डॉ. भानु प्रताप सिंह
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मैंने श्री अमर पाल सिंह आईआरएस का काफी नाम सुन रखा है। लोधी समाज के लोग उनका गुणगान करते रहते हैं। मेरी उनसे पहली भेंट 8 अक्टूबर, 2023 को आरबीएस कॉलेज के सभागार आगरा में हुई। यहां लोधी क्षत्रिय एम्पलायज एसोसिएशन (लक्ष्य) आगरा ने लोधी समाज के प्रतिभाभाव विद्यार्थियों का सम्मान और लक्ष्य संदेश पत्रिका के लोकार्पण का कार्यक्रम रखा था। श्री अमर पाल सिंह इसी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
मैं प्रातः 10.40 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा। मैंने कार्यक्रम का सरस संचालन कर रहे इंजीनियर सतीश राजपूत से कहा कि मेरी हाजिरी लगा लेना। लक्ष्य के अध्यक्ष इंजीनियर किशोरी सिंह चहलकदमी कर रहे थे। वे बार-बार लोगों को फोन करके आने के लिए कह रहे थे। उनसे भी मेरी राम-राम हुई। सभागार में आगे सोफे पड़े हुए थे। मैं वहां बैठ गया। दूसरे सोफे पर कोट पहने दाढ़ी वाले सज्जन विराजमान थे। लोग उनके पास आकर फोटो खिंचवा रहे थे। वे खड़े होकर मुस्कान बिखरते हुए बार-बार खड़े हो रहे थे।
मैंने पास बैठे सज्जन से पूछा कि ये कौन हैं। उन्होंने कहा कि ये अमरपाल सिंह लोधी हैं। मैंने नाम तो सुन ही रखा था। तुरंत दिमाग चला- अमरपाल सिंह यानी संयुक्त निदेशक आयकर विभाग। राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के निजी सचिव। लक्ष्य के राष्ट्रीय अध्यक्ष। वैसे तो लोगों से मैं स्वयं मिलकर परिचय करता हूँ लेकिन अमर पाल सिंह के आसपास भीड़ मँडरा रही थी। कुछ ही देर में लक्ष्य के संस्थापक संरक्षक इंजीनियर रतीराम वर्मा ने श्री अमरपाल सिंह से मेरा परिचय कराया। मैंने उन्हें अपना कार्ड दिया। उन्होंने एक नजर कार्ड पर डाली और गर्मजोशी के साथ खड़े होकर हाथ मिलाया। अच्छा लगा। उच्च पदासीन व्यक्ति प्रथम भेंट में ही इतना मिलनसार निकलेगा, यह सोचकर आश्चर्यित हूँ।
कुछ देर बाद ही संचालक इंजीनियर सतीश राजपूत ने मेरा नाम उद्बोधन के लिए पुकारा। मैं कोई अच्छा वक्ता तो नहीं हूँ पर जो मन में था बोलकर नीचे आ गया। बाद में उन्होंने मेरा सूक्ष्म परिचय भी दिया। कहा कि प्रबंधन विषय में हिन्दी माध्यम से पीएचडी करने वाले भारत में प्रथम हैं। कई अखबारों में काम किया है। कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुख्यतः ऐतिहासिक पुस्तकें लिखते हैं। तब मैंने देखा कि अमर पाल सिंह अपने पीछे बैठे श्री सतीश वर्मा (सांसद वरुण गांधी की टीम में शामिल) से पूछ रहे थे कि यह कौन है। सतीश वर्मा से मेरा पुराना परिचय है लेकिन उन्होंने क्या बताया, यह सुन नहीं पाया।
आमतौर पर मुख्य अतिथि तब आते हैं जब हॉल भर जाता है और उन्हें करके बुलाया जाता है। मुझे ज्ञात हुआ कि वे दिल्ली से प्रातः 9 बजे ही आ गए थे। तब कार्यक्रम की तैयारियां चल रही थीं। उन्हें बुखार था। चिकित्सक ने विश्राम की सला दी थी। इसके बाद भी मुख मंडल दमक रहा था। उनकी सक्रियता देखते ही बन रहे थे।
कार्यक्रम की खास बात यह थी कि हर व्यक्ति को वीआईपी फीलिंग कराई गई। सबके गले में लक्ष्य का पटका पहनाया गया ताकि वह विशिष्ट लगे। स्वयंसेवक सबकी चिंता कर रहे थे। स्वयंसेवक खड़े थे पर प्रतिभागियों को कुर्सी दी गई।
मैंने देखा कि श्री अमरपाल सिंह मुख्य अतिथि होने के बाद भी एक कार्यकर्ता की भांति काम कर रहे थे। वे मंचासीन थे लेकिन स्वयं व्यवस्थाएं बनाने में सहयोग कर रहे थे। सब उनकी सुन भी रहे थे। वे जहां भी जाते, जिधर भी मुड़ जाते, लोग उनके पीछे हो लेते। सेल्फी, फोटो, परिचय, फोन नम्बर। फोटो खिंचवाने के लिए तमाम लोग मंच पर आ गए। फिर उन्हें कहना पड़ा कि कार्यक्रम के बाद सबके साथ फोटो खिंचवाऊँगा। लोग हैं के मानते नहीं। युवा, प्रौढ़, बुजुर्ग ही नहीं मातृशक्ति में भी खासी लोकप्रियता दिखाई दी।
कार्यक्रम के अंत में श्री अमर पाल सिंह ने उद्बोधन दिया। जब वे उद्बोधन के लिए खड़े हुए तो गाना बजा-
अमरपाल सिंह लोधी जो जन्मे हैं लोधी घराने में
शिक्षा का तने दीप जलाया, थारा चले है नाम जमाने में
मैंने आज यूट्यूब पर यह गाना खोजा तो अनेक लोगों ने अपने हिसाब से प्रस्तुतीकरण किया है। इसी गाने की दो पंक्तियां इस प्रकार हैं-
शिक्षा का तने दीप जलाया, थारा चले है नाम जमाने में
अमरपाल लोधी आईआरएस जो जन्मे लोधी घराने में।
उन्होंने विद्यार्थियों और अभिभावकों को ऐसी बातें बताईं जो कोई नहीं बताता है। उन्होंने आईएएस की परीक्षा में पूछा जाने वाले सवाल का उत्तर ऐसे समझाया कि अनपढ़ की भी समझ में आ जाए। उन्होंने मंच पर एक प्रधान जी को बुलाया तो हाईस्कूल पास कर पाए हैं। उन्होंने अपना नाम राजेन्द्र सिंह प्रधान बताया तो कहा कि टपरा से। यह सुनकर प्रधानजी फूले नहीं समाए। भारत में मुस्लिम शासकों के आने का क्रम याद रखने के लिए उन्होंने सूत्र दिया- गुड़ खा तसला में। गुड़ यानी गुलाम वंश, खा यानी खिलजी, त यानी तुगलक, स यानी सैयद, ला यानी लोदी और में यानी मुगल वंश।
मंच से जब अन्य वक्ता बोल रहे थे श्रोतागणों की बातें बंद नहीं हुई थीं। श्री अमरपाल सिंह ने बोलना शुरू किया तो पिन ड्रॉप साइलेंस हो गई। डेढ़ घंटा कैसे चला गया, पता ही नहीं चला। अगर अत्यधिक विलम्ब न हुआ होता तो लोग उन्हें और सुनते। लक्ष्य के पदाधिकारियों का कहना पड़ा कि अब बस करें। अंधकार हो रहा है, लोग दूर से आए हैं, वापस भी जाना है।
मुझे इसी कार्यक्रम में पता चला कि अमर पाल सिंह लोधी जेआरएफ प्रतियोगी परीक्षा में भारतवर्ष टॉपर हैं। अखिल भारतीय स्तरीय 17 प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं। हाथरस के मूल निवासी हैं। आगरा कॉलेज में पढ़े हैं। यहां वे अपने से बड़े भाइयों जो बीएससी कर रहे थे, उन्हें खाना बनाकर खिलाते थे। गांव से आटा आदि लाते थे। उस समय बीए करने वालों को हेयदृष्टि से देखा जाता था। उन्होंने अपने पुराने साथियों को खूब याद किया। मंच पर डॉ. एके सिंह आ गए और कहा कि यह हमारा छोटा भाई है, खूब खाना बनाकर खिलाया है। अमर पाल सिंह ने इंजीनियर रतिराम वर्मा को चाचा कहकर संबोधित किया। अमरपाल सिंह जनपद हाथरस के सहपऊ ब्लॉक में 5 वर्ष शिक्षक भी रहे हैं। उन्होंने अपने बारे में जो कुछ बताया, उससे कह सकता हूँ कि कोई यूं ही अमरपाल सिंह नहीं बन जाता है। समय की अग्नि में स्वयं को झोंकना पड़ता है, अथक परिश्रम करना पड़ता है, तब अमर पाल सिंह बना जा सकता है।
आशा करता हूँ कि उनकी यह अदा, यह मिलनसारिता, यह मधुर मुस्कान ऐसे ही कायम रहेगी।
लेखक का संपर्क नम्बरः 9412652233, 8279625939
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