हिंदी के विद्वान प्रो. रामवीर सिंह को मिला केसी श्रीवास्तव अवॉर्ड 2024
पतनशील साहित्य राष्ट्र के घातक, क्रांति के पीछे साहित्यकारों का योगदान
नई पीढ़ी को मोबाइल से बाहर निकाल तहजीब की दुनिया से जोड़ते हैं कार्यक्रम
चित्रांशी के अध्यक्ष तरुण पाठक ने उर्दू में उद्बोधन देकर सबको चौंकाया
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था चित्रांशी की ओर से 39वां कुलहिंद मुशायरा, 12वां चित्रांशी फिराक इंटरनेशनल अवॉर्ड 2024 और दूसरा केसी श्रीवास्तव अवॉर्ड 2024 समारोह का आमंत्रण मिला तो खुशी हुई। संस्था के अध्यक्ष श्री तरुण पाठक और महासचिव और शायर अमीर अहमद एडवोकेट ने अलग-अलग आमंत्रण दिया। होटल ग्रांड में शाम 7.30 बजे का समय निर्धारित हुआ। यह मैं जानता हूँ कि कवि सम्मेलन हो या मुशायरा, कभी भी समय पर शुरू नहीं होते हैं। इसलिए मैं स्कूटी पर सवार होकर शास्त्रीपुरम स्थित घर से रात्रि 8.00 बजे निकला। गुलाबी रंग की शर्ट पहन रखी थी। शाहगंज में रुई की मंडी फाटक पर जाम लगा हुआ था। काफी देर हो गई। 8.30 बजे आगरा कैंट रोड से छावनी की हरियाली में पहुंचा तो ताप से थोड़ी राहत मिली। लगा कि शीतल वायु प्रवाहित हो रही है। होटल ग्रांड में अब खास लोगों की कारें ही अंदर जा पाती हैं। दुपहिया वाहन तो पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। इसलिए पहले स्कूटी को सुरक्षित स्थान पर खड़ा किया। शिरस्त्राण (हेलमेट) के कारण केश बेतरतीब हो गए थे सो क्रमबद्ध किए।
आगे बढ़ने से पहले आपका बता दूं कि केसी श्रीवास्तव मुझे हर बार स्पीड पोस्ट से आमंत्रण भेजते थे। फिर फोन भी करते थे। उनके जाने के बाद अब वॉट्सअप आता है लेकिन फोन नहीं आता। इस बार तरुण पाठक ने फोन किया। आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दूँ कि मुशायरा कराने की बात वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सिराज कुरैशी के क्लीनिक पर बातों ही बातों में तय हो हुई थी।
अब बात करते हैं कार्यक्रम की। मैं सभागार में पहुंचा तो कार्यक्रम शुरू हुआ ही था। श्री अमीर अहमद ने मंच संभाल रखा था। 12वां फिराक इंटरनेशल अवॉर्ड 2024 मशहूर शायर राजेश रेड्डी को दिया जाना था। आमंत्रण पत्र पर इसकी जानकारी भी दी गई थी। मुझे राजेश रेड्डी का यह शेर बहुत पसंद है-
मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है..
मैंने मन ही मन सोच रखा था कि राजेश रेड्डी से यह शेर सुनाने का आग्रह करूंगा। जब अमीर अहमद ने बताया कि राजेश रेड्डी ने भारत के स्थान पर कराची (पाकिस्तान) के मुशायरे में जाना बेहतर समझा है, इसलिए अवॉर्ड इस वर्ष निरस्त किया जाता है, तो मुझे आश्चर्य हुआ। यह आमतौर पर कम ही होता है कि अवॉर्ड लेने की स्वीकृति के बाद भी कोई नहीं आए। बड़े ही सलीके के साथ राजेश रेड्डी के पाकिस्तान के मुशायरे में चले जाने पर लानत डाली गई। उनका यह अवॉर्ड किसी और को दिया जा सकता था, लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया। आयोजक खासे गुस्से में थे लेकिन उर्दू जुबान में गुस्से का प्रकटीकरण भी प्रेम से किया जाता है।
इसके बाद द्वितीय केसी श्रीवास्तव अवॉर्ड 2024 प्रोफेसर रामवीर सिंह को दिया गया। वे हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान हैं। केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक हैं। चित्रांशी के संगठन सचिव हरीश सक्सेना चिमटी ने प्रो. रामवीर सिंह का परिचय पढ़ा। सचिव अब्दुल कुद्दूस खां ने सम्मान पत्र पढ़ा। चित्रांशी के अध्यक्ष तरुण पाठक, सुप्रसिद्ध जूता कारोबारी और जान-माने समाजसेवी नजीर अहमद, सचिव अमीर अहमद, शायर डॉ. त्रिमोहन तरल, जीडी शर्मा ने रामवीर सिंह को सम्मान पत्र दिया।
प्रो. रामवीर सिंह ने अपनी विद्वता का परिचय अपनी वक्तृता शैली में दिया। उन्होंने कहा- आश्चर्य है कि मेरे नाम का चयन किया गया क्योंकि चित्रांशी उर्दू अदब को समर्पित है और मैं हिंदी वाला। रचनाकार का परिवार पूरा संसार होता है। जब संवेदना राष्ट्र-समाज के बीच में सिसकियां लेती है तो रचनाकार का कलेजा फोड़कर रचना बाहर निकलती है। वाल्मीकि ने पक्षी के आखेट से विचलित होकर विश्व को पहली रचना शाप के रूप में दी। सुमित्रानंदन पंत ने लिखा- ‘वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान, निकलकर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान। महादेवी वर्मा ने लिखा- मैं नीर भरी दुख की बदली, उमड़ी कल थी मिट आज चली। फिराक गोरखपुरी ने लिखा है- मजहब कोई लौटा ले, और उसकी जगह दे दे तहजीब सलीके की।
उन्होंने कहा कि पतनशील साहित्य राष्ट्र के घातक है। हर क्रांति के पीछे साहित्यकारों का योगदान है। कलम की नोक तलवार से भी पैनी होती है। कुल्हाड़ी से हर चीज काटी जा सकती है लेकिन कलम से लिखे कागज को काट नहीं सकती।
जूता निर्यातक नजीर अहमद चित्रांशी के संरक्षक भी हैं। उन्होंने अपने उदबोधन कई महत्वपूर्ण बातें कहीं- इस तरह के कार्यक्रम नई पीढ़ी को मोबाइल से बाहर निकालकर तहजीब और अदब की दुनिया से जोड़ते हैं। आजकल के माहौल में ऐसे प्रोग्राम से खुशी होती है। आजकल सब अलग-अलग फिरकों में बँट चुके हैं। मुशायरा ही ऐसा प्रोग्राम है जहां पर कभी नहीं सुना कि मुसलमान या हिंदू बैठा है। यहां जितने भी शेर पढ़े जाते हैं, वे तहजीब और अदब के दायरे में होते हैं। मोहब्बत की बातें अधिक होती हैं। यह बात अलग है कि इसी बहाने शैतानों पर भी पढ़ लेते हैं। अफसोस की बात है इक इस मौके पर कमिटमेंट के बाद भी हमारे एक मेहमान इंडिया छोड़कर पाकिस्तान चले गए। यह हमारी तहजीब ही है कि उनके न आने के बाद भी उनकी तारीफ ही कर रहे हैं।
उन्होंने फिराक गोरखपुरी का नाम लेते हुए कहा कि वे आगरा के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया की हस्ती हैं। उनके शेरों में इतना आकर्षण है कि आज भी उनकी याद में अवॉर्ड दे रहे हैं। वरना तो लोग साल-दो साल बाद भूल जाते हैं।
नजीर अहमद ने कहा कि मोहब्बत ही है जो आपको और हमें तथा हिंदुस्तान को जोड़े हुए है। केसी श्रीवास्तव किस मजहब थे? वे तहजीब और अदब की दुनिया से जुड़े हुए थे। ऐसी दुनिया में इंसान और इंसानियत की बात होती है। उन्होंने बहुत मेहनत की। अमीर भाई ने उन्हें जीवित रखा हुआ है।
श्री नजीर अहमद से दो शब्द बोलने के लिए कहा गया था, इस पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि दो शब्द क्या होते हैं पता नहीं। हां, अंग्रेजी में थैंक यू कह सकते हैं लेकिन हिंदी में क्या कहें।
चित्रांशी के अध्यक्ष तरुण पाठक ने अपने उद्बोधन में सबको चौंकाया। उन्होंने 90 फीसदी उर्दू का प्रयोग किया। कहा- मैं तालिबे इल्म हूं और अर्से से पहली जमात में हूँ। नजीर भाई को मैं अपनी उस्ताद मानता हूँ। फिर उन्होंने नजीर अहमद की ओर मुखातिब होकर कहा कि दो शब्द जुमला है, इसलिए इस पर न जाएं।
अमीर अहमद ने बताया कि मुशायरा की योजना डॉ. सिराज कुरैशी के क्लीनिक पर बैठकर बनी थी। केसी भाई ने अपना मकान तक नहीं बनाया। हमेशा किराये के मकान में रहे। उन्होंने दुनिया छोड़ी तो घर से मुशायरे के वीडियो और अखबार की कतरनें मिलीं। उन्होंने आगरा को अकबराबाद कहकर पुकारा।
श्री नजीर अहमद का सम्मान किया गया। उनके हाथों शायरों का सम्मान कराया गया। अतिथियों का स्वागत डॉ. सिराज कुरैशी, पूनम जाकिर, प्रो. मोहम्मद हुसैन, सीमांत साहू, शिवराज सिंह यादव, कर्नल जीएम खान आदि ने किया। दिवाकर तिवारी ने फेसबुक पर लाइव करके मित्रता धर्म निभाया।
(क्रमशः)
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