एक गंभीर समस्‍या बन रहा है लोगों में अवसाद का बढ़ना

एक गंभीर समस्‍या बन रहा है लोगों में अवसाद का बढ़ना

HEALTH


भारत इस समय गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि देश में एक अनुमान के अनुसार 5 करोड़ से अधिक लोग अवसाद से पीड़ित हैं जबकि करीब 4 करोड़ लोग चिंता और इससे जुड़ी बीमारियों में फंसे हैं। जो चीज इस स्थिति को और गंभीर बना रही है, वह है समाज में इन रोगों के प्रति नकारात्मक और अपरिपक्व सोच।
जन स्वास्थ्य समस्या है अवसाद
हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के अनुसार, ‘निराशाजनक विकलांगता और मृत्युदर के मामले में अवसाद एक बड़ी जन स्वास्थ्य समस्या है। सभी निराश मरीजों से विशेष रूप से आत्मघाती विचारों के बारे में पूछताछ की जानी चाहिए। आत्मघाती विचार एक मेडिकल इमर्जेंसी है। इसके रिस्क फैक्टर्स में मनोवैज्ञानिक विकार, शारीरिक रोग, आत्मघाती प्रयासों का पूर्व इतिहास या आत्महत्या को लेकर पारिवारिक इतिहास शामिल हैं।’
मन में बार-बार आता है आत्महत्या का विचार
उन्होंने कहा कि उम्र में वृद्धि के साथ आत्महत्या का जोखिम बढ़ता है। हालांकि, छोटे बच्चे और किशोरों में बड़ों के मुकाबले आत्महत्या की प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के मन में आत्महत्या करने के विचार अधिक बार आते हैं लेकिन पुरुष इसमें तीन गुना अधिक सफल रहते हैं। खुद को नुकसान पहुंचाने की दर ऐसे लोगों में अधिक पाई जाती है जो अविवाहित हैं, विधवा या विधुर हैं, अलग रहते हैं, तलाकशुदा हैं और शादीशुदा होकर भी जिनके बच्चे नहीं हैं। अकेले रहने से आत्महत्या का खतरा बढ़ जाता है।
शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के बीच डिस्कनेक्ट
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जिन लोगों में सिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम प्रभावी है, उनमें घबराहट व तनाव की भावना अधिक रहती है। जब कोई व्यक्ति उदास होता है तो उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक डिस्कनेक्ट होता है। उन्होंने कहा, ‘पैरासिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम शरीर को तनाव से मुक्त होने में मदद करके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे रक्तचाप बढ़ता है, आंखों की पुतलियां फैलती हैं और मन विचलित होता है। साथ ही अन्य शरीर प्रक्रियाओं से हटकर ऊर्जा इससे लड़ने में लग जाती है।’
जीवनशैली को संतुलित रखने के सुझाव
साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों का अधिक उपभोग करें। हरी पत्तेदार सब्जियां, प्रोटीन, अच्छी वसा और कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट का सेवन अधिक करें।
खूब पानी पीएं, शरीर को पर्याप्त रूप से हाइड्रेट रखें। हाइड्रेटेड रहने से लसीका तंत्र विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मदद करेगा और शरीर से मेटाबॉलिक वेस्ट को हटा देगा। यह ऊतकों को डीटॉक्स करने, पोषण देने और उनको फिर से बनाने के लिए आवश्यक है।
कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि अवश्य करें। व्यायाम शरीर के लिए सकारात्मक तनाव उत्पन्न करता है। योग को मन व तन दोनों के लिए अच्छा माना जाता है।
हर काम को सोच-समझ कर करें। इसमें आपके दैनिक जीवन से जुड़े काम, आदतें, विचार और व्यवहार शामिल हैं। समझदारी का मतलब है, जानबूझकर और सक्रिय रूप से शरीर को तनाव की स्थिति से बचाकर रखना।
-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh