मुसीबत में वरदान साबित हो सकती है अडानी ग्रुप के लिए Hindenburg Research की रिपोर्ट – Up18 News

मुसीबत में वरदान साबित हो सकती है अडानी ग्रुप के लिए Hindenburg Research की रिपोर्ट

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जाने-माने अर्थशास्त्री स्वामीनाथन एस ए अय्यर ने अखबार इकॉनमिक टाइम्स में एक लेख लिखा है। उनका कहना है कि Hindenburg Research की रिपोर्ट अडानी ग्रुप के लिए मुसीबत नहीं, बल्कि वरदान की तरह है।

स्वामीनाथन ने कहा कि Hindenburg Research की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर शेयरों में छेड़छाड़ करने के जो गंभीर आरोप लगाए गए हैं, उनसे ग्लोबल इनवेस्टर्स में खलबली मची है और वे अपना निवेश निकाल रहे हैं। इसके लिए गहन जांच होनी चाहिए और दोषी को सजा मिलनी चाहिए। लेकिन में इस मुद्दे से जुड़ा एक मुद्दा उठाना चाहता हूं। अडानी के आलोचकों का कहना है कि वह अपने स्किल के कारण इस मुकाम पर नहीं पहुंचे हैं बल्कि राजनीतिक संरक्षण और चालबाजी से यहां तक पहुंचे हैं। मैं इससे सहमत नहीं हूं। साधारण परिवार से आकर दो दशक में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रईस बनना असाधारण बिजनेस स्किल के बिना संभव नहीं है।

नेशनल चैंपियन हैं अडानी

आलोचकों का कहना है कि बीजेपी अडानी को वैल्यूएबल एसेट्स दे रही है। इनमें पोर्ट्स से लेकर माइन्स, एयरपोर्ट्स और ट्रांसमिशन लाइन्स शामिल हैं। ऐसा कतई नहीं है। सरकार ने शुरुआत में उन्हें कच्छ में एक छोटा पोर्ट ऑपरेट करने का अधिकार दिया था। वहां तब रेल कनेक्शन भी नहीं था। अडानी ने उसे देश के सबसे बड़े पोर्ट में बदल दिया। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। अडानी ने कई दिग्गज ग्लोबल कंपनियों को हराकर करीब एक दर्जन दूसरे स्थानों पर जेटी और पोर्ट्स खरीदे हैं। वह देश के सबसे बड़े पोर्ट ऑपरेटर हैं। देश के कुल फ्रेट का करीब एक चौथाई हिस्सा हैंडल करते हैं। यह काम उन्हें नेशनल चैंपियन बनाता है।

सरकार श्रीलंका और इजरायल में सामरिक महत्व के जेटी और पोर्ट्स खरीदने में उनका सपोर्ट कर रही है। आलोचक इसे फेवर कहते हैं। क्या सच में ऐसा है?

श्रीलंका के टर्मिनल की लागत 75 करोड़ डॉलर और हाइफा पोर्ट की कॉस्ट 1.18 अरब डॉलर होगी। अगर चांदी की थाल में सजाकर भी पेश किया जाए तो भारत की कोई भी कंपनी इतना बड़ा जोखिम नहीं लेगी। अडानी के स्किल ने उन्हें एक बिजनसमैन से ज्यादा स्ट्रैटजिक प्लेयर बनाया है।

मुसीबत में वरदान

पाठकों को लग रहा होगा कि मैं अडानी का बड़ा प्रशंसक हूं लेकिन मेरे पास अडानी ग्रुप का कोई शेयर नहीं है। इसकी वजह यह है कि इनकी कीमत बहुत ज्यादा है और इनमें ज्यादा जोखिम है। अडानी ने तेजी से अपने कारोबार को डाइवर्सिफाई किया है। इतिहास ऐसे बिजनेसमेन से भरा पड़ा है जिन्होंने तेजी से अपना कारोबार फैलाया। कई दशक तक सफलता पाई लेकिन फिर वे नाकाम हो गए। इसलिए मुझे लग रहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट अडानी के लिए अब तक की सबसे अच्छी चीज है। इससे उनकी कारोबार फैलाने की स्पीड कम होगी और उनके फाइनेंसर भविष्य को लेकर सतर्क हो जाएंगे। इससे अडानी ग्रुप में वित्तीय अनुशासन आएगा और अडानी का फायदा होगा। हिंडनबर्ग अडानी ग्रुप के लिए मुसीबत में वरदान हो सकती है।

Dr. Bhanu Pratap Singh