chaudhary udaybhan singh BJP

राजा महेन्द्र प्रताप को ‘भारत रत्न’ देने का प्रस्ताव पारित, चौ. उदयभान सिंह ने इशारों में कही बड़ी बात, देखें तस्वीरें

NATIONAL POLITICS PRESS RELEASE REGIONAL

Agra, Uttar Pradesh, India. नागरी प्रचारीणी सभा के पुस्तकालय कक्ष में राजा महेन्द्र प्रताप के चाहने वाले एकत्रित हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सराहा कि अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप राजकीय विश्वविद्यालय की स्थापना की है। राजा महेन्द्र प्रताप को गांधी जी से भी ऊपर माना गया क्योंकि गांधी जी उनके चरण स्पर्श करते थे। सभी ने हाथ उठाकर प्रस्ताव पारित किया कि भारत सरकार राजा महेन्द्र प्रताप को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करे। प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज, वृंदावन (मथुरा) के प्रधानाचार्य डॉ. देव प्रकाश शर्मा ने ऐसी जानकारियां दी कि सब अवाक होकर सुनते रहे। राजा महेन्द्र प्रताप की समाधि की दुर्दशा पर आक्रोश प्रकट किया गया। राजा महेन्द्र प्रताप विचार मंच द्वारा आयोजित ‘राजा महेन्द्र प्रताप के विचार एवं उनके दर्शन‘ विषयक परिचर्चा के दौरान यह सब हुआ।

उत्तर प्रदेश के एमएसएमई राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कहा- राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न नहीं मिला है तो हम सब दोषी हैं। इसका कारण यह है कि राजा महेन्द्र प्रताप का अंश और वंश सत्ता के विरुद्ध काम करता है। जो सत्ता के विरुद्ध काम करता है, वह सत्ता का लाभ नहीं ले सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। साथ ही यह भी कहा कि समाज को एकजुट होकर रहना होगा। सत्ता से संघर्ष की प्रवृत्ति छोड़नी होगी। इशारों ही इशारों में उन्होंने भाजपा को समर्थन देने और अन्य दलों से सावधान रहने की बात कही।

हाथ उठाकर प्रस्ताव पारित कि राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न दिया जाए।

दिल्ली से आए मुख्य अतिथि एवं राजा महेन्द्र प्रताप अभियान के संयोजक चौ. हरपाल सिंह राणा ने स्वतन्त्रता की 75 वी वर्षगांठ ‘अमृत महोत्सव’ के पावन अवसर पर राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न दिये जाने की माँग की। उन्होंने कहा कि फकीर से राजा अनेक हुए हैं परन्तु राजा से फकीर इकलौते राजा महेन्द्र प्रताप थे, जिन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति एवं भूमि शिक्षण संस्थाओं को दान में देकर शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सन् 1915 में काबुल (अफगानिस्तान) में ‘आजाद हिन्द सेना’ का गठन किया, बाद में जिसका नेतृत्व नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने किया। वर्ष 1932 में नोबल पुरस्कार के लिए नामित हुए। वर्ष 1957 में मथुरा से सांसद निर्वाचित हुए। 25 दिसम्बर वर्ष 2014 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतन्त्रता संग्राम में अविस्मरणीय योगदान के निए राजा साहब का स्मरण किया और उनकी प्रशंसा की।

हाथ उठाकर प्रस्ताव पारित कि राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न दिया जाए।

प्रख्यात पत्रकार एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. भानु प्रताप सिंह ने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (एएमयू) राजा महेन्द्र प्रताप की दी गयी दान की भूमि पर बनी है, इससे राजा साहब की शिक्षा के प्रति गहरी रुचि की पुष्टि होता है। अलीगढ़ में यूपी सरकार ने राजा महेन्द्र प्रताप राजकीय विश्वविद्यालय की स्थापना करके उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है। मांग की कि एएमयू का नाम राजा महेन्द्र प्रताप केन्द्रीय विश्वविद्यालय किया जाए।

हाथ उठाकर प्रस्ताव पारित कि राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न दिया जाए।

किसान मोर्चा भाजपा के जिलाध्यक्ष एवं विशिष्ट अतिथि यशपाल राणा ने कहा कि राजा साहब का सम्पूर्ण जीवन शिक्षा और राष्ट्र को समर्पित रहा है, उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरणा देने वाला है। जो सरकार समाज को कुछ दे रही है, उसके साथ रहना चाहिए। रामप्रकाश गुप्त ने यूपी में जाटों को आरक्षण दिया, लेकिन उनकी सरकार नहीं बनाई, क्यों?

परिचर्चा के अध्यक्ष डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि राजा साहब दूरदर्शी थे। आगरा में सेण्ट जॉन्स चqराहा पर तथा वृन्दावन में दलितों के साथ सामूहिक भोजन कर एक नया सन्देश दिया, जिसका समर्थन पं. मदन मोहन मानवीय ने किया। राजा साहब ने भारत में सर्वप्रथम तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए वृन्दावन में प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की। गांधी जी से पहले दलितों के उद्धार के लिए आंदोलन चलाया।

मथुरा के वरिष्ठ पत्रकार सीपी सिंह सिकरवार संबोधित करते हुए। दाएं देव प्रकाश शर्मा।

परिचर्चा के संयोजक एवं शिक्षाविद् डॉ. देवी सिंह नरवार ने राजा साहब के विचारों एवं दर्शन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राजा साहब ने ‘प्रेम-धर्म’, ‘नवविचार’ विज्ञान एव ‘संसार-संघ’ (यूएनओ) विचारधारा के सूत्रधार एवं प्रेरणास्रोत थे। वे सभी धर्मों, जातियों एवं सम्प्रदाय के प्रति गहरा आदर भाव रखते थे। इसीलिये उन्होंने अपना नाम बदलकर ‘पीटर-पीर-प्रताप’ रख लिया था। वे हर दृष्टि से भारत रत्न पाने के अधिकारी हैं।

मथुरा से आए उ0प्र0 राज्य भोजन बोर्ड के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार ने कहा कि राजा साहब ने मथुरा वृन्दावन के मध्य जो पॉलीटेक्निक शिक्षण संस्था खोली है, उसकी दशा को सुधारा जाये। मुख्य गेट पर एक स्तम्भ बनवाया जाए। के0सी0 घाट (वृन्दावन) में प्रेम महाविद्यालय एवं राजा साहब की समाधि को दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित कर उसका सौन्दर्यीकरण कराया जाये।

बाएं से हरपाल सिंह राणा, डॉ. देवी सिंह नरवार, डॉ. भोज कुमार शर्मा और डॉ. भानु प्रताप सिंह

राजा महेन्द्र प्रताप द्वारा स्थापित प्रेम महाविद्यालय, वृंदावन के प्रधानाचार्य डॉ. देव प्रकाश शर्मा ने बताया कि राजा साहब की समाधि दयनीय हालत में है। यह भी कहा कि विद्यालय के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा है। उन्होंने राजा साहब के बारे में आरएसएस के डॉ. कृष्णगोपाल शर्मा को जानकारी दी थी। इसेक बाद विश्वविद्यालय बना। यूपी सरकार ने प्रेम महाविद्यालय को 20 लाख रुपये दिए, जिसके खिलाफ जाट ही कोर्ट में चले गए। डॉ. कृष्ण गोपाल ने दो करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है।

राजा महेन्द्र प्रताप की पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद करने वाले मुख्य वक्ता इंजीनियर शिवदयाल वर्मा ने बताया कि राजा महेन्द्र प्रताप ने काबुल में आजाद हिन्द सरकार का गठन किया। उन्हें राष्ट्रपति चुना गया था। 56 देशों ने मान्यता दी थी।

देव प्रकाश शर्मा का संबोधन।

डॉ. भोजकुमार शर्मा जिला संयोजक, भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ, डॉ. कुंजिल सिंह चाहर, भूपेन्द्र सिंह राना, विशाल सिंह चौधरी एडवोकेट, प्रेम सिंह सोलंकी, बच्चू सिंह सोलंकी, डॉ. अनार सिंह अग्र, चौ. मोहन सिंह चाहर, नफीस खाँ, सुनीत गोस्वामी, घनश्याम सिंह नरवार, हरेन्द्र सिंह चाहर, जगदीश प्रधान, राजेन्द्र फौजदार आदि ने विचार व्यक्त किये। संचालन सहसंयोजक डॉ. भोजकुमार शर्मा ने किया।

Dr. Bhanu Pratap Singh