pawan jain

मंगलायतन विवि- तीर्थधाम, पावना ग्रुप और डीपीएस संस्थापक, खांटी पत्रकार पवन जैन नहीं रहे, नवभारत टाइम्स को खरीद रहे थे, पढ़िए कुछ अनसुनी बातें

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

Aligarh, Uttar Pradesh, India. अलीगढ़ शहर की प्रख्यात शख्सियत, उद्योग जगत के दिग्गज, सामाजसेवा और आध्यात्मिक जगत की महान हस्ती पवन जैन का 2 दिसम्बर, 2021 को सुबह स्वास्थ्य खराब होने के कारण देहांत हो गया। उन्होंने शांत भावों से इस संसार को छोड़कर परलोक गमन किया। इस खबर से पूरे शहर व समाज में शोक का माहौल बना हुआ है। इस अपूरणीय क्षति ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। गया। अंतिम विदाई में शहरभर के उद्योगपति, समाजसेवी व परिवारीजन मौजूद रहे। स्व. पवन जैन के संबंध में कुछ स्मृतियां ताजा हो उठी हैं।

पहले स्वप्निल जैन की बात

बात 2008-2009 की है। तब मुझे आगरा से हिन्दुस्तान के अलीगढ़ संस्करण की लॉन्चिंग के लिए भेजा गया था। सबसे पहले मेरा परिचय श्री स्वप्निल जैन से हुआ। वह इस कारण से क्योंकि उन दिनों पावना ग्रुप और डीपीएस अखबारों में खूब विज्ञापन कर रहा था। मैं हिन्दुस्तान अलीगढ़ के संपादक की हैसियत से काम कर रहा था। अखबार आगरा से छपकर जाता था। श्री स्वप्निल जैन के मृदुल और सरल व्यवहार ने मुझे प्रभावित किया। फिर तो स्वप्निल जैन मुझे सभी कार्यक्रमों में बुलाने लगे। 2021 में भी यह क्रम आज भी बना हुआ है। मैं यह जानता हूँ कि स्वप्निल जैन के संपर्क देशभर समाचार पत्रों की बड़ी हस्तियों से हैं, फिर भी वे मुझे प्राथमिकता देते हैं, जिसके लिए शुक्रगुजार हूँ।

जैन धर्म के प्रकांड विद्वान

श्री स्वप्नि जैन ने ही मुझे अपने पिता श्री पवन जैन से मिलवाया। फिर कभी फोन तो कभी व्यक्तिगत रूप से भेंट होने लगी। मैंने पाया कि श्री पवन जैन जैन धर्म के प्रकांड विद्वान हैं। वे किसी जैन आचार्य और जैन मुनि की तरह शास्त्रोक्त बातें करते थे। किस शास्त्र में क्या लिखा है और सरल शब्दों में इसका क्या मतलब है, यह समझाते थे। कई पत्रकार वार्ताओं में भी विषयगत बातचीत के बाद जैन धर्म की चर्चा होने लगती थी। चूंकि मुझे इन बातों में आनंद की अनुभूति होती थी और इस बात को वे ताड़ गए थे, इस कारण मुझसे विशेष प्रेम हो गया था। एक बार तीर्थधाम मंगलायतन में चल रही गतिविधियों से भी अगत कराया था। मुझे ऐसा कभी लगा ही नहीं है कि वे इतनी बड़ी हस्ती हैं कि तमाम लोग समय लेकर मिलने आते हैं। मैंने जब भी फोन किया, तत्काल प्रत्युत्तर मिला।

पुलिस को माफी मांगनी पड़ी

अलीगढ़ जाकर मुझे यह भी पता चला कि वे मूलतः पत्रकार थे। नवभारत टाइम्स के आजीवन संवाददाता रहे। वे लाखों रुपये हर महीने वेतन बांटते हैं लेकिन नवभारत टाइम्स से स्वयं मानदेय लेते थे। अलीगढ़ में दंगों की सही रिपोर्टिंग के कारण उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। पुलिस ने उनकी रिपोर्ट को गलत बताया था। बाद में उनकी रिपोर्टिंग सही पाई गई और ससम्मान रिहा किया गया। पुलिस को माफी मांगनी पड़ी थी। इस तरह का साहस दिखाने वाले पत्रकार बहुत कम हैं।

नवभारत टाइम्स को खरीदने की योजना

एक और किस्सा याद आ रहा। ब्लैकमेलिंग के लिए कुख्यात अलीगढ़ का एक अखबार उनके खिलाफ बेसिर-पैर की बातें लिखता था। जिन दिन समाचार छपता, उसी दिन कुछ प्रतियां उनके यहां डाल जाता। उनका पक्ष नहीं छापता था। उन्होंने फिर इस विषय पर पत्रकार वार्ता बुलाई। इसी दौरान चर्चा में पता चला कि एक बार उन्होंने नवभारत टाइम्स को खरीदने की तैयारी कर ली थी। यह कितनी सुखद बात है कि वे जिस अखबार के संवाददाता थे, उसी को खरीदने की बात कर रहे थे। यह बात अलग है कि सौदा पटा नहीं। उन्होंने एक-दो बार मुझे अपने निवास पर जलपान पर आमंत्रित किया था। मेरे बारे में विस्तार से जानकारी ली। मुझे बाद में स्वप्निल जैन अवगत कराया कि उत्तराखंड के एक अखबार को खरीदने की योजना बना रहे थे। बाद में किन्हीं कारण से यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

गोपालदास नीरज और पवन जैन

बुलंदशहर जन्मभूमि तो अलीगढ़ कर्मभूमि

श्रीजैन का जन्म बुलंदशहर में 11 दिसंबर 1951 को एक जैन परिवार में हुआ। इनके पिता स्व. पं. श्री कैलाशचंद जैन की गहरी आध्यात्मिक रुचि होने के कारण बचपन से ही इन्हें धर्म के संस्कार मिले। इन्होंने अपनी शिक्षाश बुलंदशहर के ही डीएवी कॉलेज से पूरी की और कारोबार के सिलसिले में अलीगढ़ आए। अलीगढ़ में लघु उद्योग से शुरुआत की। हालांकि शुरुआत अच्छी नहीं रही और मुफलिसी के दिनों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन उनके कड़े संघर्ष और मजबूत इरादों के सामने यह मुफलिसी के दिन ज्यादा टिके नहीं। धीरे-धीरे उन्होंने शहर में अपना पैर जमाना शुरू किया। 1971 में पत्नी के नाम पर आशा इंजीनियरिंग वक्र्स के नाम से फ्यूल काक असेंबलिंग का काम शुरू किया। बजाज कंपनी की अोर से 100 पीस का आर्डर मिला। अागरा रोड पर ही कृष्णापुरी में किराए के मकान में रहते हुए 1973 में अाटोलाक के नाम से ताला फैक्ट्री शुरू की। 1975 में पला रोड पर फैक्ट्री के लिए जमीन ली। 1981 में गोपालपुरी में जगह लेकर मां के नाम पर विमलांचल आवास बनाया। फिर वहीं ताले की फैक्ट्री संचालित की।  श्री जैन ने 1971 में अलीगढ़ शहर में पावना ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री की नींव रखी। आज यह ग्रुप अपने अनेकानेक उपक्रमों के साथ उद्योग, शिक्षा, कला, खेलकूद और अध्यात्म जगत में अपनी पहचान बनाए हुए है।

मिसाल कायम की

श्री जैन ने बड़े ही छोटे स्तर से कारोबार जगत में कदम रखा। बड़े इरादे और सही नीयत के दम पर उन्होंने शहर में अपना नाम बना लिया। पावना ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के नाम से शुरू हुए इस उद्योग ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देख। एक के बाद एक कई नए उपक्रम इससे जुड़ते गए और कारवां बनता गया। आज, शहर के अलावा देश-दुनिया में पावना ग्रुप का नाम फैला हुआ है। करीब 50 सालों से ऑटोमेटिव पार्ट सॉल्यूसन्स के क्षेत्र में काम कर रहे इस पावना ग्रुप के सृजनकर्ता श्री जैन ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और नेक इरादों से सभी के लिए एक मिसाल कायम की है।

शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय काम

श्री जैन ने शिक्षा के क्षेत्र में न सिर्फ  स्कूल-कालेज का निर्माण कराया बल्कि शिक्षा को एक ऐसे तबके तक पहुंचाने का प्रयास भी किया, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। सन् 1998 में श्री जैन ने डीपीएस जूनियर विंग के रूप में इस शिक्षा के मंदिर की पहली नींव रखी। डीपीएस सोसाइटी से फ्रेंचाइजी के रूप में विश्व का यह पहला विद्यालय था जो शिक्षा के क्षेत्र में आए दिन नए कीर्तिमान स्थापित करता था। इसी विद्यालय के साथ एक और सामाजिक सरोकार के रूप में श्री जैन ने गरीब तबके के बच्चों के लिए उत्तम शिक्षा हेतु शिक्षा केन्द्र की भी स्थापना की। इसी के साथ आशा किरण के नाम से एक और शैक्षिक पहल की गई, जहां ऐसे बच्चों को सिखाया-पढ़ाया जाने लगा जो शारीरिक रूप से अशक्त थे।

डीपीएस में आईआईटी की तैयारी

सन् 2003 में आगरा रोड स्थित डीपीएस सीनियर विंग; सन् 2007 तालानगरी स्थित डीपीएस सिविल लाइंस अलीगढ़ व डीपीएस हाथरस की नींव सन् 2014 में रखी गई। जहां बेहतर शिक्षा हेतु बच्चों को आधुनिक सुविधाओं और अच्छे शिक्षकों का माहौल मुहैया कराया गया। इस विद्यालय ने सांस्कृतिक, शिक्षा, कला व खेलकूद के क्षेत्र में ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए, जिनकी सराहना राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुई। इसी विद्यालय ने बच्चों को आईआईटी आदि बड़ी परीक्षाओं की तैयारी हेतु बच्चों को छोटी उम्र में अपना शहर छोड़कर जाने से रोका।

मंगलायतन विश्वविद्यालय की स्थापना

शहर में उच्च शिक्षा के अभाव के चलते श्री जैन ने सन् 2007 में मथुरा रोड पर मंगलायतन विश्वविद्यालय की स्थापना की। जहां अलीगढ़-हाथरस आदि शहर के अलावा देशभर से बच्चे उच्च शिक्षा हेतु आने लगे। यहां शिक्षा जगत की तमाम मशहूर शख्सियत के अलावा प्रख्यात संगीतकारों, कलाकारों, अभिनेताओं व राजनेताओं का तांता लगा रहा। सन् 2010 में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बच्चों को विश्वविद्यालय में संबोधित भी किया।

आध्यात्मिक रुचि ने बसा दिया तीर्थधाम मंगलायतन

श्रीजैन ने अपने पूज्य पिताजी से बचपन से ही धार्मिक संस्कार लिए। इन संस्कारों के फलस्वरूप सन् 2003 में आगरा रोड पर स्वर्ग-सी, अकल्पनीय तीर्थधाम मंगलायतन की स्थापना हुई। इस सुंदर और मनोरम संकुल में तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी के अलावा बड़े-बड़े नेताओं, खिलाड़ी, अध्यात्म गुरु व शिक्षा जगत से जुड़ी कई शख्सियत ने शिरकत की। तीर्थधाम मंगलायतन द्वारा संचालित भगवान श्री आदिनाथ विद्यानिकेतन में पढ़ने वाले छात्र आज कला, विज्ञान, प्रशासन, पत्रकारिता आदि के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य कर रहे हैं – यह सब श्री जैन की प्रेरणा का ही फल है। मेरठ के निकट हस्तिनापुर में निर्माणाधीन तीर्थधाम चिदायतन श्री जैन का ही खुली आंखों से देखा हुआ स्वप्न है। पवन जैन ने आचार्य कुंदकुंद रिसर्च इंस्टीट्यूट, श्री आदिनाथ विद्या निकेतन, भगवान महावीर धर्मार्थ औषधालय भी शुरू किए। अमेरिका में जैन सेंटर ऑफ ग्रेटर फोनिक्स, कनाडा में एसएस जैन फाउंडेशन से भी पवन जैन जुड़े हुए थे। उन्होंने अपने पीछे आशा जैन, अनिल जैन, सुनील जैन, स्वप्निल जैन, प्रिया जैन, आर्जव जैन, आर्णव जैन आदि को छोड़ा है।

मंगलायतन विवि में शोकसभा।

मंगलायतन विश्वविद्यालय में शोक
मंगलायतन विश्वविद्यालय अलीगढ़ के संस्थापक श्री पवन जैन का गुरूवार को निधन हो गया। उनके निधन का समाचार प्राप्त होते ही विश्वविद्यालय में शोक की लहर फैल गई। श्री जैन के निधन पर विश्वविद्यालय परिसर में शोक सभा का आयोजन किया गया। सभी अधिकारियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों ने दो मिनट मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की।

मंगलायतन विश्वविद्यालय के चेयरमैन हेमंत गोयल ने विवि के संस्थापक चेयरमैन पवन जैन जी के निधन पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त की। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए तथा इस कठिन समय में परिवार जनों को शक्ति और साहस प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।

कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने कहा कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान प्रदान करे। इस दुःख की घड़ी में पूरा विश्वविद्यालय परिवार विश्वविद्यालय के संस्थापक पवन जैन के परिजनों के साथ है और उनके प्रति सच्चे मन से अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता है। श्री जैन उद्योगपति और पत्रकार होने के साथ-साथ समाजसेवी भी थे। उन्होंने कहा कि श्री पवन जैन दूरदृष्टा और हम सभी के प्रेरणास्रोत थे।

कुलसचिव ब्रिगेडियर समर वीर सिंह ने कहा कि पवन जैन के निधन के समाचार से मैं स्तब्ध हूँ। वह समाज के लिए एक प्रेरणा के स्वरूप थे। परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। प्रशासनिक अधिकारी गोपाल सिंह राजपूत, प्रो. जयंती लाल जैन, प्रो. उल्लास गुरुदास, प्रो. सिद्धार्थ जैन, मयंक जैन आदि शिक्षकों ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।

Dr. Bhanu Pratap Singh