लखनऊ। आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा आज यानी 25 अक्टूबर से शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत देश के कई हिस्सों में यह पर्व बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो इस वर्ष अनुराधा नक्षत्र और शोभन योग में संपन्न होगा।
शनिवार को व्रती महिलाएं और पुरुष गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान भास्कर (सूर्य देव) को अर्घ्य अर्पित करेंगे। इसके बाद घर लौटकर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी और आंवले की चटनी जैसे सात्विक भोजन को भगवान को भोग लगाकर स्वयं ग्रहण करेंगे। इसे नहाय-खाय प्रसाद कहा जाता है।
व्रत का दूसरा दिन (26 अक्टूबर) खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखकर शाम को गुड़ से बनी खीर, रोटी और केला का प्रसाद बनाते हैं। प्रसाद अर्पण के बाद व्रती गौ माता का ग्रास निकालकर उन्हें साक्षी बनाते हैं और इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करते हैं।
तीसरे दिन (27 अक्टूबर) व्रती नदी या तालाब के किनारे बने छठ घाट पर पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। अगले दिन यानी 28 अक्टूबर की सुबह, व्रत का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाता है।
मान्यता है कि इस दौरान श्रद्धालु जब भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो ‘ऊं घृणि सूर्याय नमः’, गायत्री मंत्र या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी होता है।
यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण, स्वच्छता और सामूहिक श्रद्धा के संदेश को भी सशक्त करता है।
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