119 कल्याणक भूमि स्पर्शना यात्रा पर निकले हैं मुमुक्षु
शौरीपुर 116 वां स्थान, गुजरात में होगा यात्रा का समापन
आगरा की महत्ता बताई, साधु बनने के बाद भी आने का आग्रह
Agra, Uttar Pradesh, India. भारतीय संस्कृति में चार पुरुषार्थ हैं- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। अधिकांश लोग अर्थ और काम में उलझे हुए हैं। कुछ लोग धर्म की बात भी करते हैं। मोक्ष की चाह हर किसी में है लेकिन इसके लिए प्रयास कोई नहीं करता है। अंगुलियों पर गिने जाने लायक ही मोक्ष के लिए आगे आते हैं। ऐसे ही 181 मुमुक्ष (मोक्ष की कामना करने वाला) आगरा आए। ये श्वेताम्बर जैन साधु बनने वाले हैं। इनमें कई परिवार, प्रौढ़, युवा, बच्चे और लड़कियां शामिल हैं। बालपन में ही आत्मकल्याण की बात कर रहे हैं। अनेक मुमुझ सीए, सीए, एमबीए, इंजीनियर, व्यापारी आदि हैं। ये लोग इस समय पूरे देश में ‘कल्याणक भूमि स्पर्शना यात्रा’ कर रहे हैं। 119 स्थानों पर जा रहे हैं। आज शौरीपुर की भूमि को स्पर्श किया। इससे पूर्व जैन तीर्थ दादाबाड़ी में मुमुक्षुओं का बहुमान किया गया। मुमुक्ष आत्माओं के दर्शन और गुणानुवाद कर हर किसी ने स्वयं को धन्य माना।
जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने कहा- मुमुक्षुओं को आना सौभाग्य है। वैरागी जीवन आत्मकल्याणी हो। आपके द्वारा हमारा आत्म कल्याण हो। जब आप दीक्षा लेकर साधु बनें तो आगरा श्रीसंघ का ध्यान रखें। इसी स्थान पर जगतगुरु वीर विजयसूरी महाराज ने अकबर को अहिंसा का मार्ग दिखाया। रोशन मोहल्ला में जैन मंदिर और उपाश्रय का निर्माण कराने में सहयोग दिया। मुगल शासन ने जैन संतों का पदचलन बंद कर दिया था। उस समय दादा गुरुदेव ने दिल्ली से जलयात्रा करके आगरा किले में आकर मुगल शासक को आश्चर्यचकित कर दिया और इसके बाद जैन संतों का पदचलन शुरू हुआ। आगरा में रतनचंद्र महाराज ने अजैन भाइयों को जैन साधु बनाया। आचार्य पृथ्वीचंद महाराज के शिष्य राष्ट्रसंत ने आगरा को संभाला। सन् 2000 में राजेन्द्र सूरिजी महाराज के सानिध्य में शिखर जी से 400 साधु-साध्वियों का संघ आया। उन्होंने अशोक जैन सीए के साथ मिलकर चौबीस जिनालय का निर्माण कराया, जो यूपी का पहला है। महाराज के देवलोकवासी हो जाने पर उनके शिष्य आचार्य राजशेखर महाराज ने प्रतिष्ठा कराई। उस समय भी जैन एक झंडे के नीचे थे।
जैन इतिहास के जानकार दुष्यंत जैन ने अवगत कराया कि आगरा के फतेहपुर सीकरी में 30 साल पहले जैन प्रतिमाएं मिली हैं, जो एक हजार साल प्राचीन हैं। वहां के संग्रहालय में रखी हैं। सिर्फ एक टीले की खुदाई हुई है। आगरा का जैन इतिहास 2200 साल पुराना है। अकबर ने स्वर्ण कलश में विजय सूरी जी महाराज की भस्मी मंगवाई, जिसकी दादाबाड़ी में समाधि है। उनका यहां चरण कमल मंदिर बनाया गया। श्राविका चंपा की छतरी यहां पर है। आगरा किला में जैन मूर्तियां थीं, जो अब अन्य मंदिरों में स्थापित हैं। जहांगीर ने जैन मूर्तियों को तोड़ने का आदेश दिया था कि इनमें कोई चमत्कार नहीं है। तब आचार्य जिनचन्द्र सूरी महिराज ने उसे समझाया और मूर्तियां तोड़ने का आदेश वापस हुआ। आचार्य कल्याण सागर महाराज के पास आगरा श्रीसंघ पहुंचा। वे आकाशगामी विद्या से आगरा आए। जहांगीर को एक जैन मंदिर में बुलाया गया और उसने जैसे ही मूर्ति को नमस्कार किया, मूर्ति ने हाथ उठाया। ऐतिहासिक पुस्तकों में इसका उल्लेख है।
स्थानकवासी समिति लोहांमडी के अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा जो भावनाएं संत समाज में होती हैं, उससे कहीं उतकृष्ट भावना मुमुक्षुओं में होती है। कुछ संत ऐसे हुए हैं जिन्होंने अजैन को जैन बनाया। भगवान महावीर स्वामी अनार्य देश में विचरण करते थे और वहां जैन धर्म की दीक्षा देते थे। आप भी जहां जैन नहीं हैं, वहां अधिक जाएं। मुक्ति के लिए जैन धर्म से उत्कृष्ट धर्म कोई नहीं हो सकता है। स्थानकवासी समिति मोतीकटरा के सीए सुरेश जैन ने मुमुक्षुओं का स्वागत किया।
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि उन्हें यह जानकर अचरज है कि पूरा परिवार जैन साधु बन रहा है। बच्चों क साधु बनने के लिए परिवार की सहमति है। आशा की कि जैन साधु अपने आत्मकल्याण के साथ समाज का भी कल्याण करेंगे।
‘कल्याणक भूमि स्पर्शना यात्रा’ के संयोजक प्रवीण लोढ़ाया ने बताया कि मुंबई से निकले हैं। शौरीपुर में 116 कल्याणक भूमि का स्पर्श कर लेंगे। मुमुक्ष अलग सम्प्रदाय और गच्छ के हैं। तीर्थंकर परमात्मा जहां-तहां गए हैं, वह कल्याणक भूमि है। पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड यानी पूरे भारत के मुमुक्ष हैं। दीक्षा लेने के बाद कल्याणक भूमि की स्पर्शना कठिन हो जाती है। इसी कारण पहले ही कर लेना चाहते हैं। 28 दिन की यात्रा है। कोलकाता से शुरू हुई यात्रा गुजरात में समाप्त होगी। यात्रा पिछले 8 साल से यह आयोजन चल रहा है। हजारों मुमुक्षुओं को भूमि स्पर्शना करा चुके हैं।
शिल्पा जैन ने भजन के माध्यम से मुमुक्षुओं की अनुमोदना की – पावन दीक्षार्थियों का दर्शन पाया है, गुरुवर कृपा की मंगल छाया है, संयम का सूरज खुशियां लाता है। इसके बाद अभिनंदन हुआ। 125 दीक्षार्थी बहनों का स्वागत जैन जागृति महिला मंडल, राजेन्द्र सूरी महिला मंडल, श्वेताम्बर महिला मंडल ने किया। 55 पुरुष और तीन भाई मुमुक्षुओं का स्वागत जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ और स्थानकवासी समिति मोतीकटरा ने किया। स्वागत में तिलक के साथ शॉल, माला और नकद राशि भेंट की गई। मुमुझुओं ने स्वागत करने वालों के चरण स्पर्श किए। नरेश, मुकेश चपलवात, विमल जैन, अजय, दिनेश चौरड़िया, सुनील कुमार जैन, सीए चिराग जैन, विजेंद्र लोढ़ा अजय कुमार सकलेचा, मनीष जैन, संदेश जैन, केके कोठारी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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