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अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवसः घर में बुजुर्ग ना हो तो घर घर नहीं रहता..

PRESS RELEASE

बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेजने वालों की बंद हो सभी सरकारी सुविधाएं

संयुक्त राष्ट्र ने 14 दिसंबर सन 1990 को बुजुर्ग लोगों को उनके साथ होने वाले अन्याय और दुर्व्यवहार पर रोक लगाने के निर्णय लिया गया कि हर वर्ष 1 अक्टूबर 1991 को अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस के रूप में मनाया जाए, जिससे वृद्धों को उनके सम्मान का हक मिले।

वैसे तो भारतवर्ष में वृद्धों के प्रति अन्याय कम होता है और उचित सम्मान दिया जाता है। कारण है संयुक्त परिवार व्यवस्था। पर अब भारत की संयुक्त परिवार व्यवस्था धीरे-धीरे कमजोर हो रही है और एकल व्यवस्था का जन्म हो रहा है| ऐसे में भारत में भी बुजुर्गों को सम्मान और उन्हें अधिकार दिलाने के लिए समय-समय पर काम भी किया जा रहा है और कई कानून बनाये जा रहे हैं, परंतु केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रशासन के साथ जो आस-पड़ोस के उनके निवासियों की निष्क्रियता व लापरवाही की वजह से वृद्ध नागरिकों को ना तो प्यार मिलता ना उचित सम्मान| उनको अनेक प्रकार से प्रताड़ित भी किया जाता है।

जिस तरह वृद्ध अपने परिवार को अपने खून पसीने से सींचते व सजाते सँवरते हैं अपने अनुभवों के सहारे उसको हमेशा हरा-भरा रखते हैं। माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश जिस लगन और आत्मीयता से करते हैं, वहीं वृद्ध अवस्था आने के बाद उन्हीं वृद्ध माता-पिता की बेइज्जती करते हैं, जबकि जानते हैं कि समय के चक्र के तहत सभी को एक दिन वृद्ध अवस्था व्यतीत करनी है|

वृद्ध की केवल चाहत होती है पारिवारिक लोग उनकी वृद्धा अवस्था में देखभाल करें और उन्हें उचित सम्मान व प्यार दें, कुछ समय उनके साथ बात करें ताकि अकेलापन दूर हो सके जिससे उन्हें मानसिक रोगी बनने से रोका जा सकता है। हमें याद रखना चाहिए कि अगर घऱ में बुजुर्ग नहीं है तो घर-घर नहीं, भुतहा घर हो जाता है।

आगरा में गोल्डन एज के नाम से वृद्धजनों के लिए एक संस्था वृद्धों को एक खुशनुमा माहौल देने के लिए बनाई गई है| गोल्डन एज में सभी बुजुर्ग एक किशोरावस्था वाली ज़िंदगी व माहौल में जीते हैं, हंसते हैं, बोलते हैं और अपनी समस्याओं को साझा करते हैं| समय-समय पर वह अपने अनुभवों से समाज को ना केवल लाभान्वित करते हैं बल्कि दिशा भी दिखाते है। सभी गोल्डन एज के सदस्यों का यह मानना है कि भारत में  वृद्ध आवास या वृद्ध आश्रम कतई नहीं होने चाहिए यहां तक कि अगर वृद्धाश्रम में कोई बच्चे अपने मां-बाप ( वृद्ध ) को भेजते हैं तो उनको सरकारी सभी सुविधाओं से वंचित रखना चाहिए| वृद्धा आश्रम सरकार को बनाना चाहिए और केवल उसी दशा में उसमें रहने की अनुमति हो जब उस वृद्ध व्यक्ति के पीछे उसका कोई पारिवारिक व्यक्ति ना हो|

आज अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर मैं सभी अपने अग्रज व अनुजों से निवेदन करूंगा कि हमें भी इसी वृद्ध दौर में आना है। जैसा हम बोएँगे  वैसा काटेंगे। इस नीति पर हमें अपने परिवार के वृद्धों को पूर्ण सम्मान देना चाहिए। उनकी भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए और उनके प्रति अन्याय मन में भी नहीं लाना चाहिए तभी आज हम सच्चे रूप में अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस को मना पाएंगे। बुजुर्गों का सम्मान न करने से क्या होता है, यह इन दो पंक्तियों में समझा जा सकता है-

जब से लोग बुजुर्गों की इज्जत कम करने लगे

तब से दामन में दुआएं कम दवाएं ज्यादा भरने लगे

प्रस्तुतिः राजीव गुप्ता जनस्नेही

संस्थापक गोल्डन एज संस्था
फोन नंबर 98370 97850