ऐतिहासिक क्षण: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में प्रतिष्ठित लाल चौक पर फहराया गया तिरंगा, बड़ी संख्या में लोग रहे मौजूद

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एक वक्त ऐसा था जब श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने से विवाद हो जाता था वहीं अब 26 जनवरी गणतंत्र दिवस से पहले लाल चौक घंटाघर तिरंगे की रोशनी से नहाया हुआ नजर आया। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं उनमें से एक बदलाव यह भी है।
केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर के प्रतिष्ठित लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया। इस दौरान वहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। यह एक ऐतिहासिक क्षण था।
आजादी के बाद पहली बार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया।
इसलिए इंटरनेट बंद
कश्मीर में अधिकारियों ने कहा कि घाटी में गणतंत्र दिवस समारोह शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। घाटी में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर मोबाइल फोन व इंटरनेट सेवाओं का निलंबन 2005 से सुरक्षा अभ्यास का हिस्सा रहा है, जब आतंकवादियों ने स्वतंत्रता दिवस समारोह स्थल के पास आईईडी विस्फोट करने के लिए एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था। हालांकि आधिकारिक कार्यक्रमों के समापन के बाद आमतौर पर दोपहर में सेवाएं बहाल कर दी जाती हैं।
जेसीबी से फहराया गया तिरंगा
लाल चौक के घंटाघर पर तिरंगा फहराने से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। ऊंचाई पर तिरंगा फहराने के लिए जेसीबी मंगाई गई। जेसीबी में कुछ अधिकारी चढ़े और तिरंगा फहयाया। लाल चौक को रात में ही तिरंगा फहराने के लिए सजाया गया था।
बंद कर दी गई थीं इंटरनेट सेवाएं
कश्मीर में गणतंत्र दिवस समारोहों को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए एहतियात के तौर पर बुधवार को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। हालांकि, मोबाइल फोन सेवाएं और फिक्स्ड लाइनों पर इंटरनेट सेवाएं प्रभावित नहीं हुईं।
हमेशा में चर्चा में रहा लाल चौक पर तिरंगा फहराना
श्रीनगर लाल चौक स्थित प्रेस एन्क्लेव पर आजादी के बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया। यह तिरंग पिछले साल अप्रैल में फहराया गया था। इस तस्वीर को हजारों लाइक्स और रीट्वीट मिले लाल चौक पर तिरंगा फहराया जाना हमेशा से चर्चा में रहा है।
​1992 में लाल चौक पर फहराया गया था तिरंगा
लाल चौक पर पहली बार 26 जनवरी 1992 को बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में तिरंगा फहराया गया था। इसके लिए दिसंबर 1991 में कन्याकुमारी से एकता यात्रा की शुरुआत की गई थी, जो कई राज्यों से होते हुए कश्मीर पहुंची थी। मुरली मनोहर जोशी के साथ उस वक्त नरेंद्र मोदी भी थे।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh