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युद्ध के देवता गुरु गोविन्द सिंह न होते तो सबकी सुन्नत हो गई होती, चार साहिबजादों की शहीदी पर केन्द्रित लाइट एंड साउंड शो आगरा किला पर 25 को

RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. सिखों के दशम गुरु गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार साहिबजादे। धर्म की रक्षा के लिए चार साहिबजादों ने शौर्यपूर्ण शहादत दी। 10 लाख सैनिकों के सामने चमकौर (पंजाब के रुपनगर जिले में एक नगर) के मैदान में हुए युद्ध के दौरान 22 दिसंबर 1704 को  गुरु गोविंद साहिब के बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और फिर जुझार सिंह शहीद हुए। 27 दिसंबर, 1704 में गुरुगोविंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद (पंजाब में फतेहगढ़ साहिब) के नवाब ने दीवार में जिंदा चिनवा दिया। साहिबजादों के शहीद होने की ख़बर सुन कर गुरु गोविंद सिंह की माता गुजरी जी ने भी प्राण त्याग दिए। चार साहिबजादों की शहादत को पूरे देश में नमन किया जा रहा है। आगरा में 25 दिसम्बर को आगरा किला पर लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जा रहा है। इस संबंध में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा गया कि गुरु गोविन्द सिंह जी युद्ध के देवता हैं। अगर वे न होते तो समूचे भारत की सुन्नत हो गई होती।

 

गुरुद्वारा गुरु का ताल, गुरु नानक नाम लेवा संगत एवं अभियान फाउंडेशन संयुक्त रूप से 25 दिसंबर को आगरा किला के सामने स्थित श्री राम लीला पार्क में भव्य लाइट एंड साउंड कार्यक्रम। समय है शाम 6.30 बजे से 10.30 बजे तक। इसके लिए गुरुद्वारों पर बसों की व्यवस्था की गई है। कार्यक्रम समापन के बाद बसें गुरुद्वारों पर छोड़ देंगी। कार्यक्रम में कोई टिकट या पास नहीं है। प्रारंभ में पुरातन युद्ध कला का प्रदर्शन किया जाएगा।

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प्रेसवार्ता को संबोधित करते पदाधिकारी।

गुरुद्वारा गुरु का ताल में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम पूरी तरह सिक्ख मर्यादा के अनुसार हो रहा है। पटियाला पंजाबी रंग मंच के 25 से ऊपर कलाकार गुरु साहिब के परिवार की शहादत को नमन करेंगे। संत बाबा प्रीतम सिंह ने वाहे गुरु का उद्घोष करते हुए कहा कि चार साहिबजादों की उम्र बहुत कम थी, फिर भी हम सम्मान स्वरूप बाबा कहकर संबोधित करते हैं। धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। पंजाब में तो पूरे सप्ताह उनकी शहादत को याद किया जाता है।

 

अभियान फाउंडेशन के अध्यक्ष रवि दुबे ने बताया कि 2020 में इस संस्था को बनाने का उद्देश्य गुरु साहिब के चारों साहिबजादों एवं उनके परिवार की शहादत को जन जन तक पहुंचाना था। इसके लिए उन्होंने सरहिंद तक यात्रा की थी और वहां से अपील की थी जिस प्रकार हिन्दुओं के अन्य तीर्थ हैं, उसी प्रकार यह भी तीर्थ है। यदि गुरु साहिब का परिवार अपनी शहादत नहीं देता तो देश का क्या परिवेश होता, अनुमान लगाया जा सकता है। जब तक देश के हर बच्चे तक इनके इतिहास की जानकारी नहीं होगी, हम इसी तरह प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे यहां विद्या की देवी सरस्वती, धन की देवी लक्ष्मी, शक्ति की देवी दुर्गा हैं, उसी प्रकार युद्ध के देवता गुरु गोविन्द सिंह जी हैं। उन्होंने साथ में तलवार रखना और धर्म रक्षा के निमित्त युद्ध के लिए हर समय सन्नद्ध रहना सिखाया।

गुरुद्वारा माईथान के प्रमुख सरकार कंवलजीत सिंह ने बताया कि चार साहिबजादों की शहादत अप्रतिम है। अगर गुरु गोविन्द सिंह न होते तो देश के हर व्यक्ति की सुन्नत हो गई होती।

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पोस्टर का विमोचन करते सिख समाज के बंधु।

समन्वयक बंटी ग्रोवर ने बताया कि इस नाट्य प्रस्तुति में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत से लेकर गुरु गोविन्द सिंह के चार साहिबजादों एवं माता गूजरी जी की शहादत को लाइट एंड साउंड के द्वारा बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है। वीर महिन्दर पाल सिंह ने चार साहिबजादों की शहीदी पर प्रकाश डाला।

 

प्रेस वार्ता में संक्रेश शर्मा, भूपेंद्र ठाकुर, गुरमीत सिंह सेठी, गुरनाम सिंह, उपेंद्र सिंह लवली, रानी सिंह, रिक्की शर्मा, गोपाल शर्मा, संदीप राजपूत, प्रशांत दुबे, अनूप मित्तल, रवि भारद्वाज, आलोक शर्मा, रोबिन वर्मा आदि उपस्थित रहे।

 

गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए चार साहिबजादों की शहीदी को नमन करते हुए 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की है। सिख समाज चाहता है कि इसका नाम चार साहिबजादा वीर बाल दिवस होना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बारे में प्रस्ताव भेजा है। राज्यसभा में भी प्रस्ताव लगाया जा रहा है। आशा की जा रही है कि जल्दी ही संशोधन हो जाएगा।

Dr. Bhanu Pratap Singh