पॉक्सो के 94 फीसदी केसों में अभिभावकों ने माना प्रेम की वजह से बने लड़के-लड़की के बीच संबंध – AGRA BHARAT HINDI E-NEWS

पॉक्सो के 94 फीसदी केसों में अभिभावकों ने माना प्रेम की वजह से बने लड़के-लड़की के बीच संबंध

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नई दिल्ली। सहमति से संबंध बनाने की उम्र से जुड़ी एक नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। रिपोर्ट से पता चला है कि सन 2016 से 2020 के बीच असम महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में पॉक्सो एक्ट के तहत 7064 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से अदालत ने 1715 केस यानी 24.3 फीसदी मामलों में लड़की और लड़के बीच रोमांटिक रिश्ते थे ऐसे मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया जाना चाहिए। इनमें से 1609 मामलों यानी करीब 94 फीसदी मामलों में आरोपियों को छोड़ा गया वहीं केवल 106 मामलों यानी करीब 6 फीसदी केसों में ही आरोप सिद्ध हो पाया है।

पॉक्सो एक्ट से जुड़े इन मामलों की एफआईआर से मिली जानकारी के अनुसार 1715 मामलों में से 1120 (65.3%) मामलों में उम्र का उल्लेख मिला जिसमें 799 मामलों (46.6%) में लड़की की उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच थी। वहीं 272 मामलों (15.9%) में लड़की की उम्र 14-16 साल के बीच थी जबकि 49 मामलों (2.9%) में लड़की की उम्र 11-14 साल के बीच थी।

तीन राज्यों की केस एनालिसिस रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि जिन 1609 मामलों में आरोप सिद्ध नहीं हो पाए उनमें से 82.6% यानी 1329 मामलों में लड़की ने आरोपी के खिलाफ गवाही नहीं दी। 1715 मामलों में से 1508 (87.9%) में पीड़िता ने स्वीकार किया कि वह आरोपी के साथ सहमति से संबंध में थी और 1421 (94.2%) मामलों में विशेष अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया। इसके साथ ही जो 106 मामले जिनमें आरोप सिद्ध हुए उनमें से 87 में अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम के तहत सजा दर्ज करने के लिए नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं है। 28 मामलों में दोषसिद्धि का यह एक प्रमुख कारण था भले ही लड़की ने आरोपी के खिलाफ गवाही नहीं दी थी।

यूनीसेफ और यूएनएफपीए के समर्थन से एनफोल्ड प्रोएक्टिव हेल्थ ट्रस्ट द्वारा किए गए विश्लेषण में कहा गया है कि कुल मिलाकर ये सबूत स्पष्ट रूप से विशेष अदालतों द्वारा सामाजिक वास्तविकताओं पर विचार करने की ओर इशारा करते हैं। यह स्टडी सहमति की उम्र में बदलाव के लिए पॉक्सो एक्ट और आईपीसी में संशोधन की जरूरत पर जोर देती है।

स्टडी के नतीजे चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा शनिवार को अपने संबोधन में जताई गई चिंताओं को पुष्टि करते हैं जिसमें उन्होंने पॉक्सो एक्ट के तहत विधायिका से सहमति की उम्र के आसपास बढ़ती चिंता को ध्यान में रखने का आग्रह किया। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सहमति से संबंध के मामलों में पुलिस से शिकायत मुख्य रूप से लड़कियों के परिवार के सदस्यों द्वारा दर्ज की जाती है जब लड़कियां अपने साथी के साथ या शादी करने के लिए घर से निकल जाती हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh