जानुशीर्षासन लाभदायक है kidney के रोग में

जानुशीर्षासन लाभदायक है kidney के रोग में

HEALTH


अगर आप kidney के रोग से पीड़ित हैं या फिर आपको urine infection हो गया है या फिर urinal system से जुड़ी किसी तरह की समस्या हो गई है तो आप दवा खाने के साथ-साथ योग के आसन जानुशीर्षासन को नियमित रूप से करें। इसे कैसे करना है यहां जानें, तरीका।
योग में कुछ आसन शरीर के कुछ महत्वपूर्ण अंगो के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। इन्हीं में से एक है जानुशीर्षासन, जो kidney के लिए काफी मुफीद माना जाता है। यह urinal system को बेहतर बनाता है। संस्कृत में जानु का अर्थ होता है घुटना, शीर्ष का मतलब है सिर या माथा। इस तरह जानुशीर्षासन के अर्थ से ही पता चल जाता है कि यह आसन सिर व घुटने से संबंधित है। इसमें पैर फैलाकर सिर को घुटने के ऊपर लाते हैं, जिससे न सिर्फ पीठ में खिंचाव आता है बल्कि kidney की मसाज भी हो जाती है। योगाचार्य अवधेश शर्मा और प्रशिक्षक जिज्ञासा कापरी बता रहे हैं इसी आसन के बारे में…
ऐसे करें आसन
– जमीन में पैर फैलाकर बैठें। इसमें पंजे ऊपर की ओर और पीठ एक दम सीधी रखें। हाथों को पीछे जमीन पर टिका दें।
– अब सीधे पैर को मोड़ लें और पैर के पंजे को उल्टे पैर की जांघ पर टिका दें। वहीं दोनों हाथ को ऊपर उठाकर पंजों को जोड़ लें।
– इसके बाद कमर को आगे की ओर झुकाएं और सिर को घुटने के ऊपर ले आएं। वहीं दोनों हाथ से उल्टे पैर के पंजे को पकड़ लें।
प्रकार एक
इसमें एक पैर फैलाएं और दूसरे पैर का पंजा जांघ पर रखें। अब फैले हुए पैर के घुटने के नीचे चादर रोल करके रख लें और एक बेल्ट को पैर के पंजे में फंसा कर दोनों हाथों से पकड़ लें। जिन्हें कमर झुकाने में दिक्कत है वो यह आसन इस तरह कर सकते हैं।
प्रकार दो
इसमें एक तकिया (मसलंद) लें, और फैले हुए पैर के बराबर में रख लें। इसके बाद कमर को झुकाएं और छाती को तकिये पर रख लें और दोनों हाथ से तकिये को पकड़ लें।
प्रकार तीन
जमीन पर सीधे बैठने में जिन्हें दिक्कत है वो एक नीचा स्टूल लें और उस पर बैठ जाएं। अब एक पैर फैला लें और उसी के बराबर तकिये को रख लें। अब तकिये पर छाती को झुका लें और दोनों हाथ से उस तकिये को पकड़ लें।
ये होंगे फायदे
– यह आसन kidney को फायदा पहुंचाता है
– जिन्हें यूरीन इंफेक्शन और किडनी से संबंधित रोग है उनके लिए यह काफी फायदेमंद है
– यह आसन संपूर्ण अंगों की मसाज करता है
– इससे सहनशक्ति जागृत होगी और स्वभाव में धैर्यता का निर्माण होता है
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh