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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. संविधान शिल्पी, भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की 133वीं जयंती यूं तो पूरे आगरा में धूमधाम से मनाई गई। परंपरागत आंबेडकर शोभायात्रा निकाली गई। भीमनगरी भी चल रही है। अंबेडकर जयंती का एक समारोह ऐसा भी हुआ जिसमें मातृशक्ति को वरीयता दी गई। मातृशक्ति ने ही शुभारंभ और समापन किया। हम बात कर रहे हैं भावना अरोमा, शास्त्रीपुरम, आगरा की।
14 अप्रैल, 2024 की रात्रि में हुए समारोह का शुभारंभ पार्षद प्रवीणा राजावत और अन्य महिलाओं ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहब ने पिता की संपत्ति में बेटी को भी अधिकार दिलाया। उन्होंने भारतीय संस्कृति के उदाहरण देते हुए कहा कि पहले कोई छुआछूत नहीं था। वर्ण व्यवस्था को अंग्रेजों ने जाति व्यवस्था का रूप दे दिया। इससे बहुत नुकसान हुआ है।

शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति आगरा पंजीकृत के अध्यक्ष डॉ. भानु प्रताप सिंह ने बताया कि डॉ. आंबेडकर 14 मार्च, 1956 को आगरा आए थे। रामलीला मैदान में एक लाख लोगों को संबोधित किया था। उन्होंने चक्कीपाट में अपने हाथों से देश के पहले बुद्ध विहार की स्थापना की। यहीं पर बाबा साहब के अस्थिकलश रखे हुए हैं। हर वर्ष छह दिसम्बर को अस्थिकलश जनता के दर्शनार्थ रखे जाते हैं।
डॉ. भीमराव अंबेडकर बाबा साहब की अस्थियां देश में अलग-अलग 6 स्थानों पर रखी हुई हैं। इनमें आगरा, मेरठ, लखनऊ, मध्य प्रदेश में जन्मस्थल इंदौर के म्हू, महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में डॉ. बीआर अंबेडकर के पैतृक गांव अंबाडावे, दीक्षा भूमि नागपुरमें हैं।

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने डॉ. आंबेडकर के जीवन से जुड़े पांच प्रमुख स्थलों को ‘पंचतीर्थ’ के तौर पर संरक्षित किया है। ये हैं- आंबेडकर का जन्मस्थान मध्य प्रदेश का म्हो, दीक्षा भूमि नागपुर (जहां जहां बीआर अंबेडकर ने अपने लगभग 400,000 अनुयायियों के साथ – मुख्य रूप से दलित, जिनमें से कई हजार ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे – 14 अक्टूबर, 1956 को अशोक विजयादशमी पर बौद्ध धर्म अपनाया था), इंदुमिल स्मारक मुंबई (बाबा साहब की 350 फुट की प्रतिमा स्थापित हो रही है), लंदन में स्मारक (वह घर जहां बाबा साहब अध्ययन के दौरान निवासित रहे) और दिल्ली में स्मारक (जहां बाबा साहब ने अंतिम श्वांस ली थी)।
श्री केशव कर्दम ने बाबा साहब के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाबा साहब ने 32 डिग्री हासिल की थीं। पिछले पांच वर्ष से आंबेडकर वांग्मय प्रकाशित नहीं हो रहा है जिसमें 40 बाबा साहब की किताबें हैं। यह सबको पढ़ना चाहिए।
वाईबी सिंह ने जोरदार शब्दों में कहा कि ऊंची जाति और नीची जाति कहना बंद कीजिए। हमारे यहां ईद का आयोजन भी किया जाता है जबकि सिर्फ एक मुस्लिम परिवार है। हम आपको दावतें खिलाते रहेंगे।
राहुल शर्मा ने पार्षद से कार्य कराने का आग्रह किया। इस पर पार्षद ने साल की उपलब्धियां बताईं। भार्गवी ने कविता सुनाई। राजवीर सिंह, इंजीनियर हितेश सिंह, सौरभ अग्रवाल ने विचार रखे। शैलेश ने व्यवस्थाएं संभालीं।
कार्यक्रम का संचालन शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति आगरा के सचिव डॉ. लाखन सिंह ने किया। उन्होंने बाबा साहब के कई प्रेरणादायी संस्मरण सुनाए। समिति के पदाधिकारी किशन सिंह चाहर, राजवीर सिंह, राजकिशोर परमार, मुन्नालाल राजपूत, सुनील शर्मा, नानकचंद, राजेश राजावत आदि का भगवान बुद्ध की तस्वीर भेंटकर स्वागत किया गया। समापन मातृशक्ति ने केक काटकर किया।
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