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शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति के साथ हिंदी से न्याय अभियान ने लगाया शिविर

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 में तत्काल संशोधन की मांग के लिए चल रहा अभियान

सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में शुरू हो

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आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत. हिंदी से न्याय अभियान ने शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति, आगरा (पंजीकृत) के साथ रविवार को शास्त्रीपुरम ए ब्लॉक पानी की टंकी के पास हस्ताक्षर अभियान चलाया। लोगों ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 में तत्काल संशोधन की मांग की। अभियान का उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं में शुरू कराना है। इसके लिए संविधान में संशोधन आवश्यक है।

हिंदी से न्याय अभियान उत्तर प्रदेश संयोजक डॉ. देवी सिंह नरवार ने अवगत कराया कि संविधान की धारा 348 में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी। यह बाध्यता सिर्फ 15 वर्ष के लिए थी लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी यह क्रम जारी है। इस बाध्यता को हटाने के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के नेतृत्व पुरुष न्यायविद चंद्रशेखर उपाध्याय हैं, जिन्होंने हिन्दी माध्यम से एल.एल.एम. कर कीर्तिमान बनाया है।

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शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति ने डॉ. दे वी सिंह नरवार को हस्ताक्षर प्रपत्र सौंपा।

शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति, आगरा के अध्यक्ष डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि आगरा में डॉ. मुनीश्वर गुप्ता, डॉ. भानु प्रताप सिंह, डॉ. जितेंद्र चौहान ने हिंदी माध्यम से शोध करके कीर्तिमान कायम किया है। अब सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों में हिंदी तथा भारतीय भाषाओं में कार्यवाही शुरू कराने के लिए हस्ताक्षर अभियान चल रहा है।

सचिव डॉ. लाखन सिंह और कोषाध्यक्ष देवेंद्र सिंह परमार ने बताया कि हिंदी से न्याय अभियान बहुत आवश्यक है। वादकारी को पता होना चाहिए कि न्यायालय में उसके बारे में क्या कहा जा रहा है।

इस मौके पर राजवीर सिंह, सुनील शर्मा, मुन्नालाल राजपूत, मनोज शर्मा, शुभम, दिनेश चंद्र गौतम, हर गोविंद सिकरवार, शुभम आदि ने डॉ. देवी सिंह नरवार को हस्ताक्षर प्रपत्र सौंपा। कार्यक्रम में रामचरन सिंह, कृष्ण गोपाल वार्ष्णेय, रितिक तोमर, गौरव पाठक, गौरव सिंह, बृजेश, सुनील कुमार सारस्वत, अनिल सोलंकी, जगदीश सिंह सोलंकी, धर्मेन्द्र सिंह, कृष्ण गोपाल, पियुष शर्मा, नरेश सोलंकी, पूनम शर्मा, अजित परमार, रविंद्र सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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