Agra, Uttar Pradesh, India. श्वेतांबर जैन मूर्तिपूजक श्री संघ के तत्वाधान में स्मृति भवन जयपुर हाउस में आत्मसाधिका साध्वी श्री वैराग्य निधि जी महाराज साहब का अपार धर्म प्रेमियों के जनसमूह के समक्ष मंगल प्रवचन हुआ। साध्वी श्रीजी ने ‘शनि का प्रभाव एवं निराकरण’ विषय पर उपयोगी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों एवं वृद्ध माता-पिता की सेवा करने से सभी विपरीत ग्रह शुभ फल देते हैं। इस संबंध में उन्होंने अशोक जैन सीए द्वारा स्थापित रामलाल आश्रम में चल रहे सराहनीय सेवा कार्यों का विशेष तौर पर उल्लेख किया। उल्लेखनीय है कि जैन साध्वी का आगरा में चातुर्मास चल रहा है।
उन्होंने कहा- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने असी, मसि, कृषि, ज्ञान के साथ-साथ पुरषों को 72 एवं स्त्रियों को 64 कलाओं का ज्ञान दिया। ज्योतिष शास्त्र भी इन्ही कलाओं में से एक है। जैन शास्त्रों के अनुसार 4 प्रकार के देव माने गए हैं- भवनपति, व्यंतर, ज्योतिषिक एवं वैमानिक। सूर्य, चंद्र, ग्रह, नक्षत्र, तारे आदि को ज्योतिषिक देव की श्रेणी में रखा गया है। 9 ग्रह मनुष्य लोक के ऊपर रहते हैं। मनुष्य जाति पर इनका अच्छा बुरा प्रभाव हमारे कर्म और मनःस्थिति के अनुसार होता है।
यदि कोई ज्योतिषी कह दे आपके ऊपर शनि की साढ़े साती का प्रभाव है तो हम घबरा जाते हैं और फिर हमारी नकारात्मक सोच के कारण परिणाम भी वैसे ही आने लगते हैं। अन्य ग्रहों की तरह शनि भी एक ज्योतिषिक देव हैं। देव किसी को दुख नहीं देते। कुंडली में ग्रहों का ऊंचा नीचा होना हमारे कर्म और मनःस्थिति पर भी निर्भर होता है। कहा गया है “जैसी नीयत वैसी नियति”। किसी से ब्याज पर पैसे लेकर लौटाना नहीं, अमानत में खयानत करना, झूठ, चोरी आदि से हम शनि को खुद ही नीच स्थिति का बना लेते हैं।
किसी कारण से यदि आपकी दुकान पर नौकर देर से आया। आप उसको बुरी तरह से डांटते हैं। उसका अपमान करते हैं। शक्ति होते हुए भी उसको वेतन समय पर न देना, ये सब कृत्य आपकी कुंडली में शनि को नीच दशा का बनाते हैं। नौकर की बद्दुआ के कारण आपको व्यपार में घाटा होना, दुकान में चोरी होना आदि परिणाम सामने आते हैं। यदि आपके अंदर क्रोध, अहंकार है तो उसको नियंत्रण करें। क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार चाहे घर पर करें चाहे समाज के प्लेटफार्म पर, शनि को नीच दशा का बनाता है। इससे सिर्फ बदनामी और अपयश के अलावा कुछ प्राप्त नहीं होता।
शनि को ठीक करने के लिए ज्योतिषी तरह-तरह के उपाय बताते हैं लेकिन उसका फायदा आंशिक ही होता है। यदि घर पर बुजुर्ग हैं तो सेवा कीजिए, नहीं हो तो वृद्धआश्रम जाकर बुजुर्ग माता-पिताओं की सेवा कीजिये शनि देव प्रसन्न रहेंगे।
अक्सर लोग शनिवार के दिन भिखारी का दरवाजे पर आना, कौवे का छत पर आना अशुभ समझते हैं, ये सब भ्रांत मान्यतएं हैं। इसके विपरीत संयोग से शनिवार के दिन यदि कोई भिखारी आपके दरवाजे पर आ जाये तो उसे भोजन कराएं। कौवा आ जाये तो उसे भोजन पानी दें। दीन दुःखीयों के प्रति अनुकंपा का भाव रखने से आश्चर्यजनक परिवर्तन देखने को मिलेगा।
शनि ग्रह की शांति के लिए णमो लोए सव्वसाहूणं की माला प्रभावशाली उपाय है। केवल णमो लोए सव्वसाहूणं की माला करने से काम चलने वाला नहीं। साधु साध्वियों की भक्ति व्यवहार में भी लायें। पंच महाव्रतधारी साधु साध्वियों को बहुमान पूर्वक अपने घर ले जाना, उन्हें सुपात्र दान देने आदि कृत्य से भी हमारे ग्रह उच्च स्थिति में आते हैं। हमारे घर की नकारात्मक ऊर्जा भी सकारात्मक बनती है। घर का वास्तु दोष दूर होता है।
आगरा की ही घटना है बादशाह अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल को पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई। अबुल फजल ने कई जोतिषियों को पुत्री की जन्म कुंडली देखने के लिए आमंत्रित किया। सभी जोतिषियोँ की एक राय थी पुत्री मूल नक्षत्र में पैदा हुई है, ये आपके लिए अशुभ है, लिहाजा इसको यमुना नदी में बहा दिया जाय। अबुल फजल का तो मानो कालेजा फट गया। अबुल फजल को जैन धर्म पर भी बहुत आस्था थी। उसने आचार्य हीर विजय सूरि जी के शिष्य शांतिचंद्र एवं भानुचंद्र उपाध्याय के सामने समस्या रखी। उन्होंने अबुल फजल से सप्त व्यसन त्याग करने एवं अपने घर पर शांति स्नात्र पूजा करवाने की सलाह दी। आस्थावान अबुल फ़ज़ल ने ऐसा ही किया उसके जीवन में कोई संकट नहीं आया। एक मुसलमान दरबारी को जैन धर्म में आस्था हो सकती है, हमें भी अपने धर्म में इतनी आस्था है क्या?
श्वेतांबर जैन मूर्तिपूजक श्री संघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि साध्वी जी का नित्य प्रतिदिन प्रवचन प्रातः 9:00 से 10:00 तक स्मृति भवन जयपुर हाउस में होगा। 17 जुलाई को प्रवचन का विषय है- ‘परिवार में प्रेम: स्वार्थ से परार्थ, परार्थ से परमार्थ की ओर।’ सभी धर्म प्रेमियों से आग्रह किया है कि अमृत प्रवचनों को सुनने के लिए अवश्य पधारें। प्रवचन के बाद स्वल्पाहार की व्यवस्था है।
धर्म सभा में सुनील कुमार जैन, बृजेंद्र सिंह लोढ़ा, दुष्यंत जैन, विनय वागचर, रोबिन जैन, योगेश जैन, नीरज जैन, सुशील जैन, रवि जैन, सुभाष चंद जैन, कांता जैन, संगीता सकलेचा, रुचि लोढ़ा, विनय चंद लोढ़ा, प्रेम, प्रमोद ललवानी, रजत गादिया, अशोक कोठारी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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