Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। राम जन्मभूमि आन्दोलन के दिनों में पीटीआई ‘भाषा’ के तत्कालीन सम्वाददाता मोहन स्वरूप भाटिया और मैं सुनील शर्मा, मैं उस समय फोटोग्राफी करता था। हम निवर्तमान राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से उनके तत्कालीन आवास पर मिलने गये थे। उनसे हुई भेंट में राम जन्मभूमि आन्दोलन के सम्बन्ध में प्रश्न पूछने पर उन्होंने मुँह पर उँगली रखकर कहा था कि मैं इस विषय में कुछ नहीं कहूंगा और इस विषय पर मौन हूँ।
मैं इस सम्बन्ध में मौन हूँ किन्तु इतना कहूँगा कि बाबर तो आक्रान्ता था
भाटिया जी सें ज्ञानी जी से अन्यान्य विषयों पर वार्ता करते रहे। वार्ता के क्रम में अनायास ही उनकी आत्मा कहीं से मुखरित हुई और उन्होंने कहा कि आप राम जन्मभूमि के सम्बन्ध में मेरे विचार जानना चाह रहे थे, मैं इस सम्बन्ध में मौन हूँ किन्तु इतना कहूँगा कि बाबर तो आक्रान्ता था।
‘टेप रिकार्डर’ चल रहा था किन्तु भाटिया जी ने झूठ बोल दिया
यह अचानक बोलने के पश्चात् उनकी दृष्टि भाटिया जी के कन्धे पर पड़े ‘टेप रिकार्डर’ पर गई तो उन्होंने पूछ ही लिया कि यह चल तो नहीं रहा है। ‘टेप रिकार्डर’ चल रहा था किन्तु भाटिया जी ने झूठ बोल दिया कि ‘नहीं’ और उनके जीवन काल में भाटिया जी ने कभी उनकी इस वार्ता को सार्वजनिक नहीं किया।
वह कहने लगे कि मेरे बॉके बिहारी की नगरी से आया है
उस दौरान मैंने ज्ञानी जैल सिंह के अनेक फोटो खींचे थे। उनके आवास पर घुसने के वाद अचानक ही ज्ञानी जी मेरी ओर मुखातिब हुए और बोले ‘‘जुवाढ़ तू किधर से आया’’ मैंने वोला कि मैं मथुरा से आया हूँ तो वह कहने लगे कि मेरे बॉके बिहारी की नगरी से आया है। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि ‘‘चा चू चख कर जाना’’ इतना सरल हृदय व्यक्ति कभी नहीं देखा जो इतनी उंचाईयों पर पहुंच कर भी हर किसी का ख्याल रखते थे।