यूरोपीय संघ के रवैये पर इमरान खान का दर्द, भारत को कुछ नहीं कहते और पाकिस्तान पर दबाव बनाने लग जाते हैं

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यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान को रूस के खिलाफ बोलने और वोट करने को क्या कहा, प्रधानमंत्री इमरान खान का दर्द जुबान पर आ गया। उनका दर्द यह है कि यूरोप के देश भारत को कुछ नहीं कहते और पाकिस्तान पर दबाव बनाने लग जाते हैं।
दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दुनियाभर के देश दो खेमों में बंट गए। अमेरिका के नेतृत्व में उसके सहयोगी देश यूक्रेन के समर्थन में उतर आए, तो दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान जैसे देश रूस के साथ खड़े दिखे। भारत तटस्थता के अपने रुख पर कायम रहा। आजादी मिलने के बाद से ही भारत शांति का समर्थक रहा है और बातचीत के जरिए समस्याओं के समाधान की वकालत करता रहा है। ऐसे में पाकिस्तान इतना बेचैन क्यों हो गया, और भारत से तुलना करना ठीक क्यों नहीं?
इतिहास याद रखते तो शायद इमरान खान भारत और पाकिस्तान को एक पलड़े में रखने की भूल नहीं करते।
रैली में ‘खून’ की बात करने लगे इमरान
यूरोपीय संघ के राजदूतों ने पाकिस्तान को खत लिखकर कहा है कि आप रूस के खिलाफ न सिर्फ बयान दें बल्कि वोट भी करें। इस पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बौखला गए। वह बंद कमरे में किसी मीटिंग में नहीं, खुलेआम रैली में यूक्रेन संकट पर यूरोपीय देशों के रवैये पर बरसने लगे। पाकिस्तानियों में जोश पैदा करने के लिए उन्होंने रैली में कहा कि जब तक मेरे शरीर में खून है, मैं अपनी कौम को किसी के सामने झुकने नहीं दूंगा।
उन्होंने कहा कि मैं यूरोपीय यूनियन के राजदूतों से पूछता हूं कि क्या आपने हिंदुस्तान को भी यह खत लिखा था। दरअसल, यूरोप के देश अमेरिका के साथ खड़े दिखते हैं। नाटो में वे सब साथ हैं। ऐसे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का दर्द भी बाहर आ गया। उन्होंने कहा कि ये पाकिस्तान ही था जिसने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में NATO की मदद की। उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर वह होते तो देश को जंग से बाहर रखते। इमरान ने कहा कि युद्ध में हिस्सा लेने से उन्हें क्या मिला। उन्होंने 80 हजार पाक सैनिकों के मारे जाने और 100 अरब डॉलर से ज्यादा के नुकसान का हवाला दिया। वह बोलते-बोलते कह गए कि यूरोपीय यूनियन के राजदूतों ने क्या हमारा शुक्रिया अदा किया?
खेमेबाजी में फंसकर रह गया पाक
दरअसल, अपने जन्म के समय से ही पाकिस्तान खेमेबाजी में फंस गया। अमेरिका की शरण में रहने से पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ अभियान, गरीबी और अन्य के नाम पर मोटी रकम मिलती रही और धीरे-धीरे यह देश खैरात पर ही निर्भर हो गया। अब यूरोप और अमेरिकी गठबंधन से पाकिस्तान की नाराजगी की अपनी वजह है। अमेरिका में जब से जो बाइडन राष्ट्रपति बने हैं उन्होंने इमरान खान से बात भी नहीं की है। पाकिस्तान को अमेरिका से उतनी मदद भी नहीं मिल रही है। ऐसे में यह देश अब नया ठिकाना खोज रहा है। जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मॉस्को में पुतिन से मिलकर मुस्कुरा रहे थे। उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था। दुनिया में साफ संदेश गया कि चीन की शह पर पाकिस्तान रूस के साथ खड़ा हो गया है। बताया जाता है कि चीन ने पूरी फील्डिंग सेट की थी।
दूसरों से पैसा लेंगे तो बातें भी सुननी होंगी
पाकिस्तान को यह बात समझनी चाहिए कि वह भारत से तुलना कैसे कर सकता है? जो मुल्क विदेश से मिलने वाली मदद पर चल रहा हो उसे भारत जैसे ताकतवर और प्रभावशाली देश के बारे में बोलते समय दो बार सोचना चाहिए। वैसे भी जब आप किसी की मदद लेकर कृतज्ञता की स्थिति में रहेंगे, तो उसकी बात भी माननी पड़ती है और यही पाकिस्तान के साथ हो रहा है।
दोनों देश साथ चले पर…
पिछले 70 वर्षों में भारत की ताकत बढ़ती गई, वह न सिर्फ पड़ोसी देशों को मदद के साथ संयुक्त राष्ट्र में बड़ा योगदान करता है बल्कि गुटबाजी से दूर रहते हुए वैश्विक सुरक्षा और कूटनीति में उसका कद भी बढ़ा है। दूसरी तरफ आतंकवाद की शरणस्थली और जननी बन चुका पाकिस्तान दुनियाभर के देशों के लिए जिम्मेदारी बन चुका है। वहां मौजूद परमाणु हथियारों को लेकर दुनिया चिंतित रहती है कि वे आतंकियों के हाथ में न आ जाएं। वहीं जिम्मेदार देश होने के नाते भारत के परमाणु शस्त्रागार को लेकर दुनिया बेफिक्र है। यहां राजनीतिक, सैन्य स्थिरता और मजबूत लोकतंत्र दुनिया के लिए मिसाल है। दुनियाभर के देश भारत के लोकतंत्र से सीखते हैं। और पाकिस्तान दुनिया के सबसे खूंखार आतंकियों को अपने यहां पालता है।
भारत से दुनिया को उम्मीद, पाकिस्तान से टेंशन
भारत और पाकिस्तान का हाल ऐसे ही समझ लीजिए। दुनिया के देश पाकिस्तान से रूस के खिलाफ खड़े होने के लिए कह रहे हैं, वहीं यूक्रेन समेत पूरी दुनिया भारत से उम्मीद लगाए बैठी है कि पीएम नरेंद्र मोदी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हमले रोकने के लिए कहें। आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ-साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत करने वाले हैं। माना जा रहा है कि यूक्रेन-रूस युद्ध समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल हो सकती है।
पाकिस्तानियों ने भी माना भारत का दबदबा
भारत का कद दुनिया को पता है। यूक्रेन में युद्धग्रस्त क्षेत्र में फंसे भारतीय ही नहीं, पाकिस्तानियों ने भी देख लिया कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की दुनिया में कैसी धाक है। भारतीय छात्रों ने ही नहीं, पाकिस्तान और तुर्की के छात्रों ने भी तिरंगा झंडा हाथों में लेकर यूक्रेन में अपनी जान बचाई। पाकिस्तान, चीन और अमेरिका जैसे देश यूक्रेन संकट पर प्लान बनाते ही रह गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति पुतिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की समेत यूरोप के कई देशों के नेताओं से बात कर चुके हैं। भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के साथ ही पीएम मोदी की पहलों को मौजूदा संकट का समाधान निकालने की कोशिश समझा जा रहा है। और पाकिस्तान पर जबर्दस्त दबाव है कि वह रूस के खिलाफ आए। पाकिस्तान की नई चाल से साफ है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों से उसकी मदद बंद हो रही है, ऐसे में वह रूस के पाले में जा चुका है।

Dr. Bhanu Pratap Singh