Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। सरकारी आवास योजनाओं के तहत गरीबों को मकान देने की मुनादी तो जिला प्रशासन ने खूब कराई लेकिन जरूतमंदों को योजनाओं का लाभ नहीं मिला सका। इस बात की पोल सुरीर क्षेत्र के गांव जगरूपा में हुए हादसे ने खोल कर रख दी। पीडित परिवार के मुखिया ने घटना के बाद ग्राम प्रधान और उसके पति को लेकर जो खुलासा किया वह बेहद अफसोसजनक और द्रवित करने वाला है, अपनी पत्नी को खो चुके और तीन बच्चों की जिंदगी के लिए दुआ मांग रहे परिवार के मुखिया ने आरोप लगाया कि 2016 में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ने 5000 रूपये मकान बनवाने के लिए लिये थे। पैसे वापस नहीं किये। किसी न किसी बहाने से टरकाता रहा। पीडित ने आरोप लगाया कि उसने ग्राम विकास अधिकारी और दूसरे लोगों से जहां तक वह जा सकता था शिकायत की लेकिन वहां से भी उसे टहला दिया गया। भादौं के महीने में लगातार बरसात हुई है। ऐसे में कच्चे मकानों के बैठने और ढह जाने का खतरा बना रहता है।
ग्रामीण मौके पर पहुंचे और मलबे में दबी महिला और बच्चों को बाहर निकाला
इस बरसात में सुरीरी क्षेत्र के ग्राम पंचायत सिकंदरपुर के मजरा नगला जगरूपा में रात करीब 10 से 11 बजे के बीच करीब ललितेश का कच्चा मकान गिर गया। मौसम खराब होने के कारण रविवार को ललतेश की पत्नी बीना देवी (30 वर्ष) तथा पुत्री प्रिया (10 वर्ष), अमर (8 वर्ष), छोटू (6 वर्ष) कच्ची कोठरी में सो रहे थे। बारिश के कारण रात को अचानक छत भरभरा कर गिर गई। जिसके नीचे बीना देवी, बेटी प्रिया, बेटा अमर, छोटू मलबे के नीचे दब गए। छत गिरने की आवाज सुन आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और मलबे में दबी महिला और बच्चों को बाहर निकाला और अस्पताल ले गए।
ललितेश ने राशन डीलर पर भी आरोप लगाया है कि उसे पूरा राशन नहीं दिया जाता है
पीडित ललितेश ने ग्राम प्रधान और राशन डीलर पर जो आरोप लगाये हैं वह सामान्य लेकिन बेहद गंभीर किस्म के हैं। ये आरोप ऐसे लोगों के खिलाफ हैं जिनके विरूद्ध शिकायतों को अधिकारी और यहां तक कि जनप्रतिनिधि भी गंभीरता से नहीं लेते हैं जबकि ये किसी भी गरीब और जरूरतमंद के पहले मददगार साबित हो सकते हैं।
राजनीति में महत्वपूर्ण ग्राम प्रधान मोहरा बन चुके हैं
जिला पंचायत सदस्य से लेकर विधायक, सांसद तक ग्राम प्रधान राजनीति का बडा मोहरा होता है। हर ग्राम प्रधान किसी न किसी बडी राजनीतिक हस्ती से जुड जाता है, जिसके चलते इनके खिलाफ आने वाली शिकायतों पर संज्ञान लेना अधिकारियों के लिए भी आसान नहीं होता है। दूर दराज क्षे़त्रों में बूथ स्तर तक मजबूत पकड बनाये रखने के लिए ग्राम प्रधानों पर शिकंजा राजनीति के खिलाडियों के लिए बेहद जरूरी हो होता है। जनपद के कई बडे नेता इस खेल में माहिर हैं।
जिलाधिकारी मथुरा सर्वज्ञराम मिश्र ने बताया कि इस संबंध में जानकारी हुई, सुबह सात बजे एसडीएम मौके पर थे। उन्होंने बताया कि मिट्टी का कच्चा मकान था, वह बैठ गया है। दुख की गढी में हम परिवार के साथ हैं। एसडीएम को निर्देश दिये गये हैं कि पीडित परिवार को हर संभव मदद की जाये।
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