International Day of Families

International Day of Families: आज परिवार समेत पढ़िए ये पारिवारिक बातें

PRESS RELEASE लेख

15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह 1993 से मनाया जा रहा है। मानव का जन्म ही परिवार के रूप में होता है|  उसका लालन-पालन परिवार में होता है| परिवार के बिना उसका अस्तित्व नहीं है| परिवार की महत्ता प्राचीन काल में थी, आज भी है और हमेशा रहेगी। जो आनंद, सुरक्षा, अनुभव, संतोष, भावनात्मक लगाव के साथ चरित्र का निर्माण परिवार में होता है, वह विश्व में किसी अन्य संगठन या अन्य रूप में नहीं होता है। जो बच्चे दादा-दादी के साथ परिवार में रहते है वो जीवन के मूल्य और हर तरह से मानसिक व शारीरिक दृष्टि से मज़बूत होने के साथ बौद्धिक रूप से प्रखर होते हैं। वे हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हो जाते हैं।

आज वैश्विक प्रतिस्पर्धा व आर्थिक मज़बूती के लिए आदमी को परिवार से अलग होना पड़ता है। शादी होते ही वो सबसे अपना अलग परिवार बनाने की कल्पना करने लगता है| इससे हम भारतीय भी अब अछूते नहीं हैं। भारत के गाँवों में आज भी संयुक्त परिवार में रहने का प्रचलन है। परिवार में 8 से 10 सदस्य होना आम बात है। भागदौड़ की ज़िंदगी में परिवार कब खो जाता है, पता ही नहीं चलता। याद ही नहीं रहता है कि कब एक साथ बैठकर चाई पीते हुए या खाना खाते हुए एक दूसरे के मन में घुस जाते थे। बिज़नेस टूर में परिवार के साथ सैर का आनंद भी ग़ायब हो गया है। आज दादा-दादी के अनुभव की कथाओं की जगह मोबाइल ने ले ली है| यह परिवार में रहते हुए भी अलग रह रहे हैं| एक बात साफ़ समझ लें कि परिवार का अर्थ होता है प्यार, समर्पण, त्याग।  

कोरोना महामारी के चलते परिवार का मूल्य विश्व को समझ आ रहा है कि भारतीय जीवन शैली और परिवार में रहना अमूल्य है| इस कारण आज इस महामारी में कोरोना से भारत अन्य देशों की तुलना में मज़बूत स्थिति में है। साथ ही विश्व में जो लोग परिवार में रह रहे है वो तमाम समस्याओं के साथ न केवल कोरोना से लड़ पा रहे हैं बल्कि सुख और मस्ती करते हुए एक दूसरे को प्यार लेते और देते हुए लॉकडाउन का समय आनंद से गुजार रहे हैं। इस वर्ष 2021 में दूसरी लहर ने परिवार की सार्थकता साबित की है| कोविड में परिवार के साथ रहने से मरीज की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो जाती है, जिससे वह कोरोना को हराने में सफलता मिलती है।

इंटरनेशनल फैमिली डे मनाने का उद्देश्य है स्वस्थ व ख़ुशहाल जीवन। युवा अपनी बुरी आदतों जैसे धूम्रपान, जुआ, कामुकता को छोड़कर एक सफल जीवन की शुरुआत करें। पूंजी से तमाम सुख-साधन खरीदे जा सकते हैं पर परिवार जैसी संस्था का प्यार कभी भी नहीं खरीदा जा सकता है, यह बात हमेशा हमको ध्यान रखनी चाहिए। सभी को परिवार दिवस की शुभकामनाएं।

राजीव गुप्ता ‘जनस्नेही’

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