MSME व आगरा विवि के ‘आगरा पर्यटन एवं विरासत पर प्रबंधन विकास कार्यक्रम’ में प्रस्तुतीकरण
जैन दादाबाड़ी और शौरीपुर के बाद फतेहपुर सीकरी जैन धर्म की आस्था का नया केन्द्र बन सकता है
Agra, Uttar Pradesh, India. वरिष्ठ पत्रकार संपादक और इतिहास संबंधी पुस्तकों के लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह ने वीर गोकुला जाट व फतेहपुर सीकरी की व्याख्या पर्यटन संदर्भ में की है। उन्होंने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा कि आगरा, मथुरा और हाथरस जिले को मिलाकर वीर गोकुल सिंह सर्किट बनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटन की दृष्टि से कई सर्किट बनाए हैं। फतेहपुर सीकरी में जैन संग्रहालय बनने के बाद धार्मिक पर्यटन शुरू किया जा सकता है। जैन दादाबाड़ी और शौरीपुर के बाद फतेहपुर सीकरी जैन धर्म की आस्था का नया केन्द्र बन सकता है।
वे एमएसएमई (लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम आगरा कार्यालय, भारत सरकार) और डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा विश्वविद्यालय) द्वारा आयोजित आगरा पर्यटन एवं विरासत पर प्रबंधन विकास कार्यक्रम (प्रशिक्षण) के उद्घाटन के बाद प्रशिणार्थियों को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम 16 जनवरी तक विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन (बाग फरजाना, आगरा) में चलेगा। 30 युवा और युवतियां प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। डॉ. भानु प्रताप सिंह ने अपनी पुस्तक ‘हिन्दू धर्म रक्षक वीर गोकुला जाट’ भी वितरित की।
डॉ. भानु प्रताप सिंह ने वीर गोकुला जाट पर व्याख्यान में कहा– वीर गोकुला जाट ने 16वीं सदी में आततीय औरंगजेब की गलत नीतियों का सशस्त्र विरोध किया। गोकुला जाट के जीवित रहने तक औरंगजेब मथुरा के केशवराय मंदिर नहीं तोड़ सका। इस्लाम धर्म स्वीकार न करने पर 1 जनवरी, 1670 को वीर गोकुल सिंह की आगरा में पुरानी कोतवाली के सामने अंग-अंग कर हत्या करवा दी। वीर गोकुल सिंह के चाचा उदय सिंह की खाल खिंचवा ली। 7000 किसान सैनिकों के साथ अत्याचार किया। वीर गोकुल सिंह का वीरतापूर्ण कार्य इतिहास की पुस्तकों से गायब है।
उन्होंने कहा कि वीर गोकुल सिंह किसान क्रांति के जनक हैं। किसानों के पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। आवश्यक है कि वीर गोकुल सिंह के कार्यक्षेत्र को पर्यटन से जोड़ा जाए। इससे तीन जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा। ये हैं-
1.हाथरस जिले का गांव तिल्हू चहत्तर गांव। यह सादाबाद तहसील में है। इसका पुराना नाम तिलपत गढ़ी है और 16वीं सदी में यह मथुरा का हिस्सा था। वीर गोकुल सिंह तिलपत गढ़ी के जमींदार थे।
2.दाऊजी मंदिर, जिसे औरंगजेब ने तोड़ने का प्रयास किया। सफलता न मिली तो पांच गांवों की जागीर प्रस्तुत कर अपना श्रद्धा प्रकट की।
3.मथुरा जिले की महावन तहसील का गांव सिहोरा। यहीं पर गोकुल सिंह और मुगल फौज के बीच पहला युद्ध हुआ था। इस गांव के प्रवेश द्वार पर आज भी मुगलकालीन निशान देखे जा सकते हैं।
4.मथुरा के सादाबाद में सादुल्ला की छावनी। आजकल यहां पर तहसील और पुलिस थाना है। यह स्थान सादाबाद में सर्वाधिक ऊंचाई पर है। सादुल्ला की छावनी अविजित कही जाती थी, जिसे वीर गोकुल सिंह ने ध्वस्त कर दिया था।
5.गोकुल, रावल, महावन (पुरानी गोकुल), लोहवन गांव, जहां कोई जाट नहीं रहता है।
6.आगरा में पुरानी कोतवाली, जहां औरंगजेब के आदेश पर गोकुल सिंह को शहीद किया गया। कोतवाली में इस समय जौहरी बाजार डाकघर है।
7.आगरा किले के निकट शाहजहां गार्डन के प्रवेश द्वार पर वीर गोकुल सिंह की विशाल प्रतिमा। एक अक्टूबर, 2022 को प्रतिमा का अनावरण किया गया। महापौर नवीन जैन के प्रयास से यह प्रतिमा स्थापित हुई है।
8.फतेहपुर सीकरी में तेरह मोरी बांध के बाद वीर गोकुला जाट राजकीय उद्यान। इसका नामकरण पूर्व मंत्री चौ. उदयभान सिंह के प्रयास से हुआ है। इसका विकास लम्बित है।
डॉ. भानु प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी की व्याख्या जैन धर्म के संबंध में की। फतेहपुर सीकरी पर उनकी दो पुस्तकें हैं- जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र थी फतेहपुर सीकरी (2013) और क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य (2020)। उन्होंने कहा कि फतेहपुर सीकरी की स्थापना से एक हजार साल पहले जैन धर्म का प्रभुत्व था। अमर उजाला में रहते हुए उन्होंने इस विषय पर काम किया। फिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्खनन कराया। खंडित जैन मूर्तियां मिलीं। ये मूर्तियां फतेहपुर सीकरी में बनाए गए संग्रहालय में रखी हुई हैं। फतेहपुर सीकरी में सिकरवारों का किला भी है, जो धीरे-धीरे ध्वस्त हो रहा है। इसे संरक्षित किए जाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि फतेहपुर सीकरी का संबंध सिकरवारों से भी है। इस पर व्यापक शोध की जरूरत है।
फतेहपुर सीकरी के आसपास गांवों में जैन मूर्तियां हैं। इन सबको संग्रहालय में स्थापित किया जाए।
जैन धर्मावलंबी शौरीपुर, बटेश्वर, जैन दादाबाड़ी जाते हैं, उन्हें सीकरी का म्यूजियम भी दिखाया जाए। इससे फतेहपुर सीकरी में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यह अपने आप में नई बात होगी।
वीर गोकुला जाट पर डॉ. भानु प्रताप सिंह के प्रस्तुतीकरण पर चर्चा करते हुए एमएसएमई विकास कार्यालय आगरा के क्लस्टर विकास अधिकारी सुशील कुमार यादव ने कहा कि आप स्वयं स्थल देखें। खोजबीन करें। यहां आने का मतलब कि पर्यटन क्षेत्र में सक्रिय होना है। इसलिए तैयारी कर लें। इस मौके पर एमएसएमई के सहायक निदेशक ग्रेड 1 डॉ. मुकेश शर्मा (आईईएस) उपस्थित रहे।