डॉ. भानु प्रताप सिंह
New Delhi, India. जाट समाज के लिए समर्पित और सूचना का अधिकार कार्यकर्ता हरपाल सिंह राना के नेतृत्व में कुछ बड़ा काम होने जा रहा है। केन्द्र में जाट समाज है। यह काम 164 साल बाद होगा। तैयारी चल रही है। संगठन की रूपरेखा बनाई जा रही है। उद्देश्य है जाट समाज का एकजुट करना और सामाजिक बुराइयों को दूर करना।
दिल्ली नगर निगम के गांव कादीपुर (दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग) में हरपाल सिंह राना की ‘हरपाल की चौपाल’ है। यहां उनकी प्राचीन भव्य हवेली है। निकट ही हरियाली से लिपटा हुआ आवास है। इसी आवास में हरपाल की चौपाल पर जाट समाज को लेकर चिन्तन हुआ। यह बात सात नवम्बर, 2021 की है।
वक्ताओं ने कहा कि जाट समाज में अशिक्षा, शराब, दहेज और मृत्युभोज जैसी कुप्रथाएं हैं। इन्हें दूर करने की जरूरत है। जाट समाज में शिक्षा का प्रसार बढ़ा है लेकिन अपेक्षा के अनुसार नहीं। आनुपातिक बात करें तो विभिन्न अखिल भारतीय सेवाओं में जाट समाज के अधिकरी कम हैं। शराब का हाल तो यह है कि लोग खेती बेचकर शराब पी रहे हैं। जाट समाज ती बेटियां आगे आ रही हैं लेकिन और बढ़ावा देने की जरूरत है। जाट महापुरुषों की जीवनी पाठ्यक्रमों में शामिल कराई जाए। सुझाव दिया गया कि स्वयं सुधरें और दूसरों को सुधारें। सामाजिक दृष्टि से कुछ प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत है। आगरा से डॉ. देवी सिंह नरवार, यशपाल सिंह राणा, दिल्ली से तेजपाल सिंह, केपी सिंह, बलवान सिंह राणा आदि ने चर्चा में सक्रियता के साथ भाग लिया। आगरा से पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि सामाजिक कार्यों को प्रचारित करना उनका नैतिक कर्तव्य है।
हरपाल सिंह राना ने बताया कि 1857 के आसपास दिल्ली के बवाना में जाट समाज की एक सभा हुई थी, जिसमें इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इस सभा की अध्यक्षता मेरे दादा जी ने की थी। अब 164 साल बाद उनका पौत्र बात कर रहा है। तय हुआ कि 51 लोगों की समिति बनाई जाएगी। एक साथ सभी मुद्दों पर काम न करके एक-एक बिन्दु पर जोर दिया जाएगा। प्रथम चरण में दिल्ली और आसपास के जिलों में अभियान चलाया जाए। इस बारे में जल्दी ही एक और बैठक आयोजित होगी।
हरपाल सिंह राना कादीपुर गांव में जन सचिवालय चला रहे हैं। आरटीआई के माध्यम से तमाम मांगों को पूरा किया है। वे गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित करने का अभियान चला रहे हैं। साथ ही राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न दिलाने के लिए जिलों में जाकर जागरूकता पैदा कर रहे हैं। आगरा में भी एक बैठक कर चुके हैं। डॉ. देवी सिंह नरवार और यशपाल राणा की इसमें मुख्य भूमिका है। हरपाल की चौपाल पर मंथन करने वालों का सम्मान भी किया गया।
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