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Agra, Uttar Pradesh, India सोनी टीवी चैनल पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक “पुण्यश्लोक अहिल्याबाई: में अजेय रियासत भरतपुर के अजेय महाराजा सूरजमल जी का गलत चित्रण करने, महाराजा सूरजमल को एक सामान्य वेशभूषा में दिखाए जाने और मराठा सरदारों द्वारा महाराजा सूरजमल को घटिया, दगाबाज और बुजदिल जैसे शब्दों से उच्चारित करने पर अखिल भारतीय जाट महासभा आगरा ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया है ।
अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुंवर शैलराज सिंह एडवोकेट, प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रताप चौधरी (पूर्व विधायक) एवं जिला अध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयप्रकाश चाहर, भूपेंद्र सिंह राणा, डॉ. रूपेश चौधरी, चौ. नवल सिंह ने संयुक्त बयान में कहा है कि धारावाहिक ‘पुण्यश्लोक अहिल्याबाई का प्रसारण 17 नवम्बर को हुआ। इसमें निर्माता निर्देशक निनाद वैद्य ने महाराजा सूरजमल के पात्र को जिस तरीके से प्रस्तुत किया है, वह भारतवर्ष के अजेय योद्धा महाराजा सूरजमल का ही अपमान नहीं बल्कि संपूर्ण जाट समाज का अपमान है।
जाट महासभा के जिला अध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने कहा है कि न जाने क्यों फिल्म निर्माता या धारावाहिक निर्माता किस द्वेश- भाव से अजेय रियासत के अजेय महाराजा सूरजमल की छवि को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं? इससे पहले फिल्म पानीपत में भी महाराजा सूरजमल के पात्र को निर्माता-निर्देशक ने ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया था, जिसका संपूर्ण भारत वर्ष में जाट समाज ने तीखा विरोध किया था। फिल्म के प्रदर्शन पर अखिल भारतीय स्तर पर रोक लगानी पड़ी थी।
जाट महासभा के नेताओं ने कहा है कि ” पुण्यश्लोक अहिल्याबाई” धारावाहिक के निर्माता निर्देशक ने भी सीरियल में महाराजा सूरजमल के पात्र को हास्यास्पद बनाया है और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। जाट महासभा के नेताओं ने कहा है कि सीरियल में मराठों द्वारा महाराजा सूरजमल के लिए #घटिया- दगाबाज और बुजदिल जैसे शब्द उच्चारित किए हैं जो कि बिल्कुल ही असहनीय हैं। यदि श्री निनाद वैद्य ने ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी ली होती तो इस तरह का वह अपराध नहीं करते।
महाराजा सूरजमल के पात्र को इस तरीके से प्रस्तुत करना एक अपराध की श्रेणी में आता है और जाट महासभा इसे अदालत में ले जाएगी। जाट महासभा के नेताओं ने कहा है कि धारावाहिक में महाराजा सूरजमल को खांडेराव होल्कर से भयभीत और युद्ध हारते हुए प्रस्तुत किया गया है जबकि हकीकत यह है कि 1753 में दिल्ली के शासक गाजीउद्दीन ने मराठा व जयपुर की फोर्सेज को महाराजा सूरजमल को परास्त करने के लिए भरतपुर- डीग- कुम्हेर पर आक्रमण करने को कहा था। इस पर मराठों ने मल्हार राव होल्कर के पुत्र खांडेराव होल्कर के नेतृत्व में कुम्हेर किले पर आक्रमण किया और कुम्हेर किले का 5 महीने तक घेराव किया। अंत में खांडेराव होल्कर मारे गए। तत्पश्चात मराठों ने महाराजा सूरजमल से संधि कर ली। महाराजा सूरजमल ने सहृदयता का परिचय देते हुए खांडेराव होल्कर का स्मारक पैंगोर में बनवाया। 1761 में जब मराठा दिल्ली के शासक अहमद शाह अब्दाली से लुटपिट व घायल होकर लौटे तो महाराजा सूरजमल और महारानी किशोरी ने उदार ह्रदय का परिचय देते हुए उनकी जीवन रक्षा की, इलाज कराया, खाने को भोजन दिया और अपने सैनिकों की सुरक्षा में महाराष्ट्र भिजवाया।
महासभा के नेताओं ने कहा है कि महाराजा सूरजमल का अपमान भारतवर्ष के संपूर्ण जाट समाज का अपमान है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। समय रहते अगर इस धारावाहिक के निर्माता-निर्देशक ने अपनी गलती को नहीं सुधारा और आपत्तिजनक दृश्यों, डायलॉग्स को सीरियल से नहीं हटाया तो जाट समाज संपूर्ण भारत वर्ष में प्रदर्शन करने को बाध्य होगा। जाट महासभा के जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने कहा है कि शीघ्र ही समाज की बड़ी बैठक आहूत की जाएगी और आंदोलन की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
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