लखनऊ। देश की राजधानी दिल्ली के बाद अब यूपी की राजधानी लखनऊ की आबो-हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। इस बार भी सर्दियों के मौसम के दस्तक देने के पहले ही प्रदूषण ने पूरे वातावरण में धुंध की चादर से ढक लिया है। वातावरण में फैले स्मॉग के चलते लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि इस सीजन में पहली बार बीते शनिवार को राजधानी लखनऊ में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 200 का आंकड़ा पार कर गया। राजधानी लखनऊ में औसत एक्यूआई 205 दर्ज की गयी है। लखनऊ के लालबाग और तालकटोरा इलाके में औसत एक्यूआई क्रमश: 275 और 229 रिकॉर्ड किया गया। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि हवा का रुख पूरब से पछुआ हो चुका है। ऐसे में प्रदूषण के कणों का प्रसार होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
दिन में नहीं दिख रहा सूरज
वातावरण में फैले स्मॉग के चलते आलम यह है कि दिन में भी सूर्यदेव के दर्शन दुर्लभ हो गये हैं। लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही हैं। हवा के जहरीली होने का असर आंखों और फेफड़ों पर भी दिख रहा है। रास्ते में चलने में भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
शोर के मामले में भी लखनऊ आगे
राजधानी लखनऊ में वायु प्रदूषण के साथ ही शोर का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। सबसे ज्यादा शोर इंदिरानगर के रिहायशी इलाकों में रिकॉर्ड किया गया है। सीएसआईआर-आईआईटीआर की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर-अक्टूबर में मॉनिटरिंग के दौरान चौक पर दिन में 80.3 डेसिबल और रात में 72.8 डेसिबल शोर रिकॉर्ड किया गया। वहीं अमौसी में दिन में 79.8 डेसीबल और रात में 72.7 डेसीबल शोर रिकार्ड किया गया।
चारबाग में दिन व रात में क्रमशः 77 व 73.6 डेसीबल, आलमबाग में 78.4 व 74.1 तथा अमीनाबाद में 72.7 व 68.6 डेसीबल शोर पाया गया। आवासीय क्षेत्रों की बात करें तो अलीगंज में दिन और रात में क्रमशः 61.8 और 57.3 डेसीबल, विकास नगर में 68.8 और 55.7, इंदिरा नगर में 73.5 और 61.5 और गोमतीनगर में 72.1 और 64.2 डेसीबल शोर रिकार्ड किया गया। मानकों के मुताबिक रिहायशी इलाकों में दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से ज्यादा शोर नहीं होना चाहिए। व्यावसायिक क्षेत्रों में दिन के दौरान मानक 65 डेसिबल और रात में 55 डेसिबल है।
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