के अवसर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘वन्दे हिन्दी समागम’ के दौरान वक्ताओं के व्यक्त किए। यह कार्यक्रम डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के संस्कृति भवन में हुआ। कायर्क्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार प्रो. सोम ठाकुर, भारतीय वायुसेना महिला कल्याण एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष आशा भदौरिया, भारतीय वायु सेना के पूर्व अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया, इनक्रेडिबल इंडिया फाउण्डेशन चेयरमैन पूरन डावर, आयोजन समिति चेयरमैन स्क्वाड्रन लीडर ए.के. सिंह, रोमसंस ग्रुप के एमडी किशोर खन्ना, राज्यसभा टीवी के संस्थापक संपादक राज्यसभा राजेश बादल, टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया एवं विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने किया। उद्घाटन भाषण में सोम ठाकुर ने हिन्दी को समर्पित कविता सुनाई। विशिष्ट अतिथि भारतीय वायु सेना महिला कल्याण एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती आशा भदौरिया ने कहा कि भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। इसके लिए हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार जरूरी है। हिन्दी के विकास से राष्ट्र का विकास तेजी से होगा। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. तनेजा ने हिन्दी के विकास में आ रहे अवरोधों से अवगत कराया और महत्वपूर्ण सुझाव दिए। चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी माध्यम से सर्वप्रथम शोध करने वाले डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने कहा कि हिन्दी के उत्थान के लिए जरूरी है कि प्रतियोगी परीक्षाएं अंग्रेजी के साथ हिन्दी में भी हों। उन्होंने हिन्दी के लिए किए गए संघर्ष की भी जानकारी दी। पुरुषोत्तम दास टंडन के हिन्दी प्रेम से भी अवगत कराया। विषय प्रवर्तन स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने करते हुए कहा कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाना है। इस तरह के कार्यक्रम हिन्दी भाषा को गौरव प्रदान करने में सहायक होंगे। अतिथियों का स्वागत पूरन डावर ने किया। उन्होंने अंत में धन्यवाद भी दिया। उद्घाटन सत्र के बाद समागम में तीन सत्रों में परिचर्चा हुई। राष्ट्र के विकास में मातृभाषा की भूमिका विषय पर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन पूरन डावर ने कहा कि मुझे गर्व होता है, जब मैं अपने कारोबारी मित्रों से हिन्दी में बात करता हूं।" उन्होंने हिन्दी को दुनिया की सबसे बेहतर भाषा बताते हुए कि हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है, जिसमें अभिव्यक्ति को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है। राज्यसभा टीवी के संस्थापक संपादक राजेश बादल ने कहा, "आजादी को बचाए रखने का माध्यम हिन्दी है। मैं आज ये बात गर्व से कह सकता हूँ कि 100 करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिन्दी राष्ट्र ही नहीं अब अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया ने कहा, "आज हिन्दी का राजस्व अंग्रेजी टीवी चैनल से ज्यादा है। हिन्दी दुनिया की तीसरी बड़ी भाषा है। हिन्दी का विकास बहुत हद तक सरकार की कार्यशैली पर भी निर्भर करता है और ये 7 से 8 साल हिन्दी के लिए स्वर्णिम युग है।" स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने कहा कि हिन्दी को को बढ़ावा देने के लिए स्कूल-कॉलेज के स्तर पर काम करना होगा। जयकार नाथ ने हिन्दी अपने आप बढ़ रही है। हिन्दी साहित्यकार डॉ. राजेन्द्र मिलन ने कहा कि हिन्दी दुनिया की सबसे प्यारी भाषा है। उन्होंने सजल सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। दूसरे सत्र में 'कल की हिंदी और आज हिंदी का भविष्य' पर अपने विचार रखते हुए इंडिया टीवी के वरिष्ठ संपादक दिनेश कांडपाल ने कहा, "जो किसी ने नहीं किया, उसे मैं करूंगा, ये मैंने उस वक्त प्रण किया, जब मुझे टीवी के लिए सेना पर एक कार्यक्रम तैयार करने के दौरान हिन्दी में कोई जानकारी नहीं मिली। इस बात से मैं इतना आहत था कि मैंने इसकी कमी को दूर करने के लिए सेना पर एक हिन्दी में किताब लिख दी, जिसका नाम 'पराक्रम' है." कार्यक्रम के दौरान इस किताब का विमोचन भी किया गया। बिजनेस वर्ल्ड हिन्दी के संपादक अभिषेक मेहरोत्रा ने अपनी राय रखते हुए कहा, हिन्दी अब आपको बाजार दे रहा है, कमाई का मौका दे रहा है। यदि कोई समस्या है तो वो शिक्षा को स्तर पर है। एम न्यूज 18 इंडिया के एसोसिएट एडिटर यतींद्र शर्मा ने कहा, "हिन्दी का आज बोलबाला है, जब हिन्दी का कोई संपादक फील्ड में जाता है तो उसके साथ सेल्फी लेनी की होड़ मच जाती है, जबकि इंग्लिश के संपादक के पास कोई नहीं जाता। उन्होंने खुलकर कहा कि पहचान अब हिंदियत की है, इंग्लिशियत की नहीं।" विचारक डॉ. सीपी राय ने कहा कि हिन्दी दिवस मनाने की कोई जरूरत नहीं है। एसजीआई के वाइस चेयरमैन वाईके गुप्ता ने कहा कि दक्षिण भारत में हिन्दी जानते हैं लेकिन बोलते नहीं हैं। मैं जब तमिलनाडु में गया तो व्यापार के लिए तमिल सीखी और हिन्दी सिखाईय़। तीसरे सत्र में ‘हिन्दी कैसे बने जन-जन की भाषा’ विषय पर विचार-विमर्श हुआ। वरिष्ठ पत्रकार अनुरंजन झा ने कहा, "आप अपने बच्चे को पिताजी के पास पहुंचा दीजिए, हिन्दी की समस्या खत्म हो जाएगी। हिन्दी की भाषा ऐसी हो, जो सहज हो सके। हिन्दी भारत की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हो चुकी है। आपको किसी भाषा को किनारा नहीं करना है, उसे आत्मसात करना है। वरिष्ठ पत्रकार शैलेश रंजन ने कहा, "बच्चे को ये भरोसा दिला सकें कि उन्हें हिन्दी पढ़ते हुए भी अच्छी नौकरी मिल सकती है, हमें हिन्दी को उस स्तर तक ले जाना होगी। इसकी शुरुआत हमें घर से ही करनी होगी। हमें हिन्दी दिवस की जरूरत नहीं। हमें इसके प्रचार प्रसार की जरूरत सभी 365 दिन है. आप अपने बच्चों को गुड मॉर्निंग की जगह सुप्रभात बोलना सिखाकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं।" डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के डीन, प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने कहा, "हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं है। यह हमारा स्वाभिमान भी है।" वरिष्ठ पत्रकार गरिमा सिंह ने कहा, "जब हम अपनी भाषा में बात करते हैं तो उसकी तान दूर तक सुनाई देती है। संस्कारशाला आपका घर है और इसकी शिक्षिका मां हैं। ये जिम्मेदारी मां को भी उठानी होगी। जरूरत है बच्चों को शुरुआत से ही हिन्दी की महत्ता बताना। " प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. सुशील गुप्ता ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा, "स्कूली स्तर पर इस माइंडसेट को दूर करने की जरूरत है। स्कूलों में इंग्लिश जरूरी विषय है, जबकि हिन्दी वैकल्पिक। हमें शिक्षकों को तैयार करना चाहिए कि वे हिन्दी में बच्चों को पढ़ा सकें। इसमें मीडिया को मदद करनी होगी। उन्हें सीबीएसई के सामने ये बात उठानी होगी।" कवि पवन आगरी ने कहा, " हिन्दी को सबसे ज्यादा समृद्ध कवि सम्मेलन ही कर रहे हैं। ये पूरी दुनिया में विख्यात हो रही है। हिन्दी को प्रचारित प्रसारित करने का बड़ा काम हिन्दी फिल्मों के गाने भी करते हैं। हिन्दी के बल पर हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। जिन्होंने भी हिन्दी के रूप में सपने को देखा है, वो जरूर पूरे होंगे।" संचालन डॉ. तरुण शर्मा ने किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के समन्वयक ब्रजेश शर्मा, महासचिव अजय शर्मा, डॉ. राम नरेश शर्मा ने किया। इस मौके पर डीन प्रो. लवकुश मिश्रा, राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश की सदस्य निर्मला दीक्षित डॉ. भानु प्रताप सिंह, शकुन बंसल असलम सैफी, मोहित जैन, राजेश मंगल, संतोष कटारा, ऋषि मिश्रा आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
प्रथम सत्र में चर्चा करते दीपक चौरसिया, राजेश बादल, पूरन डावर, गरिमा सिंह, जयकार नाथ, डॉ. राजेन्द्र मिलन, स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह।

उद्घाटन सत्र के बाद समागम में तीन सत्रों में परिचर्चा हुई। राष्ट्र के विकास में मातृभाषा की भूमिका विषय पर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन पूरन डावर ने कहा कि मुझे गर्व होता है, जब मैं अपने कारोबारी मित्रों से हिन्दी में बात करता हूं।” उन्होंने हिन्दी को दुनिया की सबसे बेहतर भाषा बताते हुए कि हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है, जिसमें अभिव्यक्ति को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है। राज्यसभा टीवी के संस्थापक संपादक राजेश बादल ने कहा, “आजादी को बचाए रखने का माध्यम हिन्दी है। मैं आज ये बात गर्व से कह सकता हूँ कि 100 करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिन्दी राष्ट्र ही नहीं अब अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया ने कहा, “आज हिन्दी का राजस्व अंग्रेजी टीवी चैनल से ज्यादा है। हिन्दी दुनिया की तीसरी बड़ी भाषा है। हिन्दी का विकास बहुत हद तक सरकार की कार्यशैली पर भी निर्भर करता है और ये 7 से 8 साल हिन्दी के लिए स्वर्णिम युग है।” स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने कहा कि हिन्दी को को बढ़ावा देने के लिए स्कूल-कॉलेज के स्तर पर काम करना होगा। जयकार नाथ ने हिन्दी अपने आप बढ़ रही है। हिन्दी साहित्यकार डॉ. राजेन्द्र मिलन ने कहा कि हिन्दी दुनिया की सबसे प्यारी भाषा है। उन्होंने सजल सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

दिनेश कांडपाल
दूसरे सत्र में चर्चा करते बाएं से डॉ.सीपी राय, वाई के गुप्ता, अभिषेक मेहरोत्रा, दिनेश कांडपाल, किशोर खन्ना, तीन्द्र शर्मा।

दूसरे सत्र में ‘कल की हिंदी और आज हिंदी का भविष्य’ पर अपने विचार रखते हुए इंडिया टीवी के वरिष्ठ संपादक दिनेश कांडपाल ने कहा, “जो किसी ने नहीं किया, उसे मैं करूंगा, ये मैंने उस वक्त प्रण किया, जब मुझे टीवी के लिए सेना पर एक कार्यक्रम तैयार करने के दौरान हिन्दी में कोई जानकारी नहीं मिली। इस बात से मैं इतना आहत था कि मैंने इसकी कमी को दूर करने के लिए सेना पर एक हिन्दी में किताब लिख दी, जिसका नाम ‘पराक्रम’ है.” कार्यक्रम के दौरान इस किताब का विमोचन भी किया गया। बिजनेस वर्ल्ड हिन्दी के संपादक अभिषेक मेहरोत्रा ने अपनी राय रखते हुए कहा, हिन्दी अब आपको बाजार दे रहा है, कमाई का मौका दे रहा है। यदि कोई समस्या है तो वो शिक्षा को स्तर पर है। एम न्यूज 18 इंडिया के एसोसिएट एडिटर यतींद्र शर्मा ने कहा, “हिन्दी का आज बोलबाला है, जब हिन्दी का कोई संपादक फील्ड में जाता है तो उसके साथ सेल्फी लेनी की होड़ मच जाती है, जबकि इंग्लिश के संपादक के पास कोई नहीं जाता। उन्होंने खुलकर कहा कि पहचान अब हिंदियत की है, इंग्लिशियत की नहीं।” विचारक डॉ. सीपी राय ने कहा कि हिन्दी दिवस मनाने की कोई जरूरत नहीं है। एसजीआई के वाइस चेयरमैन वाईके गुप्ता ने कहा कि दक्षिण भारत में हिन्दी जानते हैं लेकिन बोलते नहीं हैं। मैं जब तमिलनाडु में गया तो व्यापार के लिए तमिल सीखी और हिन्दी सिखाई। किशोर खन्ना ने कहा कि हिन्दी बेहतर स्थिति में है।

 

dr sushil gupta
बाएं से गरिमा सिंह, डॉ. सुशील गुप्ता, अनुरंजन झा,  दिनाश कांडपाल, शैलेश रंजन, पवन आगरी, आचार्य लवकुश मिश्रा।

तीसरे सत्र में हिन्दी कैसे बने जन-जन की भाषा’ विषय पर विचार-विमर्श हुआ। वरिष्ठ पत्रकार अनुरंजन झा ने कहा, “आप अपने बच्चे को पिताजी के पास पहुंचा दीजिए, हिन्दी की समस्या खत्म हो जाएगी। हिन्दी की भाषा ऐसी हो, जो सहज हो सके। हिन्दी भारत की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हो चुकी है। आपको किसी भाषा को किनारा नहीं करना है, उसे आत्मसात करना है। वरिष्ठ पत्रकार शैलेश रंजन ने कहा, “बच्चे को ये भरोसा दिला सकें कि उन्हें हिन्दी पढ़ते हुए भी अच्छी नौकरी मिल सकती है, हमें हिन्दी को उस स्तर तक ले जाना होगी। इसकी शुरुआत हमें घर से ही करनी होगी। हमें हिन्दी दिवस की जरूरत नहीं। हमें इसके प्रचार प्रसार की जरूरत सभी 365 दिन है. आप अपने बच्चों को गुड मॉर्निंग की जगह सुप्रभात बोलना सिखाकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं।” डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के डीन, प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने कहा, “हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं है। यह हमारा स्वाभिमान भी है।” वरिष्ठ पत्रकार गरिमा सिंह ने कहा, “जब हम अपनी भाषा में बात करते हैं तो उसकी तान दूर तक सुनाई देती है। संस्कारशाला आपका घर है और इसकी शिक्षिका मां हैं। ये जिम्मेदारी मां को भी उठानी होगी। जरूरत है बच्चों को शुरुआत से ही हिन्दी की महत्ता बताना। ”

 

प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. सुशील गुप्ता ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा, “स्कूली स्तर पर इस माइंडसेट को दूर करने की जरूरत है। स्कूलों में इंग्लिश जरूरी विषय है, जबकि हिन्दी वैकल्पिक। हमें शिक्षकों को तैयार करना चाहिए कि वे हिन्दी में बच्चों को पढ़ा सकें। इसमें मीडिया को मदद करनी होगी। उन्हें सीबीएसई के सामने ये बात उठानी होगी।” कवि पवन आगरी ने कहा, ” हिन्दी को सबसे ज्यादा समृद्ध कवि सम्मेलन ही कर रहे हैं। ये पूरी दुनिया में विख्यात हो रही है। हिन्दी को प्रचारित प्रसारित करने का बड़ा काम हिन्दी फिल्मों के गाने भी करते हैं। हिन्दी के बल पर हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। जिन्होंने भी हिन्दी के रूप में सपने को देखा है, वो जरूर पूरे होंगे।”

डॉ. रेनुका डंग
अनुरंजन झा को सम्मानित करते डॉ. रेणुका डंग, आरकेएस भदौरिया, आशा भदौरिया, बृजेश शर्मा, अजय शर्मा

संचालन डॉ. तरुण शर्मा ने किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के समन्वयक ब्रजेश शर्मा, महासचिव अजय शर्मा, डॉ. राम नरेश शर्मा ने किया। इस मौके पर डॉ. रेणुका डंग,  राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश की सदस्य निर्मला दीक्षित डॉ. भानु प्रताप सिंह,  शकुन बंसल असलम सैफी, मोहित जैन, राजेश मंगल, संतोष कटारा, ऋषि मिश्रा आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।

Dr. Bhanu Pratap Singh