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अलीगढ़ के जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह और डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तक ‘मेरौ गाम चपौटा’ का लोकार्पण, युवा बोले- DM हो तो ऐसा

लेख

मैं यह पूछना चाहता हूँ कि बेटी से छेड़छाड़ क्या गाय-भैंस करती है? छेड़छाड़ तो बेटा करता है, तो आप बेटे को संस्कारित क्यों नहीं करते हैं- इन्द्र विक्रम सिंह

डॉ. भानु प्रताप सिंह

मुझे अनेक सम्मान मिले हैं। कुछ छोटे तो कुछ बड़े सम्मान। सर्वाधिक सम्मानित हुआ अपने गांव चपौटा में। अलीगढ़ जिले की तहसील अतरौली का गांव चपौटा। अलीगढ़ में यूं तो 1210 गांव हैं लेकिन चपौटा सबसे अनोखा है। अनोखा इसलिए कि चपौटा की कहानी 1857 में हुए भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई है। मेरे अग्रज डॉ. ओम प्रकाश वर्मा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के वरिष्ठ प्रचारक श्री ख्यालीराम जी के सहयोग से अपने गांव चपौटा पर एक पुस्तक की रचना का संयोग बना। पुस्तक का नाम है- मेरौ गाम चपौटा। इस पुस्तक का लोकार्पण अलीगढ़ के जिलाधिकारी श्री इन्द्र विक्रम सिंह ने 15 मार्च, 2023 को गांव चपौटा में आकर किया। जिलाधिकारी ने कार्यक्रम में जो सहजता और सरलता प्रदर्शित की, उसे देखकर कुछ लिखे बिना रह न सका। क्या करूं मैं हूँ ही ऐसा, अगर कोई अच्छा करता है तो उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहता। बावजूद इसके कि प्रशंसा पत्रकारों के स्वभाव के विपरीत है।

श्री इन्द्र विक्रम सिंह से मेरा परिचय तब से है जब वे आगरा में उपजिलाधिकारी थे और मैं अमर उजाला का रिपोर्टर हुआ करता था। 1990 का दशक पत्रकारिता का स्वर्णिम दौर था। बीट रिपोर्टर का अधिकारियों से मैत्रीभाव रहता था। दोनों एक दूसर के पूरक हुआ करते थे। नित्य भेंट और फोन पर बात हुआ करती थी। तब मोबाइल फोन नहीं थे। इस कारण आमने-सामने बैठकर खूब गपियाते भी थे। ऐसा आत्मिक भाव बना कि दिल में यादें तरोताजा हैं। अब महीनों या वर्षों बाद भी बात हो तो वह गर्मजोशी बनी रहती है। वैसे भी आजकल बिना काम के कोई किसी से बात नहीं करता है। प्रेमी और प्रेमिका भी रोज बात करते हैं तो इसमें भी दोनों का स्वार्थ छिपा हुआ है।

जिलाधिकारी अलीगढ़ इन्द्र विक्रम सिंह को चपौटा में आना है, यह सूचना मिली तो विकास खंड अतरौली के अधिकारी सतर्क हो गए। विशेष रूप से जिला पंचायत राज अधिकारी धनंजय जैसवाल। सबने मिलकर गांव में जमकर सफाई कराई। पंचायत घर को नया रूप दिया। सामुदायिक शौचालय का रूप निखारा। स्कूल में काम किया। पशु चिकित्सालय को भी स्वच्छ किया। पूरे गांव में सफाई हुई तो हर कोई अचरज में पड़ गया। ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे गांव के विकास में लगे सभी कर्मचारियों को जलपान कराते रहे।

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मेरौ गाम चपौटा पुस्तक के लोकार्पण के दौरान अलीगढ़ के जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह महिलाओं के बीच पहुंचे। बड़े भाई के रूप में गांव की बिटिया से बात की।

मैं 14 मार्च, 2023 की दोपहर में गांव पहुंचा। गांव में जेसीबी से सफाई होती देख मुझे सुखद अनुभूति हुई। फिर गांव में भ्रमण किया तो नालियों की सफाई होती मिली। प्रधान जी मुझे स्कूल और पशु चिकित्सालय में ले गए। वहां परिचय कराया। मुझे कई जगह महिलाओं के झुंड बतियाते मिले। मैंने सबसे 15 मार्च के कार्यक्रम में आने का आग्रह किया। मैंने रात्रि विश्राम अलीगढ़ में किया।

15 मार्च को प्रातः 10 बजे के बाद फिर से गांव में पहुंच गया। ख्यालीराम जी 14 मार्च की रात्रि में ही गांव में आ गए थे। जब वे गांव आते हैं तो उनसे मिलने वालों का तांता लग जाता है। फिर भी कार्यक्रम के संबंध में तीन बार बैठक हुई। कार्यक्रम स्थल पंचायत घर का निरीक्षण किया। हमने तो टैंट और माइक का इंतजाम किया था। विकास विभाग ने अपनी ओर से गुब्बारे और पुष्पों की लड़ी लगाई। दोपहर बाद हमें सूचना दी गई कि जिलाधिकारी ने छाछ (मट्ठा, मठा) की मांग की है। ग्रामीणों के लिए छाछ तैयार करना कोई बड़ी बात नहीं है। प्रधान जी ने तत्काल इंतजाम कर दिया। मैं अपने साथ छाछ के 25 पैकेट, पानी की 50 बोतलें, शीतल पेय की 10 बोतलें, चार किलो पेठा, अंगूर और केला लेकर गया था। उद्देश्य था कि कार्यक्रम के बाद अतिथियों को जलपान कराएंगे। प्रधान जी ने लड्डू के लिफाफे तैयार कराए थे।

हम सोच रहे थे कि करीब 200 लोग कार्यक्रम में आएंगे। इसी दृष्टि से कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी। देखते ही देखते सैकड़ों लोग आ गए। जिलाधिकारी आए तो यह संख्या करीब दो हजार हो गई। जिलाधिकारी को जैसे-तैसे मंच पर लाया गया। हर कोई जिलाधिकारी से हाथ मिलाने के लिए आतुर था। जिलाधिकारी ने दीप प्रज्ज्वलन के बाद पुस्तकालय का उद्घाटन किया। पुस्तकालय में मेरौ गाम चपौटा और हिन्दू धर्म रक्षक वीर गोकुला जाट पुस्तक सुशोभित हैं। ये पुस्तकें मैंने ही लिखी हैं। जनसेवा केन्द्र का भी शुभारंभ किया।

पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तक ‘मेरौ गाम चपौटा’ का चपौटा गांव में लोकार्पण, डीएम इन्द्र विक्रम सिंह ने ग्रामीणों तो दी बड़ी सीख

स्वागत सत्कार के बाद जिलाधिकारी ने संबोधन शुरू किया। इससे पहले मैंने मांग रखी कि चपौटा को आदर्श गांव घोषित किया जाए। आदर्श गांव को विकास के लिए अतिरिक्त धनराशि मिलती है। जिलाधिकारी ने इसका उल्लेख करते हुए जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया कि दो माह में चपौटा को आदर्श गांव बनाएं। इसमें समूचे गांव की भागीदारी होनी चाहिए। गांव में घर-घर शौचालय और सामुदायिक शौचालय होने के बाद भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं। प्रवेश द्वार पर घूरा बना रखा है। इसे रोका जाना चाहिए। घूरे से कोई खाद नहीं मिलती है।

जिलाधिकारी ने गांव की महिमा का बखान करते हुए महिलाओं से निवेदन किया- बेटों की तरह बेटी पर भी विश्वास करें। बेटा कहीं भी घूमे और बेटी सूर्यास्त होते ही घर में आ जाए, क्योंकि छेड़खानी का भय रहता है। मैं यह पूछना चाहता हूँ कि बेटी से छेड़छाड़ क्या गाय-भैंस करती है? छेड़छाड़ तो बेटा करता है, तो आप बेटे को संस्कारित क्यों नहीं करते हैं। कितनी अजीब बात है कि 18 साल की बेटी की सुरक्षा में चार साल का बच्चा जाता है। बेटी हो या बेटा, बड़े होते हैं तो उसमे बायोलॉजिकल चेंज होता है। उसकी भावनाओं को समझें। बेटी से पूछें- कोई बॉय फ्रेंड है या नहीं, फिर देखिए उसके मन में कोई गलत विचार नहीं आएगा। बेटियों को पढ़ने दो, मस्ती करने दो, स्वतंत्र रूप से आने-जाने जो। योगी सरकार में कानून व्यवस्था दुरुस्त है। अगर आप बेटी पर विश्वास करेंगी तो वह कभी भी आपके विश्वास को टूटने नहीं देगी। जिलाधिकारी की बातें सुनकर महिलाओं और बेटियों ने खूब तालियां बजाईं।

इन्द्र विक्रम सिंह ने पुरुषों को भी अपने अंदाज में समझाया। उन्होंने कहा कि मैं जिलाधिकारी बाद में, आपका भाई और बेटा पहले हूँ। उसी भावना से आपसे बात कर रहा हूँ। युवाओं से कहा कि आप भी मेरी तरह कलक्टर बन सकते हैं और इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। मेहनत करते रहोगे तो लक्ष्य हासिल कर सकते हो।

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मेरौ गाम चपौटा पुस्तक को लोकार्पण करने के बाद जिलाधिकारी ग्रामीणों के बीच पहुंचे और बुजुर्ग का हालचाल पूछा।

जिलाधिकारी के संबोधन के दौरान शोर हो रहा था। इस पर उन्होंने कहा कि अगर आप शांति से सुनेंगे तो आपके साथ फोटो खिंचवाऊँगा। फिर तो सब शांत हो गए। इन्द्र विक्रम सिंह ने अपन वादा निभाया। वे महिलाओं के बीच पहुंचे। दो महिलाओं से हालचाल पूछा और फोटो खिंचवाया। एक बेटी से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा। पुरुषों के बीच पहुंचकर भी फोटो खिंचवाया। बुजुर्ग से हालचाल लिया। यह देख सब ताज्जुब में पड़ गए। जिलाधिकारी जब प्रस्थान करने लगे तो उन्हें दो बुजुर्गों ने रास्ते में रोक लिया। अपने साथ फोटो खिंचवाने का आग्रह किया। जिलाधिकारी ने आवाज देकर फोटोग्राफर को बुलाया और फोटो खिंचवाया। पूरे कार्यक्रम के दौरान इन्द्र विक्रम सिंह के मुख मंडल पर मुस्कान तिरती रही। यह कोई जबरदस्ती वाली मुस्कान नहीं थी, बल्कि स्वाभाविक थी।

पुस्तक का लोकार्पण भी नए अंदाज में हुआ था। यशपाल सिंह की पुत्री अंकिता सिंह पुस्तकों की डलिया को सिर पर रखकर लाई थीं। उन्होंने जिलाधिकारी के आगे यह डलिया रखी। जिलाधिकारी ने अंकिता सिंह से बातचीत भी की। यह डलिया ऐसी थी जैसे बहू के मायके से ससुराल में सामान भेजा जाता है। कार्यक्रम में विकास विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे। डी.पी.आर.ओ., उप जिलाधिकारी महिमा, नायब तहसीलदार, बीडीओ राहुल वर्मा तो मंचासीन थे। उनके साथ भी जिलाधिकारी का व्यवहार प्रेमपूर्ण और सम्मानजनक रहा।

मेरौ गाम चपौटा’ पुस्तक के लोकार्पण के बाद मेरे साथ सेल्फी और फोटो खिंचवाने वालों का जमावड़ा लग गया। हर कोई पुस्तक के साथ फोटो खिंचवाना चाहता था। यह देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे कोई प्रसिद्ध लेखक बन गया हूँ। अपने गांव में अपने लोगों द्वारा सम्मान पाना किसी उपलब्धि से कम नहीं है।

इस तरह जिलाधिकारी ने अपनी सहजता से हर किसी के हृदय में स्थान बना लिया। चपौटा के युवा मनोहर लाल ने मुझसे कहा- चाचा जी, डीएम होय तो ऐसौ। हम तौ सोच रए थे कि डीएम गुस्सा न है जाय। जे तो हँसत रए। मैंने यह सुनकर बीडीसी नरेश क ओर देखा तो उन्होंने कहा- सही बात है। ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह ने कहा- डीएम तो बहुत देखे हैं लेकिन इन्द्र विक्रम सिंह जैसा नहीं देखा। पूर्व चिकित्सा अधिकारी डॉ. ओमप्रकाश वर्मा ने कहा- कितना अच्छा हो कि सभी जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह जैसे हो जाएं।

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बुजुर्ग के कंधे पर जिलाधिकारी का हाथ। इन्द्र विक्रम सिंह के बारे में बताने के लिए यह फोटो पर्याप्त है। साथ में पुस्तक लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह।
Dr. Bhanu Pratap Singh