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जैन आचार्य ज्ञानचन्द्र महाराज की खरी-खरी- किसी महाराज के नहीं, महावीर के अनुयायी बनो, एक ऐतिहासिक काम भी हुआ

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

Agra, UIttar Pradesh, India. जैन आचार्य ज्ञानचंद्र  महाराज के समक्ष जैन समाज ने ऐतिहासिक एकता का परिचय दिया। कोरोना काल के बाद पहली बार बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। यह सिद्ध कर दिया कि सभी जैन सम्प्रदाय भगवान महावीर स्वामी के धर्म ध्वजा तले एक हैं। जैन आचार्य जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ द्वारा वर्धमान महावीर स्वामी जैन मंदिर, दादाबाड़ी में आयोजित प्रवचन सभा में आचार्यश्री के प्रति समर्पण का भी प्रकटीकरण हुआ। जन-जन के चेहरे पर आचार्यश्री के प्रवचन एवं सानिध्य से अनूठी चमक थी, तो आगरा से जाने की भारी मायूसी भी। आचार्यश्री के क्रांतिकारी प्रवचन से हर किसी में धर्म की प्रवाहना हुई। उन्होंने खरी-खरी बातें कहीं। आचार्यश्री ने स्पष्ट तौर पर कहा- किसी महाराज के नहीं, महावीर के अनुयायी बनो। अरिहंत से संपर्क बनाओ समस्त समस्याओं का समाधान हो जाएगा। परिवार में प्रेम बढ़ाओ। कभी पत्नी को भी खाना परोसो। परस्पर सहयोग करो।

आचार्यश्री ने कहा- सच्चा साथ देने वाले की एक निशानी है कि जो जिक्र नहीं करते, वो फिक्र करते हैं। आप परमात्मा की भक्ति, मन और कर्म दोनों से करिए तो उनका नेटवर्क आपकी सोच को सही दिशा में आगे बढ़ाएगा । आजकल विदेशों में कारें बिना ड्राइवर के भी मंजिल तक सुरक्षित पहुंच जाती हैं क्योंकि उनका संपर्क आकाश में स्थित सेटेलाइट से होता है। इसी प्रकार अपना संपर्क भी अरिहंत रूपी सेटेलाइट से बनाइए तो हमारी हर समस्या का समाधान होता चला जाएगा।

ज्ञानचंद्र महाराज ने आह्वान किया कि आप परिवार के साथ भी प्रेमभाव बनाए रखें। पति हर रोज पत्नी द्वारा परोसा गया गरम-गरम खाना  खाते हैं, तो कभी पति, पत्नी को बिठाकर स्वयं भोजन सर्व करके सेवा करना सीखें। गाड़ी में तो पेट्रोल है लेकिन उसे स्मूथली चलाने के लिए तेल भी डाला जाता है, इसी प्रकार परिवार को सुखमय चलाने के लिए साधनों के साथ प्रेम और सम्मान भी देना सीखिए। पुरुष भी पत्नी की फिक्र करते हैं पर जिक्र नहीं करते हैं।

श्रद्धालुओं से घिरे जैन आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज

उन्होंने अवगत कराया कि भगवान महावीर का मुख्य संदेश ‘पस्परोपग्रहो जीवानाम्’ है जिसका तात्पर्य है एक दूसरे का सहयोग करना। भाई – भाई का, पति – पत्नी का, पड़ोसी – पड़ोसी का, संप्रदाय- संप्रदाय का सहयोग। यही जैन धर्म का सार है। आज महावीर के अनुयायी कम महाराज के अनुयायी अधिक हो गए हैं। जैनी कम, संप्रदायवादी अधिक बन गए हैं। हमें महावीर का उपासक बनना है। समाज के लोग छोटी-छोटी बातों में टांग अड़ाते हैं जबकि समाज के किसी अध्यक्ष को लालबत्ती की गाड़ी नहीं मिल रही है। हमारे प्रधानमंत्री ने तो मिनिस्टरों तक की लालबत्ती की गाड़ियां बंद कर दी है। परिवार में प्रेम बढ़ाने में सहयोग कीजिए।

जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्री संघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने सभी संघों के श्रावक-श्राविकाओं के आगमन को लेकर आभार जताया। उन्होंने गुरुदेव के ज्ञानपूर्ण प्रवचन को क्रांतिकारी बताया। दादाबाड़ी परिसर को तपोभूमि बताते हुए कहा कि यहां परमात्मा महावीर स्वामी के ‘जिओ और जीने दो’ सिद्धांत के अनुसार कार्य किया जाता है। गरीबों और पीड़ितों को सतत सेवा की जाती है।

सभी संप्रदायों ने आचार्यश्री से 2023 का चातुर्मास आगरा में करने की संयुक्त विनती की। संचालन करते हुए दुष्यंत लोढ़ा ने गुरुवर का परिचय दिया। राजेन्द्र सूरी महिला मंडल ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। बिजेन्द्र लोढ़ा ने भजन गाया। शिल्पा लोढ़ा और अशोक चौरड़िया के विदाई गीत से हर कोई भावुक हो गया।

दिल्ली के खेमचंद मुकीम, देवेंद्र जैन, श्रीमती नीवा चौरड़िया का भव्य स्वागत किया गया। विनयचंद लोढ़ा, विमल जैन, प्रेमचंद जैन, राजेश सकलेचा, सुशील जैन, संजय दूगड़, अभिलाष, प्रेम ललवानी, अशोक कोठारी, ध्रुव जैन, मनोज वोहरा, विनय वागचर, संदेश जैन की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Dr. Bhanu Pratap Singh