bhagwat katha

यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ, आज अनाथ बेटियों को मिलेगा मां का दुलार, देखें तस्वीरें

REGIONAL RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. भगवान श्रीकृष्ण, अपने मित्र सुदामा से मिल कर इतने रोए कि उन्होंने अश्रुओं से ही सुदामा के चरण धो दिए। श्रीमद्  भागवत सप्ताह के सातवें दिन यह दृश्य कलाकारों ने प्रस्तुत किया, जिससे श्रोताओं के नेत्र सजल हो गए।

श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया। भागवताचार्य नीरज नयन महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि ‘स्व दामा यस्य स: सुदामा’ अर्थात अपनी इंद्रियों का जो दमन कर ले वही सुदामा है। उन्होंने कहा- श्री कृष्ण भक्त वत्सल हैं, सभी के दिलों में विहार करते हैं। जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की। कृष्ण एवं सुदामा के मिलन की झांकी का दृश्य देख श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। महाराज ने सुनाया-

देख सुदामा की दीन दशा, करुणाकरके करुणानिधि रोए,

पानी परात कौ हाथ लिओ नहीं, नैनन के जल सौं पग धोए।

krishna sudama
पानी परात कौ हाथ लिओ नहीं, नैनन के जल सौं पग धोए।

महाराज ने बताया कि  गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में व संत सद्भाव में जीता है। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। सुदामा ने अपने जीवन में संतोष को धारण किया था। अभावों में भी उनके जीवन में सद्भाव था, उल्लास था, यही वजह है कि उन्हें भगवान मिले, मित्र के रूप में। उनके चरित्र से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। परीक्षित सुरेशचंद व शशि, रजनी व सुधीर ने पुराण पूजन किया। बीडी अग्रवाल (पुष्पांजलि), पुष्पा अग्रवाल, मनीषा बंसल, सुनील, विशेष बंसल, रजनी, ब्रज लता गोयल, कल्पना, प्रीति, नितांशी बंसल,अर्चना, वीना अग्रवाल, रश्मि अग्रवाल व अन्य ने आरती उतारी।

माधवी अग्र महिला मंडल की अध्यक्ष पुष्पा अग्रवाल, सचिव उषा बंसल, कोषाध्यक्ष आभा जैन ने बताया कि श्रीमद दयानंद अनाथालय में जिन बेटियों की परवरिश हुई, उनका विवाह हो गया। उनका कोई मायका नहीं है। ये माधवी (अनाथ) बेटियां माधवी अग्र महिला मंडल द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह में शामिल हुईं। उन्हें मायके की तरह दुलार देने की भावना से एक कार्यक्रम बुधवार को अपराह्न दो बजे महाराजा अग्रसेन भवन, लोहामंडी में आयोजित किया गया है।

Dr. Bhanu Pratap Singh