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उत्तर प्रदेश में पति-पत्नी के बीच झगड़े बढ़े, आगरा की स्थिति भी चिंताजनक, परिवार न्यायालयों में लाखों वैवाहिक मुकदमे

लेख

आगरा में प्रतिमाह दायर हो रहे हैं 900 से अधिक वैवाहिक मुकदमे, चिंता की बात है ये बहुत अधिक

अधिवक्ता केसी जैन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से वैवाहिक विवादों के शीघ्र निस्तारण के लिए की मांग

 

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा में 5 परिवार न्यायालय हैं जिनमें वर्ष 2023 की पहली छमाही (जनवरी से लेकर जून) में 5519 नये वैवाहिक वाद दाखिल हुए, 30 जून को 10,748 वैवाहिक विवाद आगरा के परिवार न्यायालयों में लम्बित थे और 6 माह में 5700 मामले निर्णित हुए। आगरा में दायर होने वाले नये मुकदमों की संख्या प्रतिमाह लगभग 920 मामले अर्थात् प्रतिदिन 30 से अधिक मामले थी। सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा यह सूचना वरिष्ठ अधिक्ता के0सी0 जैन को 25 सितम्बर 2023 को उपलब्ध करायी गयी। आगरा के परिवार न्यायालयों में वर्ष 2022 में 10511 मामले दाखिल हुए थे जबकि वर्ष 2019 में 7880 और वर्ष 2018 में 4665 मात्र ही थे। यह आंकड़े भी समाज में बढ़ते हुए वैवाहिक विवादों की ओर इशारा करते हैं।

यदि उत्तर प्रदेश स्तर की बात करें तो उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार जनवरी 2023 से जून 2023 के मध्य 75 जनपदों में 190 परिवार न्यायालयों के समक्ष 1,41,014 नये मामले दाखिल हुए और 30 जून 2023 को 3,87,349 मामले लम्बित थे। वर्ष 2022 में पूरे प्रदेश में 2,72,229 नये परिवार विवाद दाखिल हुए। इस प्रकार वर्ष 2023 की पहली छमाही में प्रतिदिन लगभग 785 नये परिवार विवाद दाखिल हुए। लम्बित मामलों की संख्या भी अपने आप में चौंकाने वाली है जो वर्ष 2018 में 2,83,345 थे जो वर्ष 2019 में बढ़कर 3,11,701 हो गये और वर्ष 2022 में 3,93,712 हो गये।

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उक्त सूचना के परिप्रेक्ष्य में अधिवक्ता केसी जैन द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को मेल से भेजे गये पत्र में वैवाहिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष अभियान चलाने और उन्हें त्वरित गति से निस्तारित करने के लिए भी पत्र लिखकर मांग की है। पत्र में उल्लेख किया कि विशेष रूप से तलाक से संबंधित मामलों के संपर्क में विलंब का अत्यधिक चिंता का कारण है। वैवाहिक विवाद, अपने स्वभाव में ही, शादीशुदा जोड़ों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। न्यायिक निर्णय के लिए दी जाने वाली विलंबित अवधि न केवल पति और पत्नी पर भावनात्मक और आर्थिक दबाव डालती है, बल्कि इन कानूनी लड़ाई परिवारों में भी तनाव उत्पन्न कर देती है। उच्च न्यायालय द्वारा परिवार न्यायालयों को आवश्यक मार्गदर्शन जारी करने की आवश्यकता है ताकि लम्बित मामलों का समयबद्ध रूप से निर्णय हो सके जो अनगिनत परिवारों को राहत पहुँचाएगा।

अधिवक्ता जैन ने उपलब्ध करायी गयी सूचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में यद्यपि 190 परिवार न्यायालय हैं लेकिन लगभग 4 लाख वैवाहिक मुकदमों की संख्या इस बात का संकेतक है कि वैवाहिक मुकदमों के निस्तारण की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है जिसमें उच्च न्यायालय को पहल करने की आवश्यकता है। यही नहीं, वैवाहिक मुकदमे कैसे कम से कम उत्पन्न हों, इस विषय पर समाज को भी विचार मंथन करना है। वर वधु पक्ष को बिना अच्छी तरह जाने व जल्दबाजी में विवाह किया जाना, युवक युवतियों के व्यवहार में लचीलेपन की कमी आना, शराब व अन्य व्यसनों का बढ़ना, बढ़ते हुए एकल परिवार, विवाहेत्तर सम्बन्ध और समाज में बेमेल विवाह होना आदि वैवाहिक विवादों के उत्पन्न होने के कारण हैं। सामाजिक स्तर पर वैवाहिक विवादों का समाधान भी अब मुश्किल होता जा रहा है और जिसका परिणाम अदालतों में बढ़ते हुए वैवाहिक विवाद हैं।

 

                                                    उत्तर प्रदेश के परिवार न्यायालयों में मुकदमों की स्थिति

वर्ष नये वादों की संख्या   निर्णित वादों की संख्या वर्ष अन्त में लम्बित वाद
2023 (जून माह तक) 1,41,014 1,47,377 3,87,349
2022 2,72,229 2,85,167 3,93,712
2019 3,05,487 2,77,131 3,11,701
2018 1,82,637 1,61,724 2,83,345

 

                                                              आगरा में परिवार न्यायालयों में मुकदमों की स्थिति 

वर्ष नये वादों की संख्या    निर्णित वादों की संख्या   वर्ष अन्त में लम्बित वाद
2023 (जून माह तक) 5,519 5,700 10,748
2022 10,511 10,850 10,929
2019 7,880 7,538 8,215
2018 4,665 3,010 7,897

 

 

Dr. Bhanu Pratap Singh