भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ने वाली है। अगले महीने दो स्वदेशी युद्धपोत और एक पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल होंगे। यह कदम हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए उठाया जा रहा है। रूस में बना INS तुषिल भी भारत आ रहा है। नए जहाजों में 7400 टन का INS सूरत, 6670 टन का INS नीलगिरि और 1600 टन का INS वाघशीर शामिल हैं। ये सभी वॉरशिप आधुनिक हथियारों से लैस हैं।
INS सूरत और नीलगिरी नौसेना को सौंपे
मुंबई के मझगांव डॉक ने पिछले हफ्ते सूरत और नीलगिरि नौसेना को सौंप दिए। 164 मीटर लंबा सूरत, INS विशाखापत्तनम, INS मुंबई और INS इंफाल जैसे युद्धपोतों की श्रेणी में शामिल होगा। ये सभी 35000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट-15B के तहत एमडीएल में बनाए गए हैं। एक अधिकारी ने बताया, “सूरत नौसेना का पहला AI-सक्षम युद्धपोत है। यह इसकी काम करने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा।
क्या है वॉरशिप की खासियत?
यह वॉरशिप 72% स्वदेशी सामग्री से बना है, जो 4000 समुद्री मील तक जा सकता है। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, 76 मिमी सुपर रैपिड गन और पनडुब्बी रोधी रॉकेट और टॉरपीडो जैसे हथियार हैं।
नीलगिरि 45000 करोड़ रुपये की लागत वाले प्रोजेक्ट-17A के तहत बनाए जा रहे सात युद्धपोतों में से पहला है। इनमें से चार एमडीएल में और तीन कोलकाता के GRSE में बन रहे हैं। ये सभी युद्धपोत दुश्मन के रडार से बचने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए हैं। इनकी डिलीवरी 2026 के अंत तक पूरी होनी है।
भारत और फ्रांस के बीच स्कॉर्पीन पनडुब्बियों पर चल रही बात
वाघशीर, एमडीएल में 23000 करोड़ रुपये से ज्यादा के ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत निर्मित फ्रांसीसी मूल के स्कॉर्पीन या कलवरी-क्लास पनडुब्बियों में से छठी और आखिरी है। भारत और फ्रांस तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए बातचीत के अंतिम चरण में हैं। ये भी एमडीएल में लगभग 36000 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जाएंगी। पहली पनडुब्बी छह साल में और बाकी दो हर साल के अंतराल पर तैयार होंगी।
फिलहाल भारतीय शिपयार्ड में 60 युद्धपोत और जहाज निर्माणाधीन हैं। 3900 टन का INS तुषिल, बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर से होते हुए भारत पहुंचेगा। इसके बाद अगले साल मार्च-अप्रैल में रूस से एक और युद्धपोत तमल मिलेगा।
बढ़ रही नौसेना की ताकत
130 से अधिक युद्धपोतों, 251 विमानों और हेलीकॉप्टरों वाली नौसेना को 31 और युद्धपोतों के लिए AoN मिली है। इनमें सात नई पीढ़ी के युद्धपोत, आठ कार्वेट और छह स्टील्थ डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां शामिल हैं। हालांकि, भारतीय शिपयार्ड में निर्माण की धीमी गति और पुराने युद्धपोतों के सर्विस से बाहर होने के कारण, नौसेना 2030 तक केवल 155-160 युद्धपोतों तक ही पहुंच पाएगी।
चीन को जवाब देने की तैयारी
दूसरी ओर चीन तेजी से युद्धपोत और पनडुब्बियां बना रहा है। वह हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक गतिविधियां बढ़ा रहा है और विदेशी ठिकानों की तलाश में है। संख्या के हिसाब से उसके पास पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें 370 से अधिक जहाज और पनडुब्बियां हैं, जिनमें 140 प्रमुख सतह लड़ाकू शामिल हैं। यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। नौसेना को अपनी ताकत बढ़ाने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत है।
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