धनतेरस पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है , साथ ही गोल्ड एक सेफ इंवेस्टमेंट भी है. बहुत से लोग धनतेरस को सोने में निवेश करने का सही समय मानते हैं. या तो वे लोग गोल्ड ज्वेलरी खरीदते हैं. या फिर सिक्के में रूप में गोल्ड को खरीदना पसंद करते हैं. इसका एक कारण भी है. बुरे समय में गोल्ड किसी के लिए भी हार्ड मनी के तौर पर भी काम करता है. बीते कुछ सालों की बात करें तो गोल्ड ने निवेशकों को काफी कमाई कराई है. प्री कोविड काल से पहले के मुकाबले गोल्ड के दाम करीब-करीब दोगुने हो चुके हैं. ऐसे में गोल्ड में निवेश करने से पहले कई बातों का ध्यान रखना भी काफी जरूरी है.
इन बातों का रखें ध्यान
सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें : केवल वही सोना खरीदें जो भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस से सर्टिफाइड हो. इसमें गोल्ड की प्योरिटी और क्वपालिटी का स्टैंडर्ड पता चलता है. बीआईएस हॉलमार्क में प्योरिटी कोड, टेस्ट सेंटर का साइन, ल्वेलर का साइन और मार्किंग का साल भी होता है. हमेशा हॉलमार्क वाला सोना ही खरीदें. हॉलमार्क सर्टिफिकेशन सोने की प्योरिटी का आश्वासन देता है और ऑथेंटीसिटी भी दर्शाता है. यह गोल्ड की क्वालिटी की गारंटी है.
प्योरिटी चेक करें : गोल्ड की प्योरिटी कैरेट में मापी जाती है, 24 कैरेट सोना सबसे प्योर होता है. भारत में सोने की प्योरिटी का सामान्य स्तर 24, 22 और 18 है. वह प्योरिटी लेवल चुनें जो आपके और बजट के लिए सही हो. हालांकि, 24 कैरेट का गोल्ड काफी सॉफ्ट होता है और ज्वेलरी के लिए सही नहीं माना जाता है. आमतौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट और 18 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है. आप जो सोना खरीद रहे हैं उसके कैरेट की जानकारी होना काफी जरूरी है.
प्राइस जरूर कंपेयर करें : सोने की कीमतें हर जौहरी के हिसाब से अलग-अलग होती हैं. खरीदारी करने से पहले विभिन्न ज्वैलर्स से कीमतों की तुलना करें. आप सोने का रेट ऑनलाइन भी चेक कर सकते हैं. सोने की मौजूदा बाजार कीमत से अवगत रहें. कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, इसलिए खरीदारी करने से पहले प्रचलित दरों को जानना जरूरी है.
मेकिंग चार्ज से सावधान रहें : ज्वैलर्स सोने को आभूषण में बदलने के लिए मेकिंग चार्ज लेते हैं. आभूषण के डिजाइन और जटिलता के आधार पर मेकिंग चार्ज अलग-अलग हो सकते हैं. मेकिंग चार्ज के बारे में पहले से पूछें और अलग-अलग ज्वैलर्स से उनकी तुलना करें. ज्वैलर्स अक्सर आभूषण बनाने में शामिल कई तरह के चार्ज भी लेते हैं. इस तरह के चार्ज ओवरऑल कॉस्ट असर डालते हैं.
बाय-बैक पॉलिसी को समझें : खरीदारी करने से पहले ज्वैलर्स की बाय-बैक पॉलिसी को समझें. इससे आपको पता चल जाएगा कि अगर आप भविष्य में जौहरी को सोना वापस बेचते हैं तो आपको कितना वापस मिलेगा.
रेपुटेटिड ज्वैलर्स से खरीदें : रेपुटेटिड और स्टैबलिश ज्वैलर्स से सोना खरीदें. यह मेटल की क्वालिटी और ऑथेंटिसिटी सुनिश्चित करता है. स्टैबलिश ज्वैलर्स अपने द्वारा बेचे जाने वाले सोने के बारे में सटीक जानकारी देते हैं.
छूट और ऑफर चेक करें : त्योहारी सीज़न के दौरान, कई ज्वैलर्स छूट और ऑफर्स देते हैं. अपने गोल्ड का सही प्राइस पता लगाने के लिए इन पर नजर रखना काफी जरूरी है.
डॉक्युमेंटेशन : गोल्ड खरीदने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि आपको सही बिल और बाकी डॉक्युमेंट्स मिल रहे हैं या नहीं. इन डॉक्युमेंट्स में प्योरिटी, वेट और मेकिंग चार्ज जैसी डिटेल होती हैं. यह डॉक्युमेंट्स भविष्य के किसी भी तरह ट्रांजेक्शन और एक्सचेंज के लिए काफी अहम है.
रिस्क से सावधान रहें : गोल्ड काफी वैल्यूएबल असेट होता है. इसलिए इसे खरीदने में शामिल रिस्क के बारे में भी आपको पता होना काफी जरूरी है. अपने सोने को सुरक्षित स्थान पर रखें और चोरी और नुकसान के अगेंस्ट इंश्योरेंस कराएं.
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