बिहार पंचमीः वृंदावन में प्रकटे बांकेबिहारी, बधाई देने पहुँचे हरिदास

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा, वृन्दावन वृंदावन में ठाकुर बांकेबिहारी महाराज का प्राकट्योत्सव धूमधाम से मनाया गया। शनिवार को बिहार पंचमी के मौके पर ठाकुर बांकेबिहारी की प्राकट्य स्थली निधिवनराज मंदिर में भोर से भक्तों का सैलाब उमडने लगा। भोर होते ही निधिवन राज मंदिर में ठा. बांकेबिहारी के प्राकट्य स्थल पर भक्तों ने पंचगव्य से महाभिषेक किया तो बांकेबिहारी के जयकारे से वातावरण गुंजायमान हो उठा। इसके बाद भक्तों ने बधाई गायन किया और फिर चांदी के डोले में विराजमान होकर स्वामी हरिदास अपने लढ़ैते बांकेबिहारी को बधाई देने के लिए शोभायात्रा के रूप में निकले।

स्वामी हरिदास महाराज का चांदी का सुसज्जित रथ और अन्य डोले आकर्षण का केन्द्र थे

बैंडबाजों के मध्य शुरू हुई बधाई शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए मंदिर पहुंची। शोभायात्रा में जहां स्वामी हरिदास महाराज का चांदी का सुसज्जित रथ और अन्य डोले आकर्षण का केन्द्र थे वहीं धार्मिक धुनों पर नृत्य करते राधा कृष्ण के स्वरूप और भक्तजन श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे। सवारी के साथ नागपुर से विशेष बैंड बुलाया गया था। शोभायात्रा में संग चल रहीं मारवाड़ी समाज की महिलाएं डांडिया नृत्य करती रहीं। जबकि ग्रामीण अंचलों से आईं सैकड़ों महिलाएं गायन कर भावनृत्य करती चल रही थीं। इससे पहले ठाकुरजी के आने के इंतजार में गलियों में बिखरे फूल, गुब्बारों से सुसज्जित कर दी गई थीं।

स्वामी हरिदास जी की वंशपरम्परा से निकले ठाकुर जी के सेवानुरागी गोस्वामीजन एकत्रित हुए

वृन्दावन। रसिकोपासक संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास के परमाराध्य बांकेबिहारी लाल के प्राकट्योत्सव पर कान्हा की नगरी में उल्लास उमंग का अमृतमयी वर्षण हो रहा है। नगर का कण-कण बांके बिहारी लाल के जयकारे से अनुगुंजित हो उठा है। साँवरे की प्राक्टयस्थली पर धार्मिक अनुष्ठानों की धूम मची हुई है। जन-जन के आराध्य ठाकुर बाँकेबिहारी जी के प्राक्टयदिवस मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष की पंचमी पर श्री निधिवनराज में ब्रह्ममुहूर्त से ही उत्सव का माहौल है। स्वामी हरिदास जी की वंशपरम्परा से निकले ठाकुर जी के सेवानुरागी गोस्वामीजन पीत वस्त्र पहनकर प्राक्टयस्थली पर एकत्रित हुए। जहां वैदिक ऋचाओ की ध्वनि के साथ दुग्ध, दही, मधु, शर्करा, घृत इत्यादि से महाभिषेक कर सुगन्धित इत्र द्रव्यों से मालिश की गई। सैकड़ो भक्त इस महाभिषेक का पंचामृत व अपने आराध्य के प्राक्टयस्थली की झलक पाने के लिये लालायित दिखाई दे रहे थे। कोरोनाकाल के कारण सोशल डिस्टेंशिंग के चलते भक्तो को छोटे-छोटे समूह में दर्शन कराये जा रहे थे। महाभिषेक के उपरांत सेवायत भीकचन्द्र गोस्वामी, बच्चू गोस्वामी, रोहित गोस्वामी ने महाआरती उतारी। सेवायत गोस्वामी समाज ने भक्तो को लाड़ले के जन्मोत्सव की बधाई दी। सम्पूर्ण श्री निधिवनराज को देशी, विदेशी पुष्पो के अलावा रंगबिरंगे गुब्बारो से सजाया गया था।

श्रीनिधिवनराज से प्रारंभ हुई शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई बाँके बिहारी मंदिर पहुंची

वृन्दावन। रसिक अनन्य नृपति स्वामी हरिदास अपने लाड़ले ठाकुर बांके बिहारी लाल को चांदी के रथ में विराजमान होकर बधाई देने पँहुँचे। स्वामी जी की बधाई यात्रा में भक्तो की टोली ढोल नगाड़ों की धुन पर थिरकती चल रही थी। श्रीनिधिवनराज से प्रारंभ हुई शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई बाँके बिहारी मंदिर पहुंची। जन-जन के आराध्य ठाकूर बांके बिहारी जी महाराज के प्राकट्योत्सव पर धार्मिक नगरी में चहुँओर आनन्द का माहौल है। संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास स्वयं परम्परानुसार अपनी साधनास्थली निधिवनराज से ठाकुर जी को बधाई देने के लिये जैसे ही चांदी के रथ में विराजमान हुए कुंजबिहारी श्री हरिदास के उदघोष से सम्पूर्ण परिसर गुंजायमान हो उठा है। देश के विविध प्रांतों से आये बैंड बाजों व ढोल नगाड़ो की धुन पर श्रद्धालुओं की टोलियां मदमस्त होकर थिरकने लगी।  बधाई यात्रा गोपीनाथ बाजार,पत्थरपुरा ,चुंगी चौराहा, अनाजमंडी, प्रताप बाजार, लोई बाजार, वनखण्डी, आठखम्बा होते हुए बाँके बिहारी मंदिर पहुंची।

ठाकुर जी को बधाई देने पहुँचे स्वामी हरिदास को आज ठाकुर जी के साथ गर्भगृह में विराजित किया

वृन्दावन। ठाकुर बांकेबिहारी जी महाराज के प्राकट्योत्सव पर मन्दिर परिसर को विशेष रूप से पीत रंग से सुसज्जित किया गया था। ठाकुर जी बधाई देने मन्दिर पहुँचे स्वामी हरिदास को आज ठाकुर जी के साथ अनेको व्यंजन निवेदित किये गये। मध्यान्ह स्वामी जी की बधाई यात्रा जैसे  मन्दिर के मुख्यद्वार पर पहुंची। सेवायत गोस्वामी समाज ने बधाई पद गायन करते हुए स्वामी जी के चित्रपट को हाथों में झुलाते हुए मन्दिर के गर्भगृह में ठाकुर जी की प्रतिमा के समक्ष विराजित किया। ठाकुर जी व स्वामी जी के सन्मुख केशर भात, दूध भात, चन्द्रकला, केशर हलुआ आदि विविध व्यंजन निवेदित किये गए। मन्दिर परिसर को पीले रंग के गुब्बारों, व परदों से सजाया गया था।

Dr. Bhanu Pratap Singh