jain muni manibhadra

नेपाल केसरी राष्ट्र संत जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज का अंतिम प्रवचन

RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. राष्ट्र संत नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र मुनि ने कहा कि अगर हम जग के दुख की चिंता छोडक़र , स्वर्ग सुख की चाहना को त्याग कर जन्म मरण के बंधन से मुक्त होने का लक्ष्य बना ले तो मोक्ष की प्राप्ति संभव है। जैन मुनि अपने मंगल विहार में गुरुवार को विशेष मंगलकारी माता पद्मावती के जाप के उपरांत लोहामंडी जैन स्थानक में अंतिम दिन प्रवचन कर रहे थे।

डॉक्टर मणिभद्र ने कहा कि हमारे जीवन में अनेक संकट आते हैं, कार्यों में रुकावट आती है तो हम ईश्वर की आराधना का सहारा लेते है लेकिन हम अपने अहंकार को नहीं छोड़ते यही छोटे छोटे अहंकार कार्यों को सफल नहीं होने देते, लेकिन इस संसार में असंभव कुछ भी नहीं है अगर  कार्य करने का दृढ़ संकल्प हो , भावना हो तो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है।

जैन मुनि ने कहा कि हमारी जिंदगी इतने आडंबरों से भरी है कि हम जीवन भर दूसरों को दिखाने के लिए कार्य करते रहते है, अपने लिए कुछ भी करते हैं । अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन करते है  इससे अपनी पाप की गठरी को इतना मजबूत और भारी बना लेते है कि उठाना मुश्किल हो जाता है, लेकिन अब भी समय है जब जागो तभी सवेरा है ।अपने मनुष्य जीवन में हमने धर्म का श्रवण भी बहुत किया लेकिन धर्म के प्रति श्रद्धा नहीं है।

राष्ट्र संत ने कहा ि प्रभु कहते है कि श्रद्धा परम दुर्लभ होती है और जिस दिन आपमें श्रद्धा आ गई , परंपरा और मान्यता वाली नहीं वरन अनुभूति वाली श्रद्धा, ऐसी श्रद्धा जिसमे सम्यक ज्ञान , सम्यक दर्शन और सम्यक चारित्रय होता है, यही प्रभु ने मोक्ष का मार्ग बतलाया है।

गुरुवार की धर्म सभा के पश्चात जैन स्थानक लोहामंडी में नवनिर्मित तीन मंजिला रतन भवन का लोकार्पण मानव सेवा के लिए  राष्ट्र संत नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र जी द्वारा किया गया। इस भवन में अतिथि गृह, भोजन कक्ष,  भोजन शाला बनाई गई है। लोकार्पण के अवसर पर सुरेश जैन, ऋषभ जैन, रतन जैन, विवेक कुमार जैन, सूरज जैन,  पूजा जैन,  नीतू जैन,  सूरज जैन, तरुण जैन,  अनुभव जैन,  अंजुल गुप्ता,  अरविंद जैन,  मयंक जैन,  आशीष जैन,  अंकुर जैन,  वैभव जैन,  सिद्धार्थ जैन,  अजय जैन पूर्व पार्षद सहित परम गुरु युवा समिति से सभी सदस्य उपस्थित थे।

Dr. Bhanu Pratap Singh