डॉ. भानु प्रताप सिंह
Live Story Time
Agra, Uttar Pradesh, India. अग्रवन हेरिटेज यूनिवर्सिटी की प्रेसवार्ता होटल पीएल पैलेस, संजय प्लेस, आगरा में हुई। इसमें कुछ अनोखी बातें हुईं। बिंदुवार घटनाक्रम इस प्रकार है-
- प्रेसवार्ता का समय दोपहर 1.30 बजे का था। हमारे पत्रकार साथी 1 बजे से ही विराजमान थे। आमतौर पर पत्रकार साथी समय के बाद ही पहुंचते हैं। यहां आधा घंटा पूर्व क्यों, आप ही विचार करें।
- मैं 1.35 पहुंचा तो यह जानकारी मिली। मैंने जब पत्रकार साथियों से कहा कि नीचे क्यों बैठे हो, ऊपर चलो तो कहा कि अभी कोई नहीं आया है।
- मुझे समय के अनुपालन का कीड़ा काटने लगा। मैं कुछ क्षण नीचे बैठा और ऊपर वाले हॉल में चला गया। मेरे पीछे-पीछे कुछ पत्रकार ऊपर आ गए। वहां मंच के पीछे बैनर टांगा जा रहा था। तीन पत्रकार बैठे हुए थे।
- एक बजकर 49 मिनट हो गए। मुझे फिर समय के अनुपालन का कीड़ा काटने लगा। मैंने कहा कि डेढ़ बजे का समय था और अभी तक पत्रकार वार्ता शुरू नहीं हुई है।
- यह सुनकर आयोजक आपस में कहने लगे कि डेढ़ बजे का समय था, हम तो दो बजे का मानकर चल रहे थे। मतलब साफ है कि संवादहीनता के चलते समय का भ्रम हुआ।
- खैर, दो बजे के आसपास प्रेसवार्ता शुरू हो गई। प्रिंट और डिजिटल मीडिया वाले सवाल पूछ रहे थे। बात पूरी हो पाती कि इससे पहले ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वालों को बाइट लेने का कीड़ा काटने लगा। उन्होंने झट से माइक लगाए। तीन लोगों की बाइट ली।
- हमारे चार-पांच साथी विलम्ब से आए। उन्होंने भी बाइट ली। यह देख दैनिक जागरण की वरिष्ठ पत्रकार प्रभजोत कोर झल्ला उठीं। उन्होंने कहा कि प्रिंट वालों की प्रेसवार्ता अलग से किया करो। उनका कहना मुझे ठीक ही लगा क्योंकि बाइट के चक्कर में कोई विचार-विनिमय नहीं हो पाता है।
- प्रेसवार्ता के समापन पर मंच से कहा गया कि खान खाएं और जाते समय गिफ्ट लेकर जाएं। गिफ्ट सुनते ही कई पत्रकारों के चेहरे पर मुस्कान तिर गई। वैसे गिफ्ट की अनुमान पहले ही लगा लिया होगा तभी तो एक बजे आकर बैठ गए थे।
- मैं कुर्सी से उठा तो मुझे वरिष्ठ और हैंडसम पत्रकार शोभित चतुर्वेदी दिखाई दिए। उनके पास गया तो राम-राम हुई और वे जल्दी में मंच की चल दिए। साथ में समीर कुरैशी और अन्य लोग थे। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सुकेश कुमार के समक्ष गिफ्ट को लेकर विरोध प्रकट किया। जैसे-तैसे उन्हें शांत किया गया। शोभित चतुर्वेदी ने आमंत्रण देने वाले को भी टोका। कुलपति प्रोफेसर सुनील जैन भी कुछ बात कही जो मुझे ठीक से सुनाई नहीं पड़ी, क्योंकि मैं घर जाने की जल्दी में था। इसके बाद भोजन स्थल पर शोभित चतुर्वेदी और डॉ. सुकेश कुमार के बीच बातचीत हुई। उस समय शोभित चतुर्वेदी अन्य पत्रकारों के लिए खलनायक लग रहे होंगे, ऐसा मैं सटीक अनुमान लगा सकता हूँ।
- मुझे नहीं पता किसने गिफ्ट लिया और किसने नहीं क्योंकि मैं चला आया था।
- मैंने पत्रकार गिने तो संख्या 56 थी। इस पर मैंने जस्सी भाई से कहा कि 56 पत्रकार आए हैं। यह सुनकर जस्सी भाई ने बड़ी सटीक बात कही- ये तो व्यक्तिगत सूचना वाले हैं। किसी ग्रुप में सूचना आ जाती तो न जाने कितने आ जाते। खैर, मैंने न भोजन किया और न ही गिफ्ट ली। बाकी बंधुओं ने क्या किया, वे जानें।
- यह समाचार किसी की मानहानि के लिए नहीं लिखा गया है। शोभित चतुर्वेदी ने शानदार काम किया है, उन्हें शाबासी तो बनती है।
आगरा के पहले निजी विश्वविद्यालय Agravan Heritage University में क्यों प्रवेश लें, देखें वीडियो
Latest posts by Dr. Bhanu Pratap Singh (see all)
- यूपी के अलीगढ़ में युवक ने की ममेरी बहन से किया निकाह, पहली बीबी को तीन तलाक़ देकर घर से निकाला, केस दर्ज - April 24, 2025
- See the World Clearly with Laser Refractive Surgery – A Guide to Life Beyond Glasses - April 24, 2025
- Vedanta to Train 80 More Budding Archers in Odisha’s Kalahandi, Olympian Rahul Banerjee to Mentor - April 24, 2025